ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर नई बातचीत
१५ अक्टूबर २०१३सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों और जर्मनी के उच्च प्रतिनिधियों के साथ ईरान की परमाणु वार्ता जेनेवा में शुरू हो रही है. अप्रैल में चीन, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस ,अमेरिका और जर्मनी ने ईरान को यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम पर रोक लगाने की स्थिति में प्रतिबंधों में ढील देने का प्रस्ताव दिया था. उसके बाद वार्ता का यह पहला दौर है.
वार्ता से पहले ऐश्टन ने कहा, "मुझे उम्मीद है कि हमारे पास हमारे दो प्रस्तावों और ईरान से आ रहे विचारों पर सलाह मशविरा करने के लिए दो दिन हैं. हम यहां संयमित उम्मीद, लेकिन साथ ही प्रतिबद्धता की भावना लेकर आए हैं." वार्ता से जुड़े लोगों का कहना है कि ऐश्टन और जरीफ ने सोमवार शाम भोजन पर मुलाकात की. हालांकि वार्ता से पहले ईरान के बयान ईरानी नेताओं के हाल के नरम बयान से मेल नहीं खाते.
जरीफ ने बातचीत के ढांचे पर ऐतराज जताया है और कहा है कि भविष्य में होने वाली बातचीत में छह देशों के विदेश मंत्रियों को शामिल होना चाहिए. ईरानी समाचार एजेंसी इसना ने उनके हवाले से कहा, "मैं कोई आकलन नहीं करना चाहता, लेकिन इस ढांचे में हुई बातचीत में पिछले छह साल में कोई नतीजा नहीं निकला है."
दोनों पक्ष उन ठोस कदमों पर विचार करने जेनेवा पहुंचे हैं जो ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के संदेहों को दूर करेगा. पश्चिमी देशों को आशंका है कि ईरान परमाणु बम बनाना चाहता है जबकि ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण लक्ष्य के लिए है. ईरान के नए राष्ट्रपति हसन रोहानी के समझौता वाले बयानों के बावजूद ईरान अपने संवर्धित यूरेनियम को अंतरराष्ट्रीय नियंत्रण में देने को तैयार नहीं है.
सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य और जर्मनी यह भी चाहते हैं कि ईरान यूरेनियम का 20 प्रतिशत संवर्धन करना बंद करे क्योंकि इनका आसानी से हथियार बनाने के लिए इस्तेमाल हो सकता है. इसके अलावा वे ईरान से परमाणु हथियार शोध पर भी जवाब तलब कर रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय परमाणउ ऊर्जा आयोग के निरीक्षण की अनुमति देने की मांग कर रहे हैं.
अब तक ईरान इस तरह विश्वास बढ़ाने वाले कदमों से पहले प्रतिबंधों में ढील देने की मांग कर रहा है. जेनेवा वार्ता ईरान के कट्टरपंथी राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद के पद छोड़ने के बाद परमाणु मुद्दे पर ईरान और पश्चिमी देशों के बीच पहली वार्ता है. इस्राएल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू ने मांग की है कि ईरान पर दबाव कम नहीं किया जाना चाहिए. उनका कहना है कि रोहानी सिर्फ रणनीति बदल रहे हैं, ईरान अभी भी परमाणु हथियार बना रहा है. नेतान्याहू कहते हैं, "अभी रियायत देना ऐतिहासिक भूल होगी." इस्राएल ईरान के परमाणु कार्यक्रम को अपने अस्तित्व के लिए खतरा मानता है.
एमजे/एनआर (डीपीए)