ईरान के साथ रुकी बातचीत शुरू
२७ सितम्बर २०१३ईरान के नरम राष्ट्रपति हसन रोहानी के पद संभालने के बाद पहली बार दोनों पक्षों की बातचीत हुई. रोहानी ने ईरान और पश्चिमी देशों के बीच परमाणु ऊर्जा पर जारी टकराव को खत्म करने की कसम ली थी. संयुक्त राष्ट्र आम सभा के दौरान हुई बैठकों में ईरान के बदले रुख का संकेत मिलने के बाद तुरंत ही एक दिन की वियेना में बातचीत के लिए समय निकाल लिया गया. वियेना में अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी का मुख्यालय है. लंबे समय के बाद अमेरिका और ईरान के बीच न्यू यॉर्क में एक उच्चस्तरीय बातचीत में इस मुलाकात की भूमिका बन गई.
आईएईए के उप महानिदेशक ने कहा कि ईरान के साथ बातचीत "बेहद रचनात्मक" रही है. उन्होंने बातचीत का ब्यौरा नहीं दिया लेकिन यह बताया कि दोनों पक्ष 28 अक्टूबर को फिर बात करेंगे. इसके साथ ही ईरान और आईएईए के बीच "सभी मुद्दों को सुलझाने के लिए जरूरी बातचीत शुरू होगी."
आईएईए एक रूपरेखा पर समझौता करना चाहती है, जिससे उसे ईरान के संदिग्ध परमाणु हथियार कार्यक्रम की लंबे समय से रूकी हुई जांच को दोबारा शुरू करने का अधिकार मिल जाए. पश्चिमी देश आईएईए और ईरान के बीच बातचीत से यह परखने की कोशिश में लगे हैं कि क्या सचमुच ईरान अहमदीनेजाद की सख्त सोच से बाहर आ गया है. आठ साल के अहमदीनेजाद के शासन में ईरान ने संयुक्त राष्ट्र की मांग अनसुनी कर अपने परमाणु कार्यक्रम का भरपूर विस्तार किया है. पिछली मुलाकातों की तुलना में यह मुलाकात छोटी रही और केवल चार घंटे में ही निबट गई.
ईरानी राजदूत रेजा नजाफी ने इस्लामिक रिपब्लिक के वार्ताकारों की टीम का नेतृत्व किया. पिछले महीने ही उनकी नियुक्ति हुई है और उन्हें यकीन ही कि जल्दी ही समझौता हो जाएगा. पत्रकारों से बातचीत में नजाफी ने कहा, "हमें वास्तव में इन रचनात्मक चर्चाओं को जारी रखना चाहिए और हम उम्मीद करते हैं कि जल्दी से जल्दी से हम समझौते पर पहुंच सकेंगे."
कई साल से आईएईए इस संदेह की जांच में जुटा है कि ईरान ने यूरेनियम के संवर्धन, विस्फोट के परीक्षण और प्रक्षेपण मिसाइलों को इस तरह से तैयार करने में जुटा है कि परमाणु हथियार बना सके. ईरान का कहना है कि ये आरोप आधारहीन हैं. हालांकि हसन रोहानी के अगस्त में राष्ट्रपति बनने के साथ यह कहा था कि वे संयुक्त राष्ट्र की परमाणु एजेंसी के साथ सहयोग बढ़ाएंगे. रोहानी ने इस हफ्ते कहा कि उनका देश कभी परमाणु हथियार नहीं बनाएगा, इसके साथ ही उन्होंने तीन से छह महीने के भीतर परमाणु करार होने की बात कही है.
पश्चिमी राजनयिक ईरान पर आईएईए की जांच में बाधा डालने के आरोप लगाते रहे हैं. आईएईए ईरान के साथ 2012 के शुरूआत तक 10 दौर की बातचीत कर चुका है. वह अपनी जांच के लिए परमाणु उर्जा के केंद्रों, उससे जुड़े अधिकारियों और दस्तावेज देखना चाहता है.
मध्यपूर्व में इस्राएल अकेला ऐसा देश है जिसके पास परमाणु हथियार के होने की बात मानी जाती है. इस्राएल का कहना है कि ईरान का नया रुख, सैन्य कार्रवाई के डर के बिना अपने परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिेए समय हासिल करने की कोशिश भर है. अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी और ईरानी विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद जरीफ ने न्यू यॉर्क में अलग से मुलाकात की और दोनों ने उम्मीद जताने में सावधानी बरती है.
ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है और वह इसके जरिए बिजली बनाना चाहता है. संवेदनशील परमाणु कार्यक्रमों को रोकने से इनकार करने और उनमें आईएईए के निरीक्षकों के साथ खुलेपन से पेश न आने के कारण उस पर कड़े अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगा दिए गए हैं और इसकी वजह से उसके तेल निर्यात पर बुरा असर पड़ा है, जो उसकी जीवनरेखा है.
एनआर/ओएसजे (रॉयटर्स, एएफपी)