अव्यवस्था को किक मारते ब्राजीलियाई
२४ जून २०१३सबसे ज्यादा बार वर्ल्ड कप जीतने वाला ब्राजील पहले सेमीफाइनल में वर्ल्ड कप के पहले विजेता उरुग्वे से टकराएगा तो मौजूदा वर्ल्ड चैम्पियन स्पेन चार बार के विजेता इटली से दूसरे सेमीफाइनल में भिड़ेगा. स्थानीय सितारे नेमार, सबसे ज्यादा गोल करने वाले स्पेन के फर्नांडो टोरस, उरुग्वे के डिएगो फोरलान और आंद्रेया पिरलो-मारियो बालोटेली की इतालवी जोड़ी के जलवे से ब्राजील के मैदानों में बिजली कौंध रही है. वर्ल्ड कप से एक साल पहले यहां के माहौल का जायजा लेने आए हाई प्रोफाइल जर्मन कोच योआखिम लोएव ब्राजील की गर्मी और लंबे सफर को शिकस्त देते खिलाड़ियों से काफी संतुष्ट नजर आए. लोएव ने कहा, "काफी समय बाद कंफेडरेशन कप में कई टीमों के प्रदर्शन के स्तर से मैं काफी प्रभावित हुआ हूं."
फुटबॉल की अंतरराष्ट्रीय संस्था फीफा की तकनीकी समूह के सदस्य और लीवरपूल के पूर्व मैनेजर गेराल्ड हॉलियर ने संदेह जताया था कि भारी दबाव के बीच खेला जाता आज का तेज फुटबॉल पता नहीं ब्राजील की कठिन परिस्थितियों में ठीक से हो पाएगा या नहीं. हालांकि ग्रुप लेवल के मुकाबलों में तकनीक स्तर काफी उच्च रहा हालांकि अब सारी टीमों ने अपने खेल को थोड़ा धीमा कर उर्जा बचानी शुरू कर दी है. इस दौरान कई गोल बहुत तेज आक्रमण की वजह से भी हुए. आठ टीमों के बीच 12 मुकाबलों में 58 गोल से सर्वाधिक गोलों रिकॉर्ड भी बेहतर हुआ है. ताहिती के खिलाफ हुए 24 गोलों को इसमें से निकाल दें तो भी हर मैच के लिए तीन गोल का औसत निकलता है. मैच के फैसले रक्षा की बजाय आक्रमण से तय हुए.
ब्राजील के घरेलू दर्शकों के लिए अच्छी खबर यह है कि फुटबॉल की दिग्गज टीम की नींद टूटती दिख रही है जिसने कई दोस्ताना मैचों में अच्छा प्रदर्शन किया है और जो फिलहाल वर्ल्ड रैंकिंग में 22वें नंबर पर चली गई है. लगातार तीसरे कंफेडरेशन कप से बेहतर ब्राजील के लिए वर्ल्ड कप के 12 महीने पहले और क्या हो सकता है.
सेमीफाइनल से पहले फुटबॉल खिलाड़ी अभ्यास से समय बचा कर यहां के दिलकश नजारों का मजा ले रहे हैं इस बीच ब्राजील की राष्ट्रपति गवर्नरों और देश के बड़े शहरों के अधिकारियों के साथ बैठ कर प्रदर्शनकारियों की मांग पर चर्चा कर रही हैं. बातचीत का नतीजा चाहे जो निकले राष्ट्रपति का खुश होना फिलहाल मुश्किल लग रहा है. एक हफ्ते से ब्राजील को हिला कर रख देने वाले विरोध प्रदर्शनों ने राष्ट्रपति डिल्मा रूसेफ समेत सभी राजनेताओं के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी है. हाल के वर्षों में ब्राजील की आर्थिक तरक्की ने करोड़ों लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकल कर मध्यमवर्गीय जमात में शामिल करा दिया है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसे एक बड़ी आर्थिक ताकत माना जाने लगा है लेकिन फिर भी बहुत सी चीजें जिनकी लगातार अनदेखी हुई है.
पैसा बहुत आया है लेकिन शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में निवेश नहीं किया गया. देश में चमचमाते स्टेडियम और मॉल तो खूब दिखते हैं लेकिन स्कूल और अस्पतालों की हालत खस्ता है. उचित इलाज न होने से मरीजों की जान जा रही है. ऐसे में अब लोगों का गुस्सा उफन रहा है. विरोध प्रदर्शन में राजनेता और पार्टियां तो वैसे ही नजर नहीं आ रहीं, राष्ट्रपति की सत्ताधारी वर्कर्स पार्टी के कुछ सदस्य जब झंडा लेकर विरोध में शामिल होने आए तो भीड़ ने उन्हें सीटी बजाकर और नारे लगा कर बाहर कर दिया. साफ है कि ब्राजील में राजनेताओं से लोगों की निराशा बढ़ रही है. लोग किसी एक पार्टी नहीं बल्कि सभी राजनीतिक दलों के खिलाफ सड़कों पर उतरे हैं.(फुटबॉल और ब्राजील के लोगों का गुस्सा)
राष्ट्रपति ने विरोध की आवाज सुनने की बात कही है लेकिन लोग इस वक्त भाषण नहीं सरकार को हरकत में आते देखना चाहते हैं. जल्दबाजी में सार्वजनिक परिवहन को सुधारने और विदेशी डॉक्टरों को ब्राजील लाने के लिए बनाई गई राष्ट्रीय योजना के प्रारूप से भी लोगों पर कोई खास असर नहीं हुआ है. हालांकि रूसेफ इस बात पर अडिग है कि सबसे अच्छा तरीका बातचीत ही है. उनकी समस्या है उस सही शख्स की तलाश जिनसे बातचीत की जा सके. प्रदर्शनकारियों के पास फिलहाल ना तो कोई संगठन है ना ही कोई नेता. मांग इतनी अलग अलग है कि बातचीत एक मेज पर नहीं हो सकती. ऐसे में सरकार के पास फिलहाल कंफेडरेशन कप की कामयाबी पर खुशी मनाने का वक्त नहीं है.
एनआर/एएम (डीपीए)