अरुंधती के बयानों पर हंगामा तेज
२७ अक्टूबर २०१०इन दिनों श्रीनगर का दौरा कर रहीं अरुंधती रॉय ने कहा, "ऐसे देश पर तरस आता है जो लेखकों को अपनी बात कहने का मौका तक नहीं देना चाहता. ऐसे देश पर तरस आता है जो इंसाफ की मांग करने वालों को जेल में डालता है जबकि सांप्रदायिक हत्यारे, नरसंहार करने वाले, घोटालेबाज, लुटेरे और बलात्कारी खुले घूमते हैं."
रॉय का ताजा बयान ऐसे समय में आया जब सरकार उनके और कट्टरपंथी नेता सैयद अली शाह गिलानी के खिलाफ कार्रवाई करने पर विचार कर रही है. इस बारे में देशद्रोह के आरोपों पर विचार हो रहा है. रॉय ने पिछले दिनों दिल्ली और श्रीनगर में दिए अपने दो भाषणों में कश्मीर की आजादी का समर्थन किया.
अरुंधती का कहना है, "मैंने सिर्फ वही कहा है जो लाखों लोग बरसों से कह रहे है. मैंने वही कहा है जो मैं और दूसरे समीक्षक बरसों से लिख रहे हैं. जिस किसी ने भी मेरा लेखन पढ़ा है, वह इस बात को महसूस करेगा कि यह बुनियादी तौर पर इंसाफ की अपील है."
उधर भारत के कानून मंत्री वीरप्पा मोइली ने अरुंधती रॉय और गिलानी की इस बयान के लिए आलोचना की है कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग नहीं रहा है. मोइली ने कहा, "बिल्कुल, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है. लेकिन इससे लोगों की देशभक्ति की भावना का उल्लंघन नहीं होना चाहिए." कानून मंत्री ने कश्मीर के बारे में गिलानी और अरुंधती रॉय के बयानों को सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. विपक्षी बीजेपी की तरफ से सरकार पर इस मामले में खामोशी से तमाशा देखने के आरोप पर मोइली ने कहा, "देशद्रोह के जैसे मामलों पर बयानबाजी को लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिए."
इस बीच बीजेपी के प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर ने कहा है, "गिलानी और अरुंधती रॉय के खिलाफ पूरा मामला बनता है. एक एफआईआर दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए. जिस तरह की भाषा उन्होंने इस्तेमाल की है, वह आपत्तिजनक है. यह देश की एकता पर हमला है."
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः एन रंजन