हैकिंग से यूरोप को अरबों का नुकसान
१ जून २०१२एक वक्त था जब साइबर क्राइम को कंप्यूटर साइंस के छात्रों और उनकी प्रयोगधर्मी शैतानी से जोड़ कर देखा जाता था. लेकिन अब हैकर माफिया बन चुके हैं. यूरोपियन संघ ने इनका सामना करने के लिए नए साइबर क्राइम सेंटर की योजना बनाई है.
2011 के यूरोपियन संघ के मुताबिक यहां 73 फीसदी घरों में इंटरनेट लगा हुआ है. साथ ही यूरोप में 68 प्रतिशित युवा सोशल नेट्वर्किंग साइटों को इस्तेमाल करते हैं. संख्या सिर्फ इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों की ही नहीं बढ़ रही है, बल्कि इंटरनेट पर हमलों की और हैकरों की भी बढ़ी है. हैक करने की तकनीक भी बेहतर होती जा रही है.
अंतरराष्ट्रीय क्राइम पुलिस इंटरपोल के अनुसार यूरोप को हर साल हैकिंग के मामलों के कारण 750 अरब यूरो का नुकसान उठाना पड़ता है. यूरोपियन संघ का अनुमान है कि हर दिन करीब दस लाख लोग साइबर क्राइम का शिकार होते हैं.
यूरोपियन संघ ने फरवरी 2005 में पहली बार 'सूचना प्रणाली के खिलाफ हमलों' पर निर्देश जारी किए. लेकिन इसके बाद भी हमले बढ़ते रहे. यूरोपियन संघ आयोग नतीजों से संतुष्ट नहीं है और इसी कारण द हेग में 'यूरोपियन साइबरक्राइम सेंटर' बनाने की घोषणा की है. इस सेंटर में आयोग के 55 जांच अधिकारी शामिल होंगे. सेंटर के लिए सालाना 3.6 अरब यूरो का बजट निर्धारित किया गया है. यह यूरोपियन संघ की खुफिया जांच एजेंसी यूरोपोल का अंग होगा. रिपोर्टों के अनुसार 2013 की शुरुआत तक यह काम करने लगेगा.
जर्मनी में इंटरनेट सुरक्षा के जानकार यान फिलिप आलब्रेष्ट का कहना है कि यह एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन सेंटर को और जांच अधिकारियों की जरूरत होगी, "हमें यूरोपियन संघ के सभी देशों में पुलिस को ट्रेनिंग देने की जरूरत है. साथ ही सिर्फ द हेग में ही नहीं, बल्कि पूरे यूरोप में और कर्मचारियों की जरूरत है."
यूरोपीय संघ के देश अपने अपने स्तर पर साइबर क्राइम की समस्या से जूझ रहे हैं. स्थानीय स्तर पर हुए हैकिंग के मामलों से वे फिर भी निपट लेते हैं, लेकिन यदि हैकिंग सीमा पार से हो रही है तो उनके हाथ बंधे दिखते हैं. अब ऐसा पहली बार होगा कि एक केंद्रीय एजेंसी के हाथों में इंटरनेट सुरक्षा की जिम्मेदारी आ जाएगी. इससे सीमा पार से हो रही हैकिंग से भी निपटा जा सकेगा.
रिपोर्ट: राल्फ बोजेन/ईशा भाटिया
संपादन:ओंकार सिंह जनौटी