हेडली और आतंकवाद का ताना बाना
१९ मार्च २०१०अमेरिका के न्याय मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर जो सूचना दी है, उसके मुताबिक़ हेडली ने बड़ी सोची समझी रणनीति से अपना काम किया. हेडली के क़बूलनामे को ही ज़ाहिर करते हुए न्याय मंत्रालय ने यह रिलीज़ जारी की है.
मुंबई के हमलों की तैयारीः
लश्कर ए तैयबा के तीन सदस्यों ने 2005 में निर्देश दिया कि दाऊद गिलानी उर्फ़ डेविड हेडली भारत में अलग अलग जगहों की जानकारी हासिल करे. इसके बाद फ़रवरी 2006 में उसने अपना नाम बदल कर डेविड कोलमैन हेडली कर लिया. ऐसा करने से वह भारत में ख़ुद को ऐसे अमेरिकी नागरिक के तौर पर पेश कर सकता था, जो न तो मुस्लिम था और न ही पाकिस्तानी. 2006 की गर्मियों में लश्कर के साथ मिल कर हेडली ने मुंबई में एक दफ़्तर खोलने का फ़ैसला किया, जिससे उसकी योजना पर पर्दा पड़ सके.
मुंबई के पांच दौरेः
हेडली ने 2006 से 2008 के बीच पांच बार मुंबई का दौरा किया और अलग अलग जगहों की जानकारी इकट्ठा की. सितंबर 2006 में पहली बार, फ़रवरी और सितंबर 2007 में दूसरी और तीसरी बार और फिर अप्रैल और जुलाई 2008 में चौथी और पांचवीं बार. हर बार उसने अलग अलग जगहों की वीडियो रिकॉर्डिंग की और आख़िर में नवंबर, 2008 में इन्हीं जगहों पर आतंकवादी हमले किए गए. आरोप है कि मुंबई के हर दौरे से पहले उसे लश्कर के आला सदस्यों से निर्देश मिलते और हर दौरे के बाद वह पाकिस्तान जाता और लश्कर ए तैयबा को अपनी जानकारी और वीडियो टेप सौंप देता.
हमलों की तैयारीः
अप्रैल 2008 में भारत जाने से पहले हेडली ने पाकिस्तान में हमलों के सह षडयंत्रकारियों से मुलाक़ात की और उन जगहों की पहचान की, जहां हमलावरों को समुद्री रास्ते से आकर उतरना था. हेडली अत्याधुनिक ग्लोबल पोज़ीशनिंग सिस्टम के साथ मुंबई लौटा और समुद्रतट के कई हिस्सों पर नौका से जायज़ा लिया. 26 नवंबर से 28 नवंबर 2008 को भारत के मुंबई शहर पर उन्हीं जगहों पर हमले हुए, जहां हेडली जा चुका था और जिसकी जानकारी वह पहले से जुटा चुका था.
छह अमेरिकियों की हत्याः
मुंबई के आतंकवादी हमले में छह अमेरिकी नागरिकों की हत्या की गई. आरोपपत्र में इनके नाम बेन ज़ियॉन क्रोमन, गैवरियल होट्ज़बर्ग, संदीप जेसवानी, एलेन शेयर, उनकी बेटी नाओमी शेयर और अर्याह लाइबिश टाइटिलबॉम बताए गए.
भारत का छठा दौराः
मुंबई हमलों के बाद डेविड हेडली एक बार फिर मार्च, 2009 में भारत पहुंचा. इस बार उसने दिल्ली के नेशनल डिफ़ेंस कॉलेज और कई शहरों में दूसरी इमारतों का जायज़ा लिया.
डेनमार्क हमले की साज़िशः
डेनमार्क में आतंकवादी हमले की साज़िश के सिलसिले में डेविड हेडली ने स्वीकार किया है कि उसने 2008 में कराची में लश्कर ए तैयबा के लोगों से मुलाक़ात की और उसे डेनमार्क में कोपेनहेगन और आरहुस में डैनिश अख़बार मोर्गेनाविज़ेन जिलेन पोस्टेन के दफ़्तरों का जायज़ा लेने को कहा गया. इस अख़बार ने कुछ साल पहले इस्लाम से जुड़ा आपत्तिजनक कार्टून छापा था.
हेडली ने इस अभियान के बारे में अपने साथी हाशिम सैयद उर्फ़ अब्दुर रहमान उर्फ़ पाशा को जानकारी दी. आरोपपत्र के मुताबिक़ इस मामले में इलियास कश्मीरी का नाम भी जुड़ा है. दिसंबर, 2008 और जनवरी, 2009 में हेडली ने शिकागो में रहते हुए अब्दुर रहमान को ईमेल लिख कर डेनमार्क की अपने प्रस्तावित यात्रा और हमले की योजना के बारे में जानकारी दी. जनवरी, 2009 में हेडली ने डेनमार्क का दौरा किया और अख़बार के दफ़्तरों का जायज़ा लिया. वहां की वीडियो रिकॉर्डिंग भी की.
पाकिस्तान का दौराः
डेविड हेडली ने अब्दुर रहमान और लश्कर के एक सदस्य से पाकिस्तान में अलग अलग मुलाक़ात की और डेनमार्क में हमले की योजना पर चर्चा की. उसने वीडियो रिकॉर्डिंग भी उन लोगों को सौंपी. उसी दौरान अब्दुर रहमान ने हेडली को एक ऐसा वीडियो दिया, जिसमें अल क़ायदा ने 2008 में इस्लामाबाद में डैनिश दूतावास पर हमले की ज़िम्मेदारी ली थी और भविष्य में भी ऐसे हमले की बात कही गई थी.
वज़ीरिस्तान में हेडलीः
फ़रवरी, 2009 में डेविड हेडली और अब्दुर रहमान ने पाकिस्तान के वज़ीरिस्तान में जाकर इलियास कश्मीरी से मुलाक़ात की और हमलों की रणनीति पर बात की. कश्मीरी ने कहा कि वह इस हमले के लिए अपने लोग मुहैया करा सकता है और इसमें लश्कर की भागीदारी ज़रूरी नहीं है. मार्च, 2009 में लश्कर के एक सदस्य ने हेडली को बताया कि अभी डेनमार्क के अख़बार पर हमले की योजना को टाल दिया गया है क्योंकि मुंबई हमलों के बाद लश्कर पर दबाव काफ़ी बढ़ गया है. मई में हेडली ने वज़ीरिस्तान में एक बार फिर से अब्दुर रहमान और कश्मीरी से मुलाक़ात की.
यूरोपीय संपर्कः
कश्मीरी ने हेडली से कहा कि वह यूरोप में एक व्यक्ति से मुलाक़ात करे, जो उसे अख़बार के दफ़्तर पर हमले के लिए पैसे, हथियार और आदमी दे सकता है. कश्मीरी ने कहा कि यह एक ख़ुदकुश हमला होना चाहिए और हमलावरों को पहले से ही अपनी शहादत का वीडियो तैयार कर लेना चाहिए. कश्मीरी की योजना थी कि हमलावर दफ़्तर में बंधकों का सिर काट कर उसे बाहर फेंकेंगे जिससे दहशत बढ़ जाए. हेडली से कहा गया कि “बड़े” लोग चाहते हैं कि यह हमला जल्दी हो. हेडली का कहना है कि बड़े लोगों का मतलब उसने अल क़ायदा समझा.
यूरोप का दौराः
हेडली ने शिकागो से जुलाई और अगस्त 2009 में यूरोप के अलग अलग हिस्सों का दौरा किया और कश्मीरी के संपर्कों से मुलाक़ात करने की कोशिश की. कोपेनहेगन में उसने 13 और वीडियो तैयार किए. अगस्त 2009 में अमेरिका लौटने के बाद कस्टम विभाग को ग़लत बताया कि वह बिज़नेस के सिलसिले में यूरोप गया था.
शिकागो लौटने के बाद हेडली ने कई बार अब्दुर रहमान से टेलीफ़ोन पर बात की और संकेतों में हमले की जानकारी दी. अगस्त से सितंबर के बीच उसने मीडिया की उन रिपोर्टों पर भी चर्चा की, जिसमें कश्मीरी के मारे जाने की ख़बर थी.
हेडली की गिरफ़्तारीः
3 अक्तूबर, 2009 को डेविड हेडली को शिकागो के ओहेयर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पाकिस्तान जाते हुए गिरफ़्तार कर लिया गया. आरोपपत्र में कहा गया है कि वह 13 वीडियो रिकॉर्डिंग अब्दुर रहमान और कश्मीरी को देने जा रहा था. अब्दुर रहमान या कश्मीरी अमेरिकी हिरासत में नहीं है.
तहव्वुर राना कि गिरफ़्तारीः
डेविड हेडली के बचपन के साथी तहव्वुर राना को 18 अक्तूबर, 2009 को गिरफ़्तार किया गया. उस पर जनवरी, 2010 में तीन आरोप लगाए गए, जिनमें मुंबई हमलों के लिए सामान मुहैया कराने, डेनमार्क में हमले की साज़िश के लिए सामान देने और लश्कर को सामान देकर मदद पहुंचाने के आरोप हैं. राना ने जुर्म स्वीकार नहीं किया है और वह शिकागो की जेल में बंद है. उसकी अदालती सुनवाई होगी.
अमेरिका की न्याय मंत्रालय के मुताबिक़ जांच का काम शिकागो संयुक्त आतंकवाद टास्क फ़ोर्स ने किया, जिसकी अगुवाई एफ़बीआई के शिकागो कार्यालय ने किया. इसमें लॉस एंजिलिस और वॉशिंगटन डीसी के एफ़बीआई दफ़्तरों ने भी मदद की. जांच में अमेरिकी कस्टम और बॉर्डर प्रोटेक्शन तथा आंतरिक सुरक्षा विभाग ने भी मदद की.
रिपोर्टः अनवर जे अशरफ़
संपादनः एम गोपालकृष्णन