हिंसा के बीच अफगानिस्तान में संसद का चुनाव
१८ सितम्बर २०१०चुनाव के दौरान तालिबान की ओर से किए गए कई हमलों में कम से कम 16 लोगों की जानें गईं. खास कर प्रांतीय केंद्रों में राकेटों से हमलों का सिलसिला जारी रहा. इसकी वजह से अनेक मतदाता वोट डालने नहीं आए. लेकिन चुनाव आयोग के प्रधान फैजल अहमद मनावी ने कहा कि दोपहर तक की वोटिंग का आंकड़ा दो गुना या उससे अधिक हो सकता है और उस हालत में चुनाव को काफी सफल कहा जा सकता है. लेकिन 5816 मतदान केंद्रों में से 543 या तो खुले ही नहीं या वहां से कोई रिपोर्ट नहीं आई.
मतदान शुरू होने से तीन घंटे पहले काबुल के केंद्र में नाटो टुकड़ियों के मुख्यालय के नजदीक एक राकेट हमला किया गया. इसके अलावा अमेरिकी दूतावास के निकट भी एक राकेट का विस्फोट हुआ. बगलान प्रांत में तालिबान के एक हमले में एक अफ़गान सैनिक व छह सरकार समर्थक सशस्त्र लड़ाकुओं की मौत हो गई.
इस बार की तरह 2009 में भी चुनाव के दिन तालिबान की ओर से भारी हमले किए गए थे. इससे चुनाव बाधित तो हुआ था, लेकिन उनके आयोजन को रोका नहीं जा सका. प्रेक्षकों के अनुसार इस बार भी स्थिति कुछ ऐसी ही है.
चुनाव के आयोजन को अफगानिस्तान से अमेरिकी सेनाओं की नियोजित वापसी के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. दिसंबर में राष्ट्रपति ओबामा अफगानिस्तान में स्ट्रैटिजिक स्थिति का मूल्यांकन करेंगे. पश्चिमी देशों का इरादा है कि धीरे-धीरे अफगानिस्तान में सुरक्षा की जिम्मेदारी वहां की सरकार को सौंपा जाए. इसकी खातिर तालिबान में नरमपंथी धड़ों के साथ समझौते की भी कोशिश की जा रही है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ
संपादन: वी कुमार