हिंदुओं को रोकने के लिए दरगाह पर हमला कियाः असीमानंद
१० जनवरी २०११यह धमाका 2007 में एक दक्षिणपंथी गुट ने किया था जिसमें दोनों पक्षों के लोग शामिल थे. असीमानंद ने कहा, "अजमेर धमाके के एक दो दिन बाद सुनील जोशी (आरएसएस के पूर्व प्रचारक) मुझसे मिलने आए. उनके साथ राज और मेहुल नाम के दो लोग थे जो पहले शबरी धाम गए थे. जोशी ने दावा किया कि उसके आदमियों ने धमाके किए. वह भी धमाके के समय दरगाह में मौजूद थे." असीमानंद ने बताया कि इन्द्रेश (वरिष्ठ आरएसएस नेता) ने उन्हें दो मुस्लिम युवक दिए. इन युवकों ने बम रखने में मदद की.
यह बयान धारा 164 के तहत मैजिस्ट्रेट के सामने लिया गया. उन्होंने दरगाह को ही क्यों चुना, इस बारे में असीमानंद ने कहा, "अजमेर शरीफ ऐसी ऐसी दरगाह है जहां हिंदू भी बड़ी संख्या में जाते हैं. हमने इसलिए अजमेर में बम रखा ताकि हिंदू डर जाएं और वहां नहीं जाएं."
इस बयान में असीमानंद ने मालेगांव और हैदराबाद धमाके के अलावा समझौता एक्सप्रेस विस्फोट में आरएसएस के कई कार्यकर्ताओं और केंद्रीय समिति के सदस्य इंद्रेश कुमार की भूमिका के बारे में भी बताया है. उसने यह भी दावा किया कि 2005 में इंद्रेश उससे मिले और कहा कि बम रखना असीमानंद की जिम्मेदारी नहीं है. इसके लिए जोशी को लगाया गया है.
असीमानंद के बयान के मुताबिक, "इंद्रेश जी मुझसे 2005 में साबरी धाम (गुजरात में असीमानंद का आश्रम) में मिले. उनके साथ आरएसएस के कई अधिकारी भी थे. उन्होंने बताया कि 'बम के लिए बम' में मेरी जिम्मेदारी नहीं है. उन्होंने बताया कि आरएसएस ने मुझे आदिवासियों के साथ काम करने का निर्देश दिया है और इससे ज्यादा मैं कुछ ना करूं. इंद्रेश जी ने बताया कि वे भी इसी दिशा में सोच रहे हैं और इसीलिए सुनील (जोशी) को यह काम दिया गया है. उन्हें हर तरह की मदद जी जाएगी."
असीमानंबद ने ही देश में मंदिर पर होने वाले हमलों के जवाब में 'बम के लिए बम' की थ्योरी दी थी. हालांकि असीमानंद के बयान से पता चलता है कि दक्षिणपंथी चरमपंथी एक दूसरे पर भी ज्यादा विश्वास नहीं करते हैं. इन लोगों के किए धमाकों में लगभग 80 लोग मारे गए. इसमें से 68 से ज्यादा लोग समझौता एक्सप्रेस में मारे गए. भारत और पाकिस्तान के बीच चलने वाली इस ट्रेन को 2007 में निशाना बनाया गया. वहीं 2008 के मालेगांव धमाके में आठ और 2007 में अजमेर शरीफ दरगाह विस्फोट में तीन लोग मारे गए.
असीमानंद ने मालेगांव धमाके के आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत पुरोहित के बारे में भी बात की. गिरफ्तारी के समय पुरोहित सैन्य खुफिया विभाग में तैनात थे. 18 दिसंबर 2010 को दर्ज असीमानंद के बयान के मुताबिक, "कर्नल पुरोहित ने एक बार मुझे बताया कि इंद्रेशजी आईएसआई के एजेंट हैं और इस बारे में उनके पास तमाम सबूत हैं. लेकिन कर्नल पुरोहित ने कभी मुझे ये सबूत नहीं दिखाए."
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः आभा एम