गुआर्डिओला होंगे बायर्न के कोच
९ अप्रैल २०१३हाइंकेस के नेतृत्व में बायर्न ने छह मुकाबले बाकी रहते ही चैम्पियन बनने का कारनामा कर दिखाया है. बुंडेसलीगा के 50 साल के इतिहास में पहली बार कोई टीम इतनी तेजी से चैम्पियन बनी है. इससे पहले बायर्न बड़ी तेजी से 1972-73 और 2002-03 में चैम्पियन बना था लेकिन इस बार यह काम उससे भी दो हफ्ते पहले ही हो गया.
शनिवार को फ्रैंकफर्ट की टीम को छह डिग्री तापमान में 1-0 से शिकस्त देने के बाद हाइंकेस ने कहा, "मैं कभी भी इतने सर्द तापमान में चैम्पियन नहीं बना न तो खिलाड़ी के रूप में न ही कोच के रूप में." उनके नेतृत्व में बायर्न तीन बार चैम्पियन बना है. इस बार खिताब जीतने के साथ ही हाइंकेस के लिए विरोधियों के कैंप से भी तारीफों की झड़ी लग गई.
फ्रैंकफर्ट के कोच आर्मिन वेह ने कहा, "चैम्पियनशिप की ताज के असली हकदार युप हाइंकेस ही हैं." उधर बोरोसिया डॉर्टमुंड के कोच युर्गेन क्लॉप ने कहा, "युप, यह एक असाधारण सत्र था, तुम्हारी टीम ने लगभग सब कुछ सही किया."
हाइंकेस ने बुंडेसलीगा के चार खिताब खिलाड़ी के रूप में जीते है. तब वो बोरुसिया मोएंशेनग्लाडबाख के लिए खेलते थे और यह वक्त था 1970 का दशक. हालांकि उनकी टीम की इस बार की जीत इसलिए याद रखी जाएगी कि उन्होंने शुरू से ही दबदबा बनाए रखा. जर्मन सुपर कप के पहले मैच में डॉर्टमुंड को शिकस्त देने के बाद बायर्न ने बुंडेसलीगा के सत्र की सबसे अच्छी शुरुआत की और लगातार आठ जीतें हासिल कीं. इसके बाद बायर्न को सर्दियों की छुट्टियां शुरू होने से तीन हफ्ते पहले ही अनौपचारिक "शरद विजेता" का खिताब मिल गया. सत्र जब पूरा होगा तो रिकॉर्डों की किताब में हर जगह बायर्न म्यूनिख का ही नाम होगा.
शनिवार को फ्रैंकफर्ट में जीत घर से बाहर मिली 13वीं जीत थी और इस सीजन के लिए यह भी एक रिकॉर्ड है. हाइंकेस की टीम लगातार 11वीं जीत हासिल करने की दौड़ में है, जो बुंडेसलीगा के सीजन के लिए मिसाल होगी. इसके अलावा टीम के पास पहले से ही 75 अंक हो गए है ऐसे में डॉर्टमुंड के पिछले साल के 81 अंकों के रिकॉर्ड को तोड़ने में ज्यादा दिक्कत नहीं होनी चाहिए. जर्मन कोच योआखिम लोएव ने कहा, "निश्चित रूप से यह भी हाइंकेस की वजह से ही है जिसने जबर्दस्त काम किया है और एक महान टीम खड़ी की है."
सत्र की समाप्ति के साथ बुंडेसलीगा के विजेता कोच 68 साल के हो जाएंगे और वह जर्मन लीग खिताब के सबसे बुजुर्ग विजेता होंगे. हाइंकेस ने सितारों से भरी टीम को संभालने में कड़ी मेहनत की है. दो साल में बायर्न का खराब प्रदर्शन भी उनके लिए खासा मददगार रहा. इसकी वजह से टीम में भारी बदलाव किए गए और हाइंकेस को भी अपने मन की करने की खूब छूट मिली. मोएंशेनग्लाडबाख से बायर्न की टीम को मजबूती देने के लिए लाए गए दांते ने पिछले महीने शिकायत की कि बायर्न का अभ्यास सत्र बुंडेसलीगा के मैचों से भी ज्यादा कठिन है.
हाइंकेस ने 1998 में कोच के रूप में चैम्पियंस लीग जीत कर रियाल मैड्रिड के 32 साल पुराने इंतजार को खत्म किया था. अब इस शानदार जीत के साथ वो रिटायर हो रहे हैं और जीत इतनी बड़ी है कि उन्हें अपने फैसले पर दोबारा विचार करने का भी मन हो रहा है. उन्होंने मजाक में कहा, "जब मैं देखता हूं कि (कोनराड) आडेनावर 71 साल में चांसलर बने और अब हमारे पोप 76 साल की उम्र में पदभार संभाल रहे हैं तो मुझे भी यह सोचने का हक है कि 68 साल की उम्र में क्या मैं कुछ और कर सकता हूं."
यह तय है कि हाइंकेस बायर्न को ज्यादा से ज्यादा ऊंचाई तक पहुंचाने के लिए जो कुछ भी मुमकिन है जरूर करेंगे और नए कोच गुआर्डिओला को जो विरासत मिलेगी, उसमें उससे बेहतर करने के लिए बहुत कम ही बचा होगा. 42 साल के स्पेनी कोच गुआर्डिओला को तीन साल के करार पर बायर्न में लाया गया है और उनसे भी उम्मीदें बहुत हैं.
एनआर/एजेए(एपी)