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"हसन अली पर आतंकवाद का केस क्यों नहीं"

८ मार्च २०११

हसन अली केस में सुप्रीम कोर्ट ने जांच एजेंसियों से पूछा है कि आखिर क्यों नहीं हसन अली पर आतंकवाद निरोधी कानून के तहत मुकदमा चलाया जाए. हसन अली के हथियार डीलरों से संबंध.

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तस्वीर: Wikipedia/LegalEagle

जांच में पता चला है कि करोड़ों रुपये का टैक्स चुराने और काला धन रखने के आरोपी हसन अली खान के अंतरराष्ट्रीय हथियार डीलरों से संबंध हैं. जांच के मुताबिक पुणे के कारोबारी हसन अली के आतंकवादी गतिविधियों में शामिल लोगों से भी संबंध हैं.

इन रिपोर्टों के बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने हसन अली खान पर आतंकवाद का केस चलाने की मंशा जाहिर की. जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी और एसएस निज्जर की बेंच ने कहा कि हथियारों के डीलरों और आतंकवादी गतिविधियों से जुड़े लोगों से संबंध देश की सुरक्षा के लिए खतरा हैं.

लंबे नाटक के बाद घोड़ा कारोबारी हसन अली को सोमवार शाम पुणे से गिरफ्तार किया गया. प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी हसन अली को मुंबई लेकर आए, जहां उससे पूछताछ जारी है.

हसन अली पर फिलहाल धन के अवैध लेन देन और टैक्स चोरी के आरोप हैं. उस पर फर्जी पासपोर्ट रखने का मुकदमा भी दर्ज है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या फर्जी पासपोर्ट मामले की जांच सीबीआई से करवाई जा सकती है.

इस मामले में खास तौर पर सुप्रीम कोर्ट ने बेहद सख्त रुख अपनाया है. कोर्ट कई बार केंद्र सरकार और सीबीआई को कड़ी फटकार लगा चुका है. बीते हफ्ते अदालत यह तक कह चुकी है कि आखिर हसन अली को क्यों गिरफ्तार नहीं किया जा रहा हैं.

सरकारी एजेंसियों की कार्य प्रणाली पर तंज कसते हुए कोर्ट ने कहा, ''इस देश में तमाशा चल रहा है.'' सर्वोच्च अदालत के इस कड़े रुख के बाद ही अब कुछ हरकत होती दिखाई पड़ रही है. हसन अली की गिरफ्तारी इसका पहला संकेत है.

रिपोर्ट: पीटीआई/ओ सिंह

संपादन: एस गौड़

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