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हर पांचवीं ऑनर किलिंग भारत में

२ दिसम्बर २०१३

संयुक्त राष्ट्र के आंकड़े बताते हैं कि इज्जत के नाम पर दुनिया भर में हर पांचवीं हत्या भारत में होती है. आंकड़ा 5,000 का दिया गया है लेकिन सामाजिक कार्यकर्ता इसे कहीं ज्यादा बताते हैं.

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तस्वीर: PRAKASH SINGH/AFP/Getty Images

संयुक्त राष्ट्र का दावा है कि विश्व स्तर पर इन 5,000 हत्याओं में 1,000 भारत में होती हैं. हालांकि गैरसरकारी संगठनों का कहना है कि दुनिया भर में इनकी संख्या 20,000 तक है. आम तौर पर भारत के छोटे शहरों और गांवों में इज्जत के नाम पर हत्या कर दी जाती है. लेकिन हाल के दिनों में मीडिया इस बारे में ज्यादा रिपोर्टिंग करने लगा है.

पिछले हफ्ते भारत की एक अदालत ने 14 साल की लड़की आरुषि तलवार और उसके घर पर काम करने वाले 50 साल के हेमराज की हत्या के मामले में आरुषि के मां बाप को कसूरवार ठहराते हुए उम्र कैद की सजा दी है. इसे भी सम्मान के नाम पर की गई हत्या बताया जाता है.

सीबीआई के जज श्याम लाल ने अपने फैसले में कहा कि तलवार दंपति ने अपनी बेटी को हेमराज के साथ आपत्तिजनक हालात में देख लिया था. परिस्थितिजन्य सबूतों के आधार पर दिए गए फैसले में कई सवालों के जवाब नहीं मिल पाए हैं. लेकिन आरुषि हत्याकांड की वजह से एक बार फिर ऑनर किलिंग चर्चा में है.

गांवों के मामले अहम

हालांकि हाई प्रोफाइल होने की वजह से इस केस पर काफी चर्चा हुई. लेकिन सवाल उठता है कि क्या कानून की नजर उन गांवों तक भी पहुंचेगी, जहां आए दिन इज्जत के नाम पर हत्याएं होती हैं.

रोहतक जिले की 18 साल की निधि बराक और 23 साल के धर्मेंद्र बराक को प्यार में पड़ने की बड़ी कीमत चुकानी पड़ी. जब वे भागने की कोशिश कर रहे थे, तो लड़की के पिता और उनके परिवार वालों ने दोनों को तड़पा तड़पा कर सबके सामने मार डाला. निधि और धर्मेंद्र ने अपनी योजना एक दोस्त को बता दी, जिसने लड़की के पिता को इस बारे में जानकारी दे दी. पुलिस इस दोहरे हत्याकांड को ऑनर किलिंग का मामला मान कर जांच कर रही है.

इसी तरह पानीपत में 19 साल की मीनाक्षी या मुजफ्फरनगर में 15 साल की बच्ची के मामले भी हैं. इन दोनों की भी हत्या की गई. इज्जत के नाम पर हत्याओं के मामले तो तेजी से सामने आ रहे हैं लेकिन कई आरोपी सजा से बच रहे हैं.

अलग कानून की मांग

इसके बाद यह भी सवाल उठने लगे हैं कि क्या भारत में ऑनर किलिंग के मामलों के लिए अलग कानून की जरूरत है. यूएन पॉप्यूलेशन फंड (यूएनएफपीए) का प्रस्ताव है कि ऐसा होना चाहिए. भारत के कुछ हिस्सों में खाप पंचायत चलती है, जिसकी तुलना तालिबान से की जाती है. पुरुष प्रधान इन समाजों में पंचायत कर फैसला कर दिया जाता है.

हाल में खाप पंचायतों की एक संस्था ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा है कि ग्रामीण भारत में ऑनर किलिंग के मामले में उन्हें गलत तरीके से लपेटा जा रहा है. हालांकि महिला अधिकारों की संस्था शक्ति वाहिनी ने कोर्ट से अपील की है कि वह सरकार पर इस बात का दबाव डाले कि ऑनर किलिंग के मामलों में ज्यादा तेजी से कार्रवाई हो.

उन्होंने खाप पंचायतों पर आरोप लगाया है कि वे पितृ सत्तात्मक समाज को बढ़ावा देती हैं. इसकी वजह से महिलाओं की स्थिति खराब होती है और इज्जत के नाम पर हत्याएं बढ़ती हैं.

हो सकता है कि धीरे धीरे तलवार दंपती का मामला ठंडा पड़ता जाए. लेकिन स्थिति में तब तक बदलाव नहीं होगा, जब तक पुरुष प्रधान समाज का बोलबाला कम नहीं होता.

एजेए/ओएसजे (आईपीएस)

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