सुंदरता के रहस्य और दादी नानी के नुस्खे
२ जनवरी २०१२कल्पनाओं को सच्चाई से अलग करने के लिए कुछ सौंदर्य जानकारों से इस तरह की नुस्खों पर सवाल जवाब किए गये तो बड़े दिलचस्प नतीजे सामने आए. जरा आप भी पढ़िएः
बाल मुंडवाते रहें तो वो ज्यादा घने होते हैं और तेजी से बढ़ते हैं?
सौंदर्य जानकार एलेना हेल्फेनबाइन का कहना है कि, "बालों का बढ़ना न तो उन्हें कटवाने से कम होता है न ज्यादा." जब बाल मूंड दिए जाते हैं तो एक निशान लगा दिया जाता है कि कहां तक बाल मूंडे जाएंगे. बाल मुंड़वाने के दूसरे विकल्प वैक्सिंग और एपिलेशन भी हैं. इस तरह से बाल हटाए जाएं तो दोबारा जब वो बढ़ते हैं तो उनके सिरे सुंदर होते है. कुछ खास क्रीम भी बाजार में मिलती है जो बालों के बढ़ने की गति धीमी कर देती हैं.
क्या 100 बार कंघी करने से बाल चमकदार बनते हैं?
साबुन और खुद को साफ रखने के दूसरे सामान बनाने वाली कंपनियों के जर्मन एसोसिएशन से जुड़ी बिर्गिट हूबर ने बताया कि इसमें कुछ सच्चाई है. बालों में कंघी की गई हो तो वो अच्छे दिखते हैं. हूबर ने कहा, "अगर बालों में कंघी न की गई हो तो वो नहीं चमक सकते." दवाइयां, पोषण देने वाली चीजें और निजी साफ सफाई के सामान बनाने वाली कंपनियों के जर्मन एसोसिएशन की प्रवक्ता जेनी पॉल ने इस बारे में कहा कि ठीक तरह से कंघी करने के अपने फायदे हैं. उनके मुताबिक "सौ बार कंघी करने की बात थोड़ी बढ़ा चढ़ा कर कही गई है लेकिन यह सच है कि अगर जड़ से लेकर नोक तक ठीक से कंघी की जाए तो यह बालों में तेल को हर तरफ ले जाता है. इसके अलावा कंघी से बालों से धूल, गंदगी और पसीने को निकालने में मदद मिलती है."
क्या गर्म पानी से नहाना त्वचा को नुकसान पहुंचाता है?
सौंदर्य जानकार एलेना हेल्फेनबाइन कहती हैं, "सर्द महीनों में गर्म पानी से नहाना मन को खूब भाता है पर दुर्भाग्य से इससे त्वचा को नुकसान पहुंचता है. गर्म पानी त्वचा को सुखा देती है जिसके कारण यह सख्त होते हैं और खुजलाहट होती है." हेल्फेनबाइन ने कहा कि हफ्ते में एक या दो बार गर्म पानी से नहाने में नुकसान नहीं हैं लेकिन ध्यान रखा जाना चाहिए कि नहाने से पहले तेल लगा कर त्वचा को थोड़ी मालिश दें और नहाने के बाद लोशन लगा कर नमी.
क्या टूथपेस्ट मुहांसों को सुखा देता है?
कई टूथपेस्ट में सोडियम लॉरिल सल्फेट या एसएलएस होता है. यह ऑयल और वसा को घुला देता है लेकिन टूथपेस्ट में मौजूद दूसरी चीजें मुहांसों को और बढ़ा भी सकती हैं. हेल्फेनबाइन का कहना है कि हर सुबह और रात को त्वचा की सफाई इससे कहीं ज्यादा असरदार है. जेनी पोल का कहना है कि अगर चाय के पेड़ का तेल रुई के सहारे लगाया जाय तो वो ज्यादा अच्छा होगा.
क्या दांतों को चमकाने वाले टूथपेस्ट उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं?
पोल ने बताया, "दुर्भाग्य से दातों को चमकाने वाले सख्त, महीन कण एनामेल को नुकसान पहुंचाते हैं. यह छेदों से भर जाते हैं और दांतों में बैक्टीरिया के लिए ठिकाना बनाना आसान हो जाता है." वो टूथपेस्ट जिनमें सख्त और महीन कण कम हों वो इस्तेमाल किए जा सकते हैं लेकिन अगर लंबे समय तक उनका इस्तेमाल कर लिया गया हो तो ऐसी हालत में नहीं. ज्यादा अच्छा है कि दांतों के दाग डॉक्टर या पेशेवर सफाई करने वालों की मदद से समय समय पर निकलवा लिए जाएं."
होठों का ख्याल रखने वाली क्रीम उन्हें नुकसान पहुंचाती है?
हूबर ने इसके जवाब में कहा कि इस बात के कोई वैज्ञानिक प्रमाण तो नहीं कि होठों का ख्याल रखने वाले प्रसाधन दरअसल उन्हें सुखा देते हैं जिससे कि उनमें इस प्रसाधन की लत बन जाए. हूबर के मुताबिक, "जब त्वचा बहुत कम मात्रा में लिपिड पैदा करती है या फिर वायु में नमी की मात्रा कम हो जैसा कि जाड़े में होता है तो होठों का ख्याल रखने वाले प्रसाधनों को हर रोज कई बार इस्तेमाल करना पड़ता है." इस बारे में पोल ने कहा कि बादाम या रुचिरा का तेल या फिर गेंदे के फूल इसमें ज्यादा कारगर हो सकते हैं. उन्होंने ग्लिसरीन या खनिज तेल वाले प्रसाधनों को होठों पर इस्तेमाल करने से बचने को कहा उनके मुताबिक उसकी जगह शहद ज्यादा अच्छा है.
हर रात सोने से पहले मेकअप उतारना जरूरी नहीं?
पोल के मुताबिक यह एकदम गलत है. चाहे जितनी भी देर हो गई हो हर रात मेकआप को उतारना बेहद जरूरी है. रात के दौरान त्वचा एक तरह से फिर पैदा होती है. मेकअप की परतें, धूल और तेल इस प्रक्रिया में बाधा डालते हैं.
नाखून पॉलिश नाखूनों को सांस लेने से रोकते हैं.
पोल ने कहा कि यह अंधविश्वास का शानदार नमूना है. नाखून जीवनरहित कोशिकाओं से बनी होती है जो सांस नहीं लेतीं. इन पर नाखून पॉलिश की परत दरअसल इनकी रक्षा करती है. हालांकि पोल ने यह भी कहा कि इसमें बेहद सावधानी की जरूरत है क्योंकि इन पॉलिशों में ऐसे तत्व हो सकते हैं जो नाखूनों को मुलायम कर दें या फिर पराबैंगनी फिल्टर जो नाखूनों को नुकसान पहुंचा सकते हैं. पॉलिश किन चीजों से मिल कर बना है यह जरूर देखें.
रिपोर्टः डीपीए/एन रंजन
संपादनः महेश झा