सीरिया संकटः 5 जरूरी बातें
२२ जनवरी २०१४सम्मेलन का मकसद
सीरिया में जारी गृह युद्ध का राजनीतिक हल निकालना ही इसका उद्देश्य है. अमेरिका, रूस और संयुक्त राष्ट्र सीरिया सरकार और विपक्ष के प्रतिनिधियों को चर्चा के लिए एक मेज पर लाने की कोशिश कर रहे हैं. पहले भी कई बार बातचीत टलने के बाद आखिरकार शुक्रवार को विपक्ष और सीरिया सरकार के बीच शांति वार्ता का आगाज होगा. सम्मेलन जेनेवा में 2012 में की गई अंतरिम सरकार लाने की घोषणा पर आधारित है. लेकिन इस घोषणा में राष्ट्रपति असद के हटाए जाने की बात को नहीं रखा गया था.
कौन होना आमने सामने
शांति वार्ता में हिस्सा लेने के लिए सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद नहीं जाएंगे. सीरिया सरकार की तरफ से भेजे जा रहे प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्री वलीम अल मुअल्लिम करेंगे. शांति वार्ता में ईरान के शामिल होने की शर्त पर विपक्ष ने इसमें हिस्सा लेने से मना कर दिया था. बाद में ईरान को बातचीत से बाहर कर दिया गया.
सोमवार को जारी औपचारिक बयान में ईरान ने सीरिया में अंतरिम सरकार की बात से इनकार कर दिया. इसके बाद संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने उसको भेजा गया आमंत्रण रद्द किया.
सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय समूह
सीरिया पर हो रहे सम्मेलन में चार अंतरराष्ट्रीय संस्थान (संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ, अरब लीग और इस्लामी सहयोग संस्था) दुनिया भर के 30 देशों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.
असद सरकार का लक्ष्य
सीरिया के राष्ट्रपति असद खुद अपनी कार्रवाइयों को उचित ठहराते आए हैं. वह लगातार विपक्षी लड़ाकुओं को आतंकवादियों के नाम से पुकारते आए हैं. उनका कहना है देश में उनकी सरकार की लड़ाई आतंकवाद के खिलाफ चल रही है. 2014 के चुनाव में वह राष्ट्रपति पद के लिए दोबारा खड़े होने जा रहे हैं और उनका दावा है कि उन्हें दोबारा राष्ट्रपति बनने से कोई नहीं रोक सकता.
सीरिया के विदेश मंत्रालय के एक सदस्य ने कहा कि सीरियाई दल इस वार्ता में सत्ता सौंपने के इरादे से शामिल नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा पश्चिम द्वारा की जा रही असद के इस्तीफे की बात चर्चा का विषय ही नहीं है. सरकार का यह भी कहना है कि वे आतंकवादियों के साथ समझौते पर दस्तखत नहीं करेंगे. यहां आतंकवादियों से उनका मतलब विपक्ष और उसके समर्थकों से है.
शांति वार्ता में प्रतिनिधिमंडल कई विपक्षी समूहों के साथ बैठेगा. वार्ता से पहले असद की सरकार ने कुछ नरमी का रवैया दिखाया है जिसमें अलेपो में युद्ध विराम का प्रस्ताव भी है.
विपक्ष की मांग
असद को सत्ता से हटाना विपक्ष का अहम मकसद है. ज्यादातर विपक्षी समूह असद को हटा कर अंतरिम सरकार चाहते हैं. वे इसमें असद सरकार के वे अधिकारी भी नहीं चाहते जिन्होंने क्रांति को दबाने में भूमिका निभाई. वे चाहते हैं कि अंतरिम सरकार की देख रेख में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराए जाएं और लोकतंत्र की स्थापना हो. सीरिया राष्ट्रीय गठबंधन के सादिक अल मूसली ने कहा, "इसके अलावा खुफिया सेवा और सेना में सुधार की भी जरूरत है. उसे सत्ता की नहीं नागरिकों की सेवा करनी चाहिए."
क्या हैं पहलू
असद शासन के पास दो बातों का फायदा है: पहला यह कि विपक्ष बंटा हुआ है. और विपक्ष में उदारवादी और इस्लामी समूहों के बीच फासला है. कई समूहों के बीच आपसी मतभेद हैं. ऐसे में सम्मेलन में विपक्ष एकजुट नहीं हो पाएगा जिससे उनकी स्थिति असद सरकार के सामने कमजोर पड़ सकती है. विरोध में कट्टर इस्लामियों का शामिल होना असद के फायदे में जा रहा है. वह साबित कर सकते हैं कि अगर वहां कट्टरपंथियों का प्रभाव नहीं बढ़ने देना है, तो वह यह काम कर सकते हैं. यह रणनीति कामयाब भी हो चुकी है, जब कुछ पश्चिमी ताकतों ने कहा है कि दो खतरों के बीच असद कम बुरे हैं.
कितनी है संभावना
इस सम्मेलन को लेकर अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी सतर्क हैं, "हम सब जानते हैं कि राजनीतिक हल निकालने की दिशा में दिक्कतें कई हैं और हम सीरिया पर कांफ्रेंस में आंखें खोल कर शामिल होंगे." उन्होंने सीरिया मुद्दे का हल निकालने की दिशा में इस सम्मेलन को सबसे अच्छा विकल्प बताया.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून भी काफी सतर्क हैं. उन्होंने कहा, "समझौता करना मुश्किल होगा लेकिन उसके बगैर खून खराबा और निराशा ही जारी रहेगी." सीरिया पर शुरू हो रही बातचीत को जेनेवा 2 कहा जा रहा है. यह पड़ोसी शहर मोंत्रोए में शुरू होगा लेकिन जेनेवा में खत्म होगा.
रिपोर्टः निल्स नॉयमन/एसएफ
संपादनः ए जमाल