गूगल, एप्पल ने भरा जुर्माना
२५ अप्रैल २०१४अमेरिकी कंपनी एप्पल हो, गूगल, इंटेल या एडोब सिस्टम्स, टेक्नोलॉजी की इन दिग्गज कंपनियों में एक बात समान है. इन सब ने अपने काबिल इंजीनियरों और खास कर्मचारियों को अपनी कंपनी छोड़ने से रोकने के लिए साजिश की. इन पर आरोप लगा है कि इन्होंने टेक्नोलॉजी का मक्का माने जाने वाली सिलिकॉन वैली में आपस की मिलीभगत से कर्मचारियों का वेतन बढ़ने से रोका. इस बात के लिए यहां के हजारों कर्मचारियों ने मिलकर 2011 में इन कंपनियों पर मुकदमा कर दिया. इस मामले में दायर किए गए क्लास-एक्शन लॉसूट पर कुछ ही हफ्तों में सुनवाई शुरू होनी थी. इसके पहले ही कंपनियों ने 300 मिलियन अमेरिकी डॉलर से भी ज्यादा का जुर्माना भरके मामले को निपटा दिया है.
दुनिया भर की इस मामले पर नजर इसलिए बनी हुई है क्योंकि इससे सिलिकॉन वैली के चलन के बारे में पता चलता है. कोर्ट के दस्तावेजों के अनुसार, पीड़ित कर्मचारी अपने मुकदमे के तहत इन कंपनियों से करीब 3 अरब अमेरिकी डॉलर के हर्जाने की मांग कर रहे थे. सुनवाई के दौरान अगर कारोबार में बेईमानी को रोकने वाले एंटीट्रस्ट कानून का उल्लंघन साबित होता, तो हर्जाने की रकम तिगुनी तक हो सकती थी. मामला इन चारों बड़ी कंपनियों के प्रमुखों के बीच ईमेल पर हुई बातचीत पर आधारित है. एप्पल के स्वर्गीय सहसंस्थापक स्टीव जॉब्स, गूगल के पूर्व सीईयो एरिक श्मिट और सिलिकॉन वैली के कई दूसरे शक्तिशाली लोगों ने एक दूसरे के महत्वपूर्ण कर्मचारियों को हथियाने से रोकने के लिए ईमेल पर कई बार बाते कीं.
इन कंपनियों ने माना है कि उन्होंने एक दूसरे के साथ 'नो-हायर' समझौते किए लेकिन वे यह नहीं मानते कि उन्होंने कर्मचारियों का मेहनताना कम करने की कोई साजिश की. सिलिकॉन वैली के एंटीट्रस्ट एक्सपर्ट, रिच ग्रे बताते हैं कि कंपनियों के लिए मामले की सुनवाई से बचना ही फायदेमंद है क्योंकि उनके प्रमुखों बीच ईमेल पर हुई बातों के कारण वे फंस सकते थे. असल में इन चारों कंपनियों ने 2010 में ही अमेरिकी न्याय विभाग की एक जांच के बाद माना कि वे भविष्य में ऐसा कोई 'नो-हायर' समझौता नहीं करेंगी. उसके बाद से ही ये चारों कंपनियां सिविल एंटीट्रस्ट क्लास एक्शन के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रही हैं.
इस ताजा मामले पर एप्पल, गूगल और इंटेल के प्रवक्ताओं ने कोई प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया. एडोब सिस्टम्स के एक प्रतिनिधि ने कहा है कि उनकी कंपनी ने कुछ भी गलत नहीं किया है लेकिन वे सिर्फ "अनिश्चितताओं, खर्च और मुकदमेबाजी में फंसने से बचने के लिए" मामले को अभी सुलझा लेना चाहते हैं. कंपनियों का मानना है कि कर्मचारियों को यह अधिकार नहीं होना चाहिए कि वे समूह बनाकर उन पर मुकदमा कर सकें. करीब 64,000 कर्मचारियों की ओर से दायर किए गए इस मामले पर सुनवाई मई के अंत में शुरू होने वाली थी.
आरआर/आईबी (रॉयटर्स, एपी)