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सांस्कृतिक कलाकृतियों की लूट रोकने की कोशिश

७ जून २०१५

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने उग्रपंथियों के हमलों से सांस्कृतिक धरोहरों की रक्षा के लिए प्रस्ताव पास किया. सांस्कृतिक धरोहरों की लूट सदियों से युद्ध का हिस्सा रहे हैं. महासभा को उम्मीद है कि भविष्य में उसे रोका जा सकेगा.

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Gemälde "Wendy and Me" von George Rodrigue
तस्वीर: REUTERS/George Rodrigue Foundation of the Arts

संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव में इस बात की भर्त्सना की है कि सांस्कृतिक ठिकानों पर हमला आतंक और घृणा फैलाने, विवाद भड़काने और हिंसक उग्रवादी विचारों को थोपने के लिए युद्ध की एक रणनीति है. अबाध्यकारी प्रस्ताव में मांग की गई है कि ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों पर हमले नहीं किए जाएं. सरकारों से यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि लूटी हुई कलाकृतियों को संग्रहालयों और कला व्यापारियों द्वारा न बेचा जाए. संयुक्त राष्ट्र के उप महासचिव यान एलियासन ने कहा, "हमें अपने उन मूल्यों और सिद्धांतों के लिए अपनी साझा मानवीयता और साझा जिम्मेदारी पर विचार करना चाहिए, जिन पर हमला हो रहा है लेकिन जिसकी रक्षा होना चाहिए."

यह प्रस्ताव इराक और जर्मनी की पहल पर पास किया गया है. इससे पहले सुरक्षा परिषद में सांस्कृतिक धरोहरों की रक्षा के लिए बाध्यकारी प्रस्ताव पास करने की कोशिश विफल हो गई थी. महासभा में प्रस्ताव सहमति से पास किया गया जिसका मतलब यह है कि सभी 193 देशों ने प्रस्ताव का समर्थन किया. संयुक्त राष्ट्र में इराक के राजदूत मोहम्मद अल्हाकिन ने कहा, "जब आप प्रस्ताव पेश करते हैं या उसे समर्थन देते हैं तो आप मानकर चलते हैं ज्यादातर कदम व्यावहारिक और नैतिक रूप से बाध्यकारी हैं."

जर्मनी की विदेश राज्यमंत्री मारिया बोएमर ने इराक और सीरिया में चल रहे गृहयुद्ध का हवाला देते हुए कहा कि सीरिया में सवा 2 लाख लोग मारे गए हैं, मानवीय विपदा का आयाम असहनीय है. उन्होंने कहा, "युद्ध में मानवता की सांस्कृतिक स्मृति भी नष्ट की जा रही है." इराक और सीरिया में लगातार आगे बढ़ रहे इस्लामिक स्टेट के उग्रवादियों ने इराकी शहर मोसुल, नाइनवेह और निमरुद में सांस्कृतिक कलाकृतियों को बड़े पैमाने पर नष्ट किया है और संदेह है कि वे सीरिया में पाल्मिरा पर कब्जे के बाद वहां विश्व धरोहर स्थन को भी नष्ट कर देंगे.

जर्मनी का कहना है कि सांस्कृतिक धरोहरों को जानबूझकर नष्ट करने को आतंकवादी कार्रवाई माना जाना चाहिए और उसे युद्ध अपराध करार देना चाहिए. लेकिन इस लूट को रोकने के लिए काला बाजार में ऐतिहासिक कलाकृतियों के कारोबार पर रोक जरूरी है. जर्मनी ने अपराधियों का पीछा करने, उन्हें सख्त सजा देने और चोरी की कलाकृतियों का व्यापार रोकने की मांग की है.

चोरी की कलाकृतियां

इस बीच चोरी की कलाकृतियों के मामले में अंतरराष्ट्रीय सहयोग हो रहा है. अमेरिका ने हाल ही में इटली को वहां से चुराए गए प्राचीन काल के फूलदान, भित्तिचित्र और पांडुलिपियां वापस कर दी हैं जिन्हं अवैध रूप से वहां से ले जाया गया था. ये संग्रहालयों, नीलामीघरों और निजी कलेक्शन में पाए गए थे. इटली ने चोरी की कलाकृतियों का पता लगाने के लिए पुलिस की एक विशेष टुकड़ी बना रखी है. अमेरिका से कलाकृतियों की वापसी उसकी सफल कार्रवाईयों में सबसे ताजा है. इनमें 2500 साल पुराना एट्रुस्कन वाज और पॉम्पी से चुराया गया भित्तिचित्र भी था.

पुलिस ने एक बयान में कहा कि इटैलियन कला के 25 अद्भुत नमूने अमेरिकी मातृभूमि सुरक्षा विभाग के निकट सहयोग से खोजे गए हैं. उन्हें देश के विभिन्न हिस्सों से खोज कर निकाला गया है. इनमें ओहायो और मिनियापोलिस के संग्रहालय शामिल हैं. इन कलाकृतियों को न्यूयॉर्क के सोथबी और क्रिस्टीज नीलामीघरों में बेचा जाना था जिन्हें उनके उद्गम के बारे में गलत सूचनाएं दी गई थीं. पुलिस ने कहा है कि कुछ कलाकृतियां उनके चोरी का होने के बारे में पता चलते ही वापस कर दी गई. एक मामले में गैलरी ने प्रतिरोध किया जिसकी वजह से कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी.

एमजे/आरआर (एएफपी, रॉयटर्स)