1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

सही साबित होते आइंस्टीन के अनुमान

१४ मई २०११

लगभग एक शताब्दी के बाद अल्बर्ट आइंस्टीन का कहना सच प्रमाणित हो रहा है. लेकिन प्रमाण आसानी से हाथ नहीं लगे हैं. उन्हें हासिल करने वाला परीक्षण पांच दशक चला और डिजाइन करने और संचालन पर लगभग 75 करोड़ डॉलर खर्च हुए.

https://p.dw.com/p/11Fqe
EINSTEIN, Albert (1879-1955). German physicist and mathematician, Nobel Prize in 1921. Portrait of Einstein with his formula of the energy. Oil on canvas. ullstein bild - AISA
तस्वीर: ullstein bild - AISA

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के इस परीक्षण ग्रैविटी प्रोब बी ने आइंस्टीन के गुरुत्वाकर्षण के सामान्य सिद्धांत के दो प्रमुख पूर्वानुमानों की पुष्टि कर दी है. पहला यह कि किसी पिंड का गुरुत्वाकर्षण उसके इर्द गिर्द के अंतरिक्ष और समय के रूप आकार को विकृत कर देता है. और दूसरा कि अपनी धुरी पर घूमता हुआ यह पिंड अपने आस पास के अंतरिक्ष और समय को अपने साथ साथ खींचता चलता है.

आइंस्टीन के इन दो पूर्वानुमानों की पड़ताल करने के उद्देश्य से 2004 में अंतरिक्ष में भेजे गए ग्रैविटी प्रोब बी यानी जीपीबी परीक्षण के तहत बहुत ही अधिक सूक्ष्मता वाले चार जायरोस्कोप इस्तेमाल किए गए. पृथ्वी के गिर्द परिक्रमा करने वाले इन जायरोस्कोपों का काम यह पता लगाना था कि क्या पृथ्वी और अन्य विशाल पिंड अपने गिर्द अंतरिक्ष और समय को उस रूप में प्रभावित करते हैं, जैसा आइंस्टीन का कहना था. और अगर हां, तो किस हद तक. परीक्षण के प्रमुख जांचकर्ता फ्रांसिस ऐवरिट पैलो ऐल्टो कैलिफ़ोर्निया के स्टैनफ़र्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर हैं. उन्होंने परीक्षण की चर्चा करते हुए बताया, "हमारे परीक्षण में जायरोस्कोप पृथ्वी की कक्षा में स्थित किए गए. इस सवाल का जवाब हासिल करने के लिए कि क्या होता है. हमारा जाइयरोस्कोप पिंगपांग की गेंद के नाप और आकार का है और चक्कर काटती हुई इस गेंद को एक सितारे की दिशा में लक्षित किया जाता है. यह देखने के लिए कि परिणाम क्या होता है."

अगर गुरुत्वाकर्षण का अंतरिक्ष और समय पर असर न पड़ता, तो पृथ्वी की ध्रुवीय कक्षा में स्थित किए गए ये जायरोस्कोप हमेशा एक ही दिशा में लक्षित रहते. लेकिन पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के असर से जायरोस्कोपों के चक्कर की दिशा में थोड़ा लेकिन मापा जा सकने वाला परिवर्तन हुआ. और इस तरह आइंस्टीन की धारणा को पुष्टि हासिल हो गई.

Dr. Albert Einstein writes out an equation for the density of the Milky Way on the blackboard at the Carnegie Institute, Mt. Wilson Observatory headquarters in Pasadena, Calif., on Jan. 14, 1931. Einstein achieved world reknown in 1905, at age 26, when he expounded his Special Theory of Relativity which proposed the existence of atomic energy. Though his concepts ushered in the atomic age, he was a pacifist who warned against the arms race. Einstein, who radically changed mankind's vision of the universe, was awarded the Nobel Prize for Physics in 1921. (AP Photo)
तस्वीर: AP

न्यूटन और आइंस्टीन के ब्रह्मांड

आइंस्टीन से पहले तक अंतरिक्ष और समय को किसी भी असर से मुक्त माना जाता था. इस संबंध में बात करते हुए फ्रांसिस ऐवरिट कहते हैं, "अगर हम वैज्ञानिक आइजक न्यूटन की परिकल्पना के ब्रह्मांड में रह रहे होते, जहां अंतरिक्ष और समय अबाधित हैं, तो घूमते हुए किसी अदोष गोले की दिशा ज्यों की त्यों रहती. लेकिन आइंस्टीन का ब्रह्मांड इससे अलग है, और उसमें दो अलग अलग तरह के असर होते हैं. पृथ्वी के द्रव्यमान के प्रभाव से अंतरिक्ष में आने वाली विकृति और पृथ्वी के घूमने के परिणाम में अंतरिक्ष में आने वाला खिंचाव."

शहद में डूबी पृथ्वी?

यह खिंचाव किस रूप में पैदा होता है, इसका स्पष्टीकरण ऐवरिट एक बहुत ही दिलचस्प तुलना के साथ करते हैं, "कल्पना करें कि पृथ्वी शहद में डूबी हुई है. तो जब पृथ्वी घूमेगी, तो वह अपने साथ अपने आसपास के उस शहद को भी अपने साथ खींचती चलेगी. इसी तरह वह जायरोस्कोप को भी साथ खींचती चलेगी."

जीपीबी परीक्षण के बारे में ऐवरिट का कहना है कि आइंस्टीन की दो धारणाओं के प्रमाणित होने का पूरी अंतरिक्ष भौतिकी में हो रही खोजों पर असर पड़ेगा.

In this April 20, 2011 photo provided by NASA, the Hubble Space Telescope captures a group of interacting galaxies called Arp 273. The larger of the spiral galaxies, known as UGC 1810, has a disk that is tidally distorted into a rose-like shape by the gravitational tidal pull of the companion galaxy below it, known as UGC 1813. A swath of blue jewels across the top is the combined light from clusters of intensely bright and hot young blue stars. The smaller, nearly edge-on companion shows distinct signs of intense star formation at its nucleus, perhaps triggered by the encounter with the companion galaxy. A series of uncommon spiral patterns in the large galaxy is a tell-tale sign of interaction. Arp 273 lies in the constellation Andromeda and is roughly 300 million light-years away from Earth. Hubble was launched April 24, 1990, aboard Discovery's STS-31 mission. (AP Photo/NASA)
तस्वीर: AP

जीपीबी अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के इतिहास की सबसे अधिक देर तक चली परियोजनाओं में से है, जिसकी शुरुआत 1963 में हुई. उसने ब्योरा जुटाने का अपना काम दिसंबर 2010 में समाप्त किया.

जीपीबी की व्यापक पहुंच

जीपीबी के परिणाम में हुए आविष्कारों का इस्तेमाल जीपीएस तकनीक में किया गया है, जिनके नतीजे में विमान बिना सहायता के उतर पाते हैं. जीपीबी की अतिरिक्त तकनीक नासा के कोबी मिशन में भी इस्तेमाल की गईं, जिस मिशन ने ब्रह्मांड के पृष्ठभूमि प्रकाश का सुस्पष्ट रूप से सही निर्धारण किया. जीपीबी टेक्नोलॉजी की ही सहायता से नासा का गुरुत्वाकर्षण बहाली और जलवायु परीक्षण संभव हो पाया और साथ ही यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का ओशन सर्कुलेशन ऐक्सप्लोर भी.

जीपीबी मिशन की पूरे अमेरिका में एक प्रशिक्षण केंद्र के रूप में भी भूमिका रही है. डॉक्टरेट और मास्टर डिग्रियों से लेकर अंडरग्रैजुएट और हाई स्कूल तक के छात्रों के लिए. वास्तव में जीपीबी पर काम करने वाले ग्रैजुएट छात्रों में से एक ने बिल्कुल पहली महिला अंतरिक्षयात्री होने के इतिहास की रचना की. यह महिला अंतरिक्षयात्री थीं, सैली राइड.

रिपोर्टः गुलशन मधुर, वॉशिंगटन

संपादनः ए जमाल