सरकार से खफा जर्मन नागरिक सड़कों पर उतरे
१४ नवम्बर २०१०जर्मनी में प्रदर्शन मजदूर यूनियनों के संघ डीजीबी ने आयोजित किए थे. डीजीबी के मुताबिक लगभग एक लाख लोगों ने श्टुटगार्ट, डोर्टमुंड, न्यूरेंबर्ग और एयरफुर्ट में प्रदर्शनों में हिस्सा लिया. सरकार पर उनका आरोप है कि वे वित्तीय संकट का बोझ लोगों पर डाल रहे हैं.
यूनियन ईगे मेटाल के प्रमुख बेर्टहोल्ड हूबर में कहा, "हमें ऐसा गणतंत्र नहीं चाहिए जिसमें ताकतवर संगठन राजनीति को अपने पैसों से चलाने की कोशिश कर रहे हों." हूबर ने सरकार से तनख्वाह में बढ़ोतरी और न्यूनतम सीमा की मांग की है. उनका कहना है कि इससे जर्मनी में मजदूरों को देश में आर्थिक विकास का फायदा मिलेगा क्योंकि जर्मन अर्थव्यवस्था यूरोपीय संघ के देशों से कहीं अच्छा कर रही है.
उधर चांसलर मैर्कल की क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक पार्टी सीडीयू नवंबर 14 से लेकर 16 तक अपनी सालाना पार्टी बैठक का आयोजन कर रही है. बैठक में सत्ताधारी गठबंधन में सीडीयू के साथी लिबरल पार्टी एफडीपी से मतभेद पर भी बात होगी. मैर्कल पर सीडीयू के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि उनकी नीतियां उतनी रूढ़ीवादी नहीं है. इसका जवाब देते हुए मैर्कल ने एक अखबार में कहा था कि रूढिवादियों के लिए सीडीयू और सीएसयू में जगह है, लेकिन उन्हें बदलते वक्त का भी ख्याल रखना होगा.
जर्मनी की श्रम मंत्री उर्सूला फैन डेयर लायन ने कहा है कि बैठक में पार्टी को मैर्कल का नया उत्तराधिकारी चुनने के बारे में सोचना होगा. इससे पार्टी प्रमुख की हैसियत से मैर्कल को फैन डेयर लायन खुद चुनौती दे सकती हैं. मैर्कल 2013 तक जर्मनी की चांसलर रहेंगी लेकिन वे एक तीसरे शासनकाल के लिए एक बार फिर चुनाव लड़ सकती हैं.
आर्थिक संकट के बाद मैर्केल के चुनावी वादे भी साकार नहीं हो पाए हैं. टैक्स में कटौती के बजाए सरकार अब बचत और बजट पर ध्यान दे रही है. वहीं पिछले महीनों में जर्मन जनता कई बार सड़कों पर उतर चुकी है. पिछले हफ्ते परमाणु कचरे के खिलाफ लोगों ने जबरदस्त प्रदर्शन किए तो श्टुटगार्ट में नागरिकों ने अरबों यूरो के रेलवे स्टेशन के खिलाफ विरोध जताया.
रिपोर्टः एजेंसियां/ एमजी
संपादनः एस गौड़