सरकार भरे मुआवज़ा: एयरलाइन्स
२२ अप्रैल २०१०हवाई कंपनियों में नुकसान को लेकर खासी नाराज़गी देखी जा रही है. यूरोकंट्रोल के अनुसार पिछले सप्ताह यूरोप में 190,000 उ़डानें संचालित होनी थीं जिसमें आधे से ज्यादा रद्द हो गईं. अंतरराष्ट्रीय हवाई यातायात संघ आईएटीए ने कहा कि उ़डानों पर प्रतिबंध के कारण उसके सदस्यों को करीब 2 अरब डॉलर का नुकसान उठाना प़डा है. आईएटीए की अब मांग है कि सरकार इसकी पूरी ज़िम्मेदारी ले. आईएटीए के निर्देशक जिओवानी बिसनियानी ने कहा, "जब आपको सरकार के फ़ैसले के कारण उड़ानें बंद करनी पड़ती हैं तो फिर सरकार को ही इसका मुआवजा उठाना चाहिए.
आईएटीए में हम हमेशा से राहत पैकेज के खिलाफ रहे हैं. हमने सरकार को बैंकों, इंशोरेंस और कार कंपनियों को राहत पैकेज देते देखा है, लेकिन हम हमेशा इसके विरुद्ध ही रहे हैं. पर यह एक अलग स्थिति है. यह आर्थिक संकट नहीं है. यह स्थिति सरकार के खुद के फैसले के वजह से उभरी है."
वैज्ञानिकों का खंडन
वहीं यूरोप में वैज्ञानिकों ने इस बात को गलत ठहराते हुए कहा है कि हवाई सेवा रोकना ज़रूरी था क्योंकि ज्वालामुखी से उठी राख से भारी खतरा हो सकता था. सरकार ने इस विषय पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया सामने नही दी है.
आइसलैंड में ज्वालामुखी विस्फोट से उठने वाली राख के कारण एक सप्ताह तक हवाई क्षेत्र के बंद रहने के बाद आज यूरोप में हवाई यातायात सामान्य हो गया. पूरे यूरोप में इस डर से उ़डानों को रद्द कर दिया गया था कि ज्वालामुखी विस्फोट से उठी राख विमान के इंजन को नुकसान पहुंचा सकती है. इतने लम्बे समय तक उड़ानें रद्द होने से हवाई कंपनियों और दुनिया भर में फंसे आम यात्रियों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा और भारी नुकसान भी उठाना पड़ा. कई यात्रियों को होटल और नए टिकटों का खर्चा भी इस आश्वासन के साथ खुद ही उठाना पड़ा कि हवाई कम्पनियां उनका मुआवजा चुका देंगी.
रिपोर्टः एजेंसियां/ईशा भाटिया
संपादनः आभा मोंढे