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समाज में मीडिया की भूमिका

२६ जून २०१३

हमने आपसे पूछा था कि किसान और मजदूर तबके को विकास से जोड़ने और उनकी दशा सुधारने की दिशा में मीडिया क्या भूमिका निभा सकता है… इस विषय पर पाठको से आए कुछ दिलचस्प विचार आपके लिए भी ...

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तस्वीर: Fotolia

किसान, मजदूर आज तक विकास से कोसों दूर हैं. उन तक सरकारी योजनाओं के बारे में जरा भी जानकारी पहुंच नहीं पाती. एक तरफ समाज में वर्ग शिक्षा से अपना विकास कर रहे हैं और किसान, मजदूर शिक्षा के आभाव से विकास से काफी दूर हैं. टीवी, रेडियो जैसे साधनों का उपयोग आज भी गरीब लोग मनोरंजन के लिए करते हैं. इन्ही साधनों द्वारा गरीब लोगों तक सरकारी योजनाओं की जानकारी आसानी से मीडिया पहुंचा सकता है और मीडिया से ही धीरे धीरे ये लोग मुख्य धारा में आ रहे हैं.

सविता जावले, मार्कोनी डीएक्स क्लब, परली वैजनाथ, महाराष्ट्र

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गरीब और विकासशील देशों में ज्यादातर किसान और मजदूर जैसे तबके, जो विकास से अछूते रह जाते हैं, उन्हें विकास से जोड़ने और उनकी दशा सुधारने की दिशा में मीडिया दो तरीकों से बहुत अहम भूमिका निभा सकता है. एक तो उनको बताया जाए कि उनके हक क्या हैं. दूसरा यह कि उनकी जिंदगी के हालात को दुनिया के सामने लाया जाए.

1. हमारे किसान और मजदूर ज्यादातर अनपढ़ हैं इसलिये उनको पता ही नहीं होता कि दुनिया के दूसरे देशों में उन्हीं जैसे किसान और मजदूर क्यों अधिक खुश और खुशहाल हैं. उनको जब यह मालूम होगा तो उनमें कुछ न कुछ बदलाव तो ज़रूर आएगा.

2. दुनिया को ऐसे गरीब और विकासशील देशों के ज्यादातर किसानों और मजदूरों की असल जीवन की सही सही झलक दिखाई जाये कि कैसी होती है

आजम अली सूमरो, ख़ैरपुर मीरस, सिंध, पाकिसतान

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समाज में मीडिया की पहुंच का अंदाजा लगाना बेहद मुश्किल है. मीडिया समाज की दशा और दिशा बदलने में सक्षम है. दुर्भाग्य से गरीब और विकासशील देशों में मीडिया की भूमिका आज भी खुलकर सामने नहीं आ पाई है. वहां मीडिया या तो ऊंची पहुंच वाले राजनीतिज्ञों अथवा तानाशाहों के दबाव में खुलकर सामने नहीं आ पाता या फिर उनकी विरुदावलियां गाने में ही अपना भला समझता है. कॉरपोरेट सेक्टर की चमक-दमक में चुंधियाया मीडिया नीचे काश्तकार तबके के संघर्षों की कालिमा को नहीं देख पाता. मीडिया चाहे तो किसानों-मजदूरों को उनका हक दिला सकता है. बाजार का उतार-चढ़ाव और पूंजी का प्रवाह मजदूरों-किसानों के हाथों में हो सकता है. जरूरत है तो बस ईमानदार मिडियाकर्मियों की जो व्यर्थ थूक उछालने की बजाय सामाजिक उद्देश्यों की पूर्ति के प्रति कटिबद्ध हो.

Tunesien: Belebt der Tourismus die traditionellen Handwerke? Copper craftsman in his shop. He works on a piece of traditional handmade copper. Bild: 17 Jul 2012, Tunis Medina, DW
तस्वीर: DW

माधव शर्मा, एसएनके स्कूल, राजकोट, गुजरात

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गरीबों व किसानों को विकास से जोड़ने के लिए मीडिया को सरकार की विकासशील योजनाओ को गरीबों व किसानों तक, और जनता की जरुरतों को सरकार तक पहुंचा सकता है. मीडिया किसानों को खेतों की नई-नई किस्मों की जानकारॊ दे सकता है. देश-दुनिया की खबरों से अवगत करा सकता है.

हरजीत सिंह, ग्राम तीकरी कलान, तहसील सिकंदर राव, जिला हाथरस, उत्तर प्रदेश

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Bildbeschreibung: Weber stellen die berühmten Baluchari Saris her im Bankura Distrikt des indischen Bundesstaates West Bengalen. Bild: Prabhakar Mani Tiwari Aufnahmeort: 25.12.2011
तस्वीर: Prabhakar Mani Tiwari

किसी भी देश में चाहे वो विकसित हो या विकासशील, मीडिया मजदूर, किसान या कोई भी ग्रुप जो विकास से दूर है, उसको मुख्यधारा में लाने तथा विकास में शामिल करने में दोहरी भूमिका अदा कर सकता है, बिलकुल एक पुल की तरह, जो सरकार और विकास से पिछड़े ग्रुप के बीच में हो जहां मीडिया सरकार या विकास की योजना बनाने वाले के लिए आंखे बनेगा जो पिछड़े ग्रुप या विकास की धरा से दूर किसान, मजदूर वर्ग के पहचान कर सरकार की नजर में लायेगा ताकि इस पिछड़े ग्रुप को भी विकास से रूबरू करवाया जा सकें वहीं पिछड़े व विकास से अछूते ग्रुप को विकास के फायदे और उससे उनके जीवन में क्या परिवर्तन होगा उसकी जानकारी उन तक देगा मीडिया दोनों के मिसमैच को दूर करना मीडिया का कार्य होगा. मीडिया अपने इस डबल रोल को बखूबी चंग से प्ले करके बहुत से जीवन बदलने में मदद कर सकता है.

त्रिशला जी, करनाल, हरियाणा

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आज मीडिया जनसंचार का सबसे बडा माध्यम है. मीडिया का असर किसी भी देश की संस्कृति और समाज पर व्यापक रूप से होता है ,ऐसे में मीडिया की यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है कि देश की वस्तुस्थिति की सही तस्वीर पेश करे, लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि मीडिया पर पूंजीवादी प्रवृत्ति का प्रभाव बढ रहा है. आज आवश्यकता इस बात की है कि मीडिया जन मानस की आवाज बने, किसानों की समस्याओं, कुपोषण, आदिवासी क्षेत्रों तथा जनकल्याणकारी योजानाओं की क्या स्थिति है ? इसका वास्तविक चित्रण करना होगा साथ ऐसी सार्थक खबरो को प्राथमिकता देनी होगी. सामाजिक चेतना, गंभीर आर्थिक विषमता, जनसामान्य के प्रति संवदेना जागृत करने के लिए मीडिया को आगे आना होगा. लेकिन आज मीडिया गरीबी के दृश्य तब तक नहीं दिखाती जब तक कोई स्पांसर नहीं मिल जाता है. कवि दुष्यंत की यह पांक्तियां याद आती हैं „मत कहो आकाश में कुहरा घना है, यह किसी की व्यक्तिगत आलोचना है “.

अर्चना राजपूत, लोधी नगर छर्रा, जिला अलीगढ, उत्तर प्रदेश

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Männer- und Frauenarbeit Die Männer übernehmen die Holzschnitzerei, die Frauen die Lackarbeiten. Autor und Copyright: Rodion Ebbighausen Eingestellt: Oktober 2012
तस्वीर: Rodion Ebbighausen

मीडिया सबसे अहम रोल अदा कर सकता है उस वर्ग को विकास की धारा में शामिल करने के लिए जो विकास से अछूता रह गया है खास कर किसान/मजदूर वर्ग. मीडिया हर जगह पहुंच रखता है क्योंकि वो है सबसे बड़ा अनुभवी. सो वह वर्ग जो विकास से अछूता रह गया है मीडिया का कर्तव्य है कि वह उस वर्ग को उस माध्यम से सब दिखाए, समझाए की देश में कितना विकास हुआ है और वह कैसे खुद को विकास में शामिल करके अपना और अपने परिवार का भविष्य सुधार सकते हैं जिस माध्यम को किसान या मजदूर वर्ग आसानी से समझ सकता है चूंकि यह तबका अशिक्षित है तो उसके लिए मीडिया उनको यह सब सरल भाषा में ऑडियो,विडियो,मूवीज,कार्टून फिल्म,फोटो,नाटक के माध्यम से उन तक विकास हुआ है और वो कैसे खुद का विकास करें सब को किसान मजदूर वर्ग के बीच रख सकता है बिल्कुल उसी प्रकार जैसे संजय ने महाभारत में दूर बैठे बैठे धृतराष्ट्र को महाभारत का अनोखा देखा हाल बताया था. इस प्रकार मीडिया अपना कर्तव्य निभा कर किसान मजदूर वर्ग को विकास की मुख्य धारा में शामिल कर उनका जीवन बदल सकता है अपना रोल अदा कर सकता है .

सचिन सेठी, उत्तम तिलक श्रोता संघ, करनाल, हरियाणा

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संकलनः विनोद चड्ढा

संपादनः आभा मोंढे