सदी का सबसे लंबा सूर्य ग्रहण आज
१५ जनवरी २०१०ग्रहण भारत के अलावा अफ्रीका, हिन्द महासागर, मालदीव, श्रीलंका और दक्षिण पूर्व एशिया में दिखाई देगा. भारत के कई जगहों पर इसे देखा जा सकेगा. वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तरह का ग्रहण 106 वर्षों में केवल एक बार होता है.
आम तौर पर होने वाले सूर्य ग्रहणों में जब चांद सूरज को पूरी तरह ढक लेता है, तो चांद के चारों तरफ़ केवल चांदी रंग वाला एक छल्ला दिखता है. लेकिन इस बार, चूंकि चांद सूरज से बहुत दूर होगा, चांद के चारों तरफ सुनहरा छल्ला बनेगा जिसे वैज्ञानिक आग का छल्ला या फिर रिंग ऑफ़ फ़ायर कहते हैं. इस रिंग ऑफ़ फ़ायर को पूरे दस मिनट तक देखा जा सकेगा. हालांकि पूरे भारत में यह नहीं दिखाई देगा और केवल केरल, मिज़ोरम और तमिलनाडु में रहने वाले लोग इस अद्भुत खगोलीय घटना का आनंद ले पाएंगे.
इस साल के बाद रिंग ऑफ फ़ायर 2011 में देखने को मिलेगा. इस ख़ास सूर्य ग्रहण का अध्ययन करने के लिए भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो तिरुवनंतपुरम के थुंबा रॉकेट लॉंचिंग सेंटर से चार रॉकेट भेज रही है.
अफ़्रीका से होते हुए चीन तक दिखने वाले इस ग्रहण का पीछा कर रहे हैं एक्वामरीन नाम के एक आलीशान जहाज़ में सवार लोग जिन्होंने बस इस ग्रहण को देखने के लिए 20 हज़ार रुपये से ज़्यादा का टिकट ख़रीदा है. यह जहाज़ कुछ दिनों पहले कोची से मालद्वीव के लिए रवाना हुआ था.
भारत में भी सूर्य ग्रहण को देखने के लिए बहुत से लोग केरल और तमिलनाडु में जमा हुए हैं. वैज्ञानिकों ने लोगों से ग्रहण के दौरान सूरज को बिना गॉगल्स के देखने से मना किया है.
रिपोर्टः एजेंसियां/एम गोपालकृष्णन
संपादनः ए कुमार