सचिन की तारीफ पर तालिबान की रोक
२८ नवम्बर २०१३वीडियो संदेश में पाकिस्तानी तालिबान का प्रवक्ता शाहिदुल शाहिद नजर आ रहा है, उसके पीछे दो शख्स एके-47 राइफल लिए खड़े हैं. शाहिदुल ने वीडियो संदेश में कहा है, "यह सचिन तेंदुलकर भारत का खिलाड़ी है. यह देखना दुर्भाग्यपूर्ण है कि पाकिस्तानी मीडिया उसे इतनी ज्यादा सम्मान दे रहा है. दूसरी तरफ यह जानना दुखद है कि पाकिस्तानी मीडिया कप्तान मिस्बाह उल हक की आलोचना कर रहा है. सचिन तेंदुलकार चाहे जितना अच्छा हो उसकी तारीफ मत करो क्योंकि वह भारतीय है. इससे कोई मतलब नहीं कि मिस्बाह उल हक कितना बुरा है, उसकी तारीफ करो क्योंकि वह पाकिस्तानी है." शाहिदुल शाहिद ने एक अज्ञात जगह से टेलीफोन पर इस वीडियो के असली होने की पुष्टि की है.
16 नवंबर को जब तेंदुलकर ने संन्यास लिया तब पाकिस्तानी मीडिया ने उनकी जम कर तारीफ की. यहां तक कि उनके विदाई भाषण का पाकिस्तानी टीवी चैनलों ने सीधा प्रसारण भी किया. अखबारों ने उनके सम्मान में काफी कुछ लिखा, यहां तक कहा गया, "क्रिकेट का खेल निश्चित रूप से उनके बगैर कंगाल होगा." पाकिस्तान के मशहूर अखबार डॉन ने लिखा कि तेंदुलकर का संन्यास एक सचमुच यादगार करियर का अंत है जो चौथाई सदी तक चलता रहा. यह भी लिखा गया कि आलोचकों और समकालीनों ने दूसरे विश्व युद्ध के बाद खेलने वालों में सचिन को महानतम बल्लेबाज कहा है. तेंदुलकर ने 1989 में पाकिस्तान के खिलाफ कराची में अपना करियर शुरू किया और अपने बल्लेबाजी के हुनर से रिकॉर्डों की किताब नए सिरे से लिख दी.
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून और डेली टाइम्स ने लिखा कि तेंदुलकर को अपने दौर का संपूर्ण बल्लेबाज कहना बिल्कुल सही है, उनके पास हर शॉट है और इसके साथ ही उन्हें गेंदबाजी के हमले का मुंह तोड़ देने और टीम की जरूरत के हिसाब से अपनी स्वाभाविक आक्रामकता पर नियंत्रण रखने, दोनों में महारत हासिल है. उर्दू अखबार इंसाफ ने लिखा है कि तेंदुलकर जैसे क्रिकेटर हर रोज नहीं पैदा होता. उन्हें हर जगह प्यार और सम्मान मिला. उन्हें चाहने वाले निश्चित रूप से उदास हैं क्योंकि, "उनके बगैर क्रिकेट निश्चित रूप से कंगाल है."
एनआर/ओएसजे (पीटीआई)