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श्रीनगर के इस इलाके में पुलिस को रोकने के लिए लगी है बाड़

२७ सितम्बर २०१९

श्रीनगर के अंचार इलाके के बाहर स्टील और कांटेदार तारों की बाड़ है. विरोध प्रदर्शनों को रोकने के लिए पुलिस ने कई हफ्तों से श्रीनगर में कर्फ्यू जैसे हालात बना रखे हैं,यहां ये बाड़ पुलिस वालों को रोकने के लिए लगी है.

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Barrikaden und Bandstracheldraht im unruhigen Kaschmir
तस्वीर: Reuters/D. Siddiqui

श्रीनगर में घनी आबादी वाला कामगारों का यह इलाका अगस्त में जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म होने के बाद विरोध करता नजर आया. केंद्र सरकार के फैसले के सात हफ्ते बाद कुछ इलाकों में हालात सामान्य हुए हैं लेकिन करीब 15 हजार लोगों की रिहाइश अंचार में विरोध की हवा अब भी गर्म है.

इलाके में जाने के रास्तों की युवा पहरेदारी करते हैं. उन्होंने पेड़ के तनों, बिजली के खंभों और कंटीले तारों से बाड़ बना रखी है ताकि पुलिस को इलाके में ना घुसने दिया जा सके. सड़कें खोद दी गई हैं ताकि सुरक्षाकर्मियों की गाड़ियां इलाके में घुस ना सकें. रात घिरती है तो चेहरे पर नकाब पहन कर और हाथों में पत्थर और पेड़ की डालियां लेकर युवा इस जगह की पहरेदारी करते हैं. ये लोग आग जला कर उसके आसपास खड़े रहते हैं और पड़ोसियों से मिली चाय पीते हुए वक्त गुजारते हैं. 16 साल के छात्र फाजिल ने बताया, "मैं रातें बाहर गुजरता हूं ताकि अपने परिवार को बचा सकूं और हम पर जुल्म करने वाले भारतीयों को अंदर ना घुसने दूं. मुझे कोई डर नहीं है."

Barrikaden und Bücher im unruhigen Kaschmir
तस्वीर: Reuters/D. Siddiqui

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कश्मीर का विशेष दर्जा, जो बाहरी लोगों को यहां संपत्ति खरीदने और सरकारी नौकरी पाने से रोकता था, उसने इलाके के विकास के रास्ते में बाधा डाली है. विकास ना होने की वजह से यहां अलगाववादी आंदोलनों को बढ़ावा मिला और 1989 से लेकर अब तक इसके कारण 40 हजार से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है.

विशेष दर्जा खत्म करने के फैसले के बाद भारतीय अधिकारियों ने करीब 4000 लोगों को गिरफ्तार किया है. इस दौरान पड़ोसी देश पाकिस्तान से तनाव काफी बढ़ गया है.

भारत सरकार ने इंटरनेट और मोबाइल सेवाओं पर रोक के साथ ही कर्फ्यू जैसे हालात बना दिए हैं ताकि विरोध प्रदर्शनों को रोका जा सके. हालांकि सात हफ्ते बाद कई जगहों पर स्थिति सामान्य होती नजर आ रही है. पकड़े गए कुछ लोगों को रिहा भी किया गया है. लैंडलाइन टेलिफोन फिर से काम करने लगे हैं हालांकि इंटनेट और मोबाइल फोन का नेटवर्क अब भी बंद है. दुकानें थोड़ी देर के लिए खुल रही हैं ताकि लोग जरूरी सामान खरीद सकें और श्रीनगर की सड़कों पर ट्रैफिक नजर आने लगा है. कुछेक शामों को लोग डल  झील के किनारे भी नजर आए जो सैलानियों की पसंदीदा जगह है.

Barrikaden und Bandstracheldraht im unruhigen Kaschmir
तस्वीर: Reuters/D. Siddiqui

"केवल गोलियां दिखती हैं"

हालांकि अंचार अब भी सुरक्षा बलों और सरकारी सेवाओं के लिए बंद पड़ा है. यहां स्कूल अब भी नहीं खुल रहे हैं. चार कॉलेज छात्रों ने एक कामचलाऊ स्कूल शुरू किया है. तीन कमरे के घर में 200 बच्चों को हर रोज कुछ घंटों के लिए थोड़ा बहुत पढ़ाया जा रहा है. यहां बच्चे आ रहे हैं. लड़कियां माथा ढंके, हाथों में किताब लिए नर्सरी की कविताओं से लेकर गणित के पहाड़े तक सीख रही हैं.

कॉलेज छात्र से टीचर बने आदिल ने कहा, "इस जगह के छात्रों की पढ़ाई को अशांति की वजह से नुकसान हो रहा है. हम अपनी भविष्य की पीढ़ी को मुश्किल में नहीं डाल सकते." एक और टीचर वालिद ने कहा, "इन छात्रों ने केवल गोललियां और पैलेट ही हर रोज देखा है."

Barrikaden und Bücher im unruhigen Kaschmir
तस्वीर: Reuters/D. Siddiqui

दूसरे कुछ छात्र बुनियादी मेडिकल देखभाल मुहैया करा रहे हैं ताकि गिरफ्तारी का डर झेल रहे लोगों को इलाज के लिए दूसरे इलाकों में ना जाना पड़े.

रूबीना और उनका 15 साल का बेटा सुरक्षा बलों के पैलेट गन से शुक्रवार को तब जख्मी हो गया जब वो शुक्रवार की नमाज के बाद वापस आ रहा था. बच्चे के सिर पर मोटी पट्टी बंधी है और घटना के बाद से उसके मुंह से आवाज नहीं निकली. इसके बाद भी घरवालों का कहना है कि वो उसका घर पर ही इलाज करेंगे, अस्पताल नहीं ले जाएंगे नहीं तो पुलिस उसे पकड़ लेगी.

रूबीना ने कहा "अगर उसे पट्टी बदलने के लिए पास के सरकारी अस्पताल में जाना होगा तो, उसके साथ छह सात औरतें जाएंगी ताकि वो उसे हमसे छीन कर ना ले जा सकें."

एनआर/एके (रॉयटर्स)

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