शर्मिला की भूख हड़ताल के 10 साल पूरे
२ नवम्बर २०१०आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर्स एक्ट, 1958 नाम का यह कानून नागरिक इलाकों में सेना को कार्रवाई करने के विशेष अधिकार देता है. भारत के कुछ ही इलाकों में यह कानून लागू है जिनमें मणिपुर भी शामिल है. शर्मिला इस कानून के विरोध में साल 2000 से आमरण अनशन पर हैं.
शर्मिला अस्पताल में हैं. उन्हें ग्लूकोज पर रखा गया है. शर्मिला को बचाने के लिए बनाई गई शर्मिला कान्बा लुप यानी शर्मिला बचाओ समिति के एक प्रवक्ता ने बताया कि उनके अनशन को 10 साल पूरे होने के मौके प्रदर्शन किया जाएगा. उन्होंने बताया कि कई सामाजिक संगठन मिलकर राज्य के अलग अलग इलाकों में प्रदर्शन करेंगे.
शर्मिला ने 10 साल पहले अपना आमरण अनशन एक सैन्य कार्रवाई के विरोध में शुरू किया था. इंफाल के हवाई अड्डे के नजदीक असम राइफल्स के जवानों ने गोलीबारी की थी जिसमें 10 नागरिक मारे गए थे. इसके बाद शर्मिला ने एएफएसपीए को हटाने की मांग के साथ भूख हड़ताल शुरू की. प्रशासन और सरकार ने उनकी भूख हड़ताल को तुड़वाने के लिए कई तरीके आजमाए लेकिन वे नाकाम रहे.
अब शर्मिला बिस्तर पर हैं और उन्हें ग्लूकोज और दवाओं के सहारे ही जिंदा रखा जा रहा है. उनके नाक में पाइप डाली गई है और उसी से उनके भीतर द्रव भेजे जाते हैं. इंफाल के जेएनएच अस्पताल के जिस कमरे में उन्हें रखा गया है उसे एक जेल में तब्दील कर दिया गया है. वह न्यायिक हिरासत में हैं.
शर्मिला के समर्थन में इंफाल के रिक्शावालों ने भी एक रैली निकाली है.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः एन रंजन