वैध कागजातों के बिना भी अमरीका जा रहे हैं भारतीय
३ फ़रवरी २०२३जनवरी में जॉर्जिया से सांसद रिच मैककॉर्मिक ने कहा था कि भारतीय अमेरिकी "अमेरिका में रह रहे सबसे अच्छे नागरिकों में से हैं." यह कहते हुए उन्होंने उन लोगों के लिए सुव्यवस्थित आव्रजन प्रक्रिया की मांग की जो अमेरिका में रहकर यहां के "कानून का पालन करें, समय पर करों का भुगतान करें और समाज में एक रचनात्मक और उत्पादक की भूमिका का निर्वाह करें."
हालांकि भारतीय मूल के अमेरिकी लोगों को अक्सर ‘मॉडल' प्रवासियों के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, लेकिन यूएस कस्टम्स एंड बॉर्डर पैट्रोल डेटा के अनुसार, साल 2022 में भारतीयों की एक बड़ी संख्या ने अमेरिका में अनधिकृत तरीके से घुसने की कोशिश की. साल 2022 में, बिना दस्तावेज के अमेरिकी सीमा पर पहुंचकर शरण मांगने वाले भारतीयों की संख्या 63,927 थी, जो पिछले वर्ष के आंकड़े से दोगुने से भी ज्यादा है. मेक्सिको के साथ लगी अमेरिका की दक्षिणी सीमा इस तरह से आने वालों की एक चिर-परिचित जगह है.
अमेरिका में भारतीय आप्रवासन पर माइग्रेशन पॉलिसी इंस्टीट्यूट (एमपीआई) 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर 2021 से लेकर सितंबर 2022 तक, अमेरिकी अधिकारियों ने दक्षिणी सीमा पर भारतीय प्रवासियों को 18,300 बार रोका. यह आंकड़ा पिछले साल दर्ज किए गए आंकड़े की तुलना में बहुत ज्यादा है. पिछली बार उन्हें 2600 बार रोका गया था. सैन एंटोनियो, टेक्सास में यूनिवर्सिटी ऑफ द इंकारनेट वर्ड में इतिहास और एशियाई अध्ययन की प्रोफेसर लोपिता नाथ कहती हैं कि अनधिकृत तरीके से यहां पहुंचने वाले भारतीयों की बढ़ती संख्या यहां रह रहे प्रवासी भारतीयों की सकारात्मक छवि को धूमिल करने का काम कर सकती है.
अमेरिका जाने वाले भारतीय
एमपीआई की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2021 तक अमेरिका में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों की संख्या 27 लाख है. अमेरिका आने वाले भारतीय आम तौर पर उच्च शिक्षित होते हैं और कई भारतीय उच्च कुशल श्रमिकों के लिए नियोक्ताओं की ओर से दिए जाने वाले अस्थाई एच-1बी वीजा के जरिए यहां आते हैं. अमेरिकी विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे विदेशी छात्रों में भी भारतीय छात्रों की संख्या दूसरे नंबर पर है. हालांकि, अन्य देशों के लोगों की तुलना में भारतीय लोगों में अमेरिकी नागरिक बनने की प्रवृत्ति काफी कम है.
रिपोर्ट में कहा गया है, "कुल मिलाकर, अन्य समूहों की तुलना में भारतीय लोगों में स्वाभाविक रूप से अमेरिकी नागरिक होने की संभावना कम थी, जो यह दर्शाता है कि अस्थायी वीजा पर आने वालों की तादाद बहुत ज्यादा है.” डीडब्ल्यू से बातचीत में न्यू यॉर्क में रहने वाले इमिग्रेशन वकील रोहित बिस्वास कहते हैं कि नागरिकता पाने के कानूनी रास्ते कठिन होने के साथ ही, ज्यादा से ज्यादा भारतीय या तो अवैध रूप से प्रवेश करने की कोशिश करते हैं या फिर वीजा कानूनों का उल्लंघन करके यहां पहुंचते हैं.
रोहित बिस्वास कहते हैं, "हमारे यहां एक ऐसा आर्थिक तंत्र है जिसके संचालन के लिए कुछ अप्रवासियों की आवश्यकता होती है लेकिन मुझे नहीं लगता कि हमारे पास ऐसी आव्रजन प्रणाली भी है जो इसका समर्थन करती है.” दक्षिणी भारतीय शहर तिरुवनंतपुरम में इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ माइग्रेशन एंड डेवलपमेंट के अध्यक्ष एस इरुदया राजन कहते हैं कि कड़े वीजा नियम और संगठित प्रवासी तस्करी नेटवर्क के कारण भी अमेरिकी सीमा पर अवैध तरीके से पहुंच रहे भारतीयों की संख्या बढ़ रही है.
मानव तस्करी का नेटवर्क
हालांकि, अवैध तरीके से प्रवासी लोगों को अमेरिका पहुंचाने वाले नेटवर्क अमेरिका की दक्षिणी सीमा पर ज्यादा सक्रिय हैं लेकिन जहां तक भारतीयों का संबंध है, तो देखा गया है कि यह प्रवासियों की यह तस्करी कनाडा से लगी अमेरिकी सीमा पर ज्यादा होती है. साल 2020 में, एक भारतीय उबर ड्राइवर को अवैध रूप से सीमा पार कराकर लोगों को ले जाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. बाद में जब जांच हुई तो इस एक गिरफ्तारी ने इसी तरह के 90 मामलों का पर्दाफाश किया जो अवैध तरीके से लोगों को अमेरिका में ले गए थे.
गैर-दस्तावेजी भारतीयों में से कई ऐसे भी हैं जो अपनी वीजा अवधि समाप्त होने के बाद भी वहां रुके हुए हैं. अमेरिका में वीजा अवधि समाप्त होने के बावजूद रह रहे हर एक व्यक्ति की पहचान करना एक बड़ा कठिन काम है. इसके अलावा, बिना समुचित वीजा के अमेरिका में नए-नए आने वाले भारतीय अक्सर वहां रह रहे प्रवासी भारतीयों के समूह में मिलकर रहने लगता है जो उन्हें अपने बचाव का एक अच्छा तरीका लगता है.
अमेरिका क्यों जा रहे हैं अवैध रूप से
एमपीआई के आंकड़ों के अनुसार, साल 2021 में अमेरिका के श्रम बाजार में भारतीय प्रवासियों की भागीदारी काफी ज्यादा थी. 16 वर्ष और उससे अधिक आयु के श्रमिकों में भारतीयों की भागीदारी 72 फीसद है. यह भागीदारी विदेशी और अमेरिका में जन्मी आबादी दोनों से अधिक है. विदेशी नागरिकों की श्रम बाजार में भागीदारी 66 फीसद और अमेरिका में जन्मे लोगों की भागीदारी करीब 62 फीसद थी.
नाथ और राजन दोनों का कहना है कि भारत में हाल ही में एक नए मध्यम वर्ग का जो उदय हुआ है वो देश से बाहर जाने में आने वाले खर्च को वहन कर सकता है और इसीलिए अमेरिका जैसे देशों की ओर उसका आकर्षण बढ़ा है. पैसे और अमेरिका पहुंचने के सपने के अलावा भारतीय डायस्पोरा के भीतर पहले से मौजूद नेटवर्क और यहां पहुंचने वालों की सफलता की कहानियां भी लोगों को अमेरिका आने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.
लोपिता नाथ का कहना है, "जहां नेटवर्क, नौकरियां और पारिवारिक जुड़ाव की संभावना है, प्रवासी वहीं जाना पसंद करते हैं.” वो आगे कहती हैं, "दूसरी ओर, भारत की घरेलू वास्तविकता भी सामने आ गई है. हमने अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ बहुत सारी प्रतिक्रियाओं को देखा है, चाहे वो मुस्लिम हों, ईसाई हों या फिर महिलाएं हों.” एमपीआई की रिपोर्ट में ‘गैर-हिंदुओं के खिलाफ भारत में बढ़ते धार्मिक और राजनीतिक उत्पीड़न' के साथ-साथ ‘घरेलू स्तर पर आर्थिक अवसरों की कमी' का भी हवाला दिया गया है, जो कि अमेरिकी सीमा पर अवैध तरीके से आने वाले भारतीयों की बढ़ती संख्या के रूप में दिखाई दे रहा है.