विरासत की रक्षा करनी होगी ओबामा को
५ नवम्बर २०१४रिपब्लिकन पार्टी 2010 और 2012 के चुनावों में जो नहीं कर पाई थी वह उसने अब तीसरे चुनाव में कर दिखाया है. उसने अमेरिकी संसद के दोनों सदनों पर कब्जा जमा लिया है. पार्टी इस बार फायदेमंद स्थिति में थी. व्हाइट हाउस में एक ऐसा डेमोक्रैट सत्तारूढ़ था जिसकी लोकप्रियता इस बीच जॉर्ज डब्ल्यू बुश के स्तर पर आ गई है. रिपब्लिकन पार्टी के लिए एक अनुकूल चुनाव, जिसमें कंजरवेटिव प्रांतों में पार्टी उम्मीदवारों के जीतने की उम्मीद थी. और इसके अलावा मध्यावधि चुनावों में राष्ट्रपति की पार्टी को सजा देने की अमेरिकी मतदाताओं की परंपरागत रुझान. कुल मिलाकर विश्व के सबसे पुराने लोकतंत्र की ग्रैंड ओल्ड पार्टी के लिए बड़ी जीत का ठोस माहौल.
आशावादियों को भले ही अभी भी लगे कि कांग्रेस में रिपब्लिकन पार्टी की जीत का मतलब होगा कि वे अपनी नीति में संशोधन लाएंगे और व्हाइट हाउस की पहलकदमियों को रोकने के बदले लेम डक राष्ट्रपति के साथ सहयोग करेंगे. उनका कहना है कि राष्ट्रपति और संसद के बीच सत्ता के बंटवारे का समय कानूनों को पास करने के मामले में ऐतिहासिक रूप से बहुत उत्पादक रहा है. इसके अलावा रिपब्लिकन पार्टी को अब अपने ही हित में मतदाताओं को यह दिखाना होगा कि वह सिर्फ बाधा डालने वाली पार्टी नहीं है, वह रचनात्मक राजनीति भी कर सकती है.
उम्मीद की कोई वजह नहीं
लेकिन इन दलीलों का आधार यह है कि निर्वाचित सांसद पार्टी और देश के हित में सोचेंगे और काम करेंगे. लेकिन 2013 में बजट पास न कर प्रशासन को ठप्प करने और आप्रवासन कानून में बाधा डालने जैसी घटनाओं ने अतीत में दिखाया है कि हकीकत में ऐसा नहीं होता. दोनों रिपब्लिकन पार्टी की बाधा डालने की नीति की मिसाल हैं. लोगों की जिंदगी में बेहतरी लाने के बदले रिपब्लिकन पार्टी का टी पार्टी वाला धड़ा आक्रामक विपक्ष की भूमिका निभा रहा है और पार्टी के हित में नहीं बल्कि इलाकाई हार्डलाइनरों की शह पर काम कर रहा है.
इस पृष्ठभूमि में यह समझना ख्याली पुलाव होगा कि ज्यादा हार्डलाइनरों वाली मौजूदा संसद रिपब्लिकन पार्टी के बहुत से सदस्यों के बीच अत्यंत अलोकप्रिय राष्ट्रपति के साथ सहयोग का रवैया अपनाएगी. ओबामा के भविष्य में संसद के विरोध के लिए तैयार रहना होगा. दोबारा चुने जाने के बाद से ओबामा ने समझ लिया है कि रिपब्लिकन पार्टी के साथ सहयोग असंभव है. नतीजतन वे ज्यादा से ज्यादा अध्यादेशों के जरिए शासन करने की कोशिश कर रहे हैं. इसमें वृद्धि होगी लेकिन उन पर रिपब्लिकन पहलकदमियों को रोकने के लिए वीटो के इस्तेमाल का भी दबाव होगा. नतीजे के तौर पर अमेरिका में और राजनीतिक ध्रुवीकरण हो सकता है.
विरासत की रक्षा
इस पृष्ठभूमि में बराक ओबामा की मुख्य चिंता यह होनी चाहिए कि वे अपने शासनकाल की दो महत्वपूर्ण परियोजनाओं को भविष्य के लिए सुरक्षित करें. घरेलू नीति में उन्हें अपनी ऐतिहासिक स्वास्थ्य सुधारों की रक्षा करनी होगी और उसे रिपब्लिकन हमलों से बचाना होगा. रिपब्लिकन पार्टी ने इस कानून के पास होने के बाद से ही इसे वापस लेने की घोषणा कर रखी है, हालांकि इस कानून की वजह से हेल्थ इंश्योरेंस से वंचित अमेरिकियों की तादाद बहुत कम हुई है.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ओबामा को ईरान के साथ संभवतः ऐसा ही ऐतिहासिक परमाणु समझौता करने की कोशिश करनी होगी. लेकिन यह मुश्किल होगा. हालांकि आध्यादेश के जरिए ओबामा प्रतिबंधों को सीमित अवधि के हटा सकते हैं लेकिन उसके अनुमोदन के लिए उन्हें संसद की जरूरत होगी. यदि ओबामा को तेहरान के साथ एक अंतरिम समझौता करने और उसे लागू करने में सफलता मिलती है तो रिपब्लिकन पार्टी के लिए राजनीतिक तौर पर उसे फिर से वापस लेना मुश्किल होगा.
इसके साथ दो महत्वपूर्ण सफलताओं का भविष्य और उसके साथ ओबामा के शासनकाल की राजनीतिक विरासत पर उनके शासन के अंतिम दो सालों में फैसला हो सकता है. 2008 में सीनेटर ओबामा ने राष्ट्रपति का चुनाव और उनकी डेमोक्रैटिक पार्टी ने संसद का चुनाव जीता था. छह साल बाद ओबामा को अपनी राजनीतिक विरासत की रिपब्लिकन बहुल वाले कांग्रेस से रक्षा करनी पड़ रही है.
मिषाएल क्निगे/एमजे