विपक्ष के आठ सांसद राज्य सभा से निलंबित
२१ सितम्बर २०२०सोमवार सुबह सदन की कार्रवाई शुरू होते ही नायडू ने रविवार की घटनाओं को सदन के लिए एक बुरा दिन बताया और विपक्ष के सांसदों के व्यवहार की निंदा की. इसके बाद संसदीय मामलों के राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने रविवार की कार्रवाई पर एक वक्तव्य देते हुए विपक्ष के आठ सांसदों को नाम लेकर चिन्हित किया, जिसके बाद अध्यक्ष ने उन्हें निलंबित कर दिया.
इनमें कांग्रेस के सदस्य राजीव साटव, रिपुन बोरान और सय्यद नसीर हुसैन, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओब्रायन और डोला सेन, सीपीआई के केके राजेश और एलामारन करीम और आम आदमी पार्टी के संजय सिंह शामिल हैं.
इनके निलंबन की घोषणा करते हुए नायडू ने कहा कि "कुछ सांसद वेल में आ गए थे, उन्होंने उपसभापति हरिवंश को शारीरिक रूप से धमकाया, उन्हें उनका कार्य करने से रोका... दुर्भाग्यपूर्ण और निंदा-योग्य है...मैं इन सांसदों को आत्म-मंथन करने की सलाह देता हूं." नायडू ने हरिवंश के खिलाफ विपक्ष के सांसदों द्वारा अविश्वास मत के प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया. उन्होंने कहा कि सदन के नियम उपसभापति के खिलाफ अविश्वास-मत की अनुमति नहीं देते.
विपक्ष का आरोप है कि हरिवंश ने सरकार के कहने पर दो महत्वपूर्ण कृषि-संबंधी विधेयकों पर विपक्ष के सांसदों द्वारा सदन में मतदान की मांग को ठुकरा दिया और विधेयकों को ध्वनि मत से पारित करा दिया. पूरी कार्रवाई के दौरान सदन में कोई भी पत्रकार नहीं था और राज्य सभा टीवी का भी ऑडियो बंद हो गया था.
कुछ मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि विपक्ष ने पहले हरिवंश से दोनों विधेयकों को एक संसदीय समिति के पास भेजने की मांग की थी, जिसके ठुकरा दिए जाने के बाद कार्रवाई को सोमवार तक स्थगित कराने की भी मांग की थी. जब उपसभापति ने विपक्ष की कोई भी मांग मंजूर नहीं की तो सांसद विरोध पर उतर आए. उन्हें हरिवंश के आगे माइक मोड़ते हुए और सदन की नियम पुस्तिका फाड़ते हुए भी देखा गया.
डेरेक ओ ब्रायन ने संसद के अंदर से भेजे हुए एक वीडियो संदेश में इसे "लोकतंत्र की हत्या" बताया. राष्ट्रीय जनता दाल से राज्य सभा के सदस्य मनोज झा ने डीडब्ल्यू से बातचीत में कहा, "यह भारतीय संसद के इतिहास में सबसे दुखद दिन था, जब इतने महत्वपूर्ण विधेयक को शोरगुल के बीच और मतदान की मांग कर रहे सदस्यों के अधिकारों को दरकिनार करते हुए पारित करा लिया गया."
उपसभापति हरिवंश के व्यवहार पर टिप्पणी करते हुए मनोज झा ने कहा, "एक बार जब आप पीठासीन अधिकारी का आसन ग्रहण कर लेते हैं, तो उसके बाद किसी भी दूसरे आसन से दिया हुए निर्देश आपके लिए मायने नहीं रखता है."
सोमवार को भी एक और कृषि संबंधित विधेयक को पारित कराने पर सदन में चर्चा होनी है. आवश्यक वास्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 का उद्देश्य आवश्यक वास्तु अधिनियम की परिधि से अधिकांश वस्तुओं को बाहर निकालना है. किसान इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं. रविवार के नाटकीय दृश्यों को देखते हुए आज की चर्चा को लेकर भी आशंकाएं व्यक्त की जा रही हैं.
__________________________
हमसे जुड़ें: Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay | AppStore