विदेशी कामगारों की भर्ती करेगा अब जापान
१ अप्रैल २०१९वीजा के नए कानूनों का मकसद आने वाले सालों में जापान में कामगारों की कमी का सामना करने के लिए दसियों हजार विदेशी कामगारों की भर्ती है. जापान खास कर पड़ोसी चीन, इंडोनेशिया, फिलीपींस और वियतनाम से कामगारों की कमी को भरपाई करना चाहते है. अब तक जापान की छवि राष्ट्रीय समाज की रही है जिसे अपनी एकल राष्ट्रीयता पर नाज है. इसीलिए वह शरणार्थियों को भी नहीं लेता है.
अब नए विदेशी कामगारों की भर्ती ने उसके सामने भारी चुनौती पैदा कर दी है. वीजा के नए नियमों के तहत अर्थव्यवस्था के 14 सेक्टरों में साधारण जापानी भाषा के सामान्य ज्ञान और काम के प्रशिक्षण के साथ विदेशियों को पांच साल के लिए नौकरी करने की अनुमति होगी. इनमें निर्माण, कृषि और हेल्थकेयर जैसे सेक्टर शामिल हैं. इन सेक्टरों में नौकरी पाने वाले विदेशी अपने परिवारों को जापान नहीं ले जा सकेंगे.
सरकारी अनुमान के अनुसार इस श्रेणी में पहले साल 47,000 लोगों को वीजा मिलेगा. अगले पांच सालों में करीब 3,45,000 लोगों को जापान में नौकरी मिलने की संभावना है. लेकिन श्रम विशेषज्ञों का अनुमान है कि जापान को को दस लाख से ज्यादा विदेशी कामगारों की जरूरत है. सामान्य श्रेणी के कामगारों के विपरीत निर्माण और जहाजरानी क्षेत्र के उच्च प्रशिक्षित कामगार असीमित अवधि के वीजा के लिए आवेदन दे पाएंगे और अपने परिवार को भी साथ ला पाएंगे. अब तक इस तरह का वीजा सिर्फ डॉक्टरों, वकीलों और शिक्षकों को दिया जाता था.
जापान तेजी से बूढ़ी होती आबादी और बच्चों के जन्म दर में कमी का सामना कर रहा है. आबादी में कुल काम करने वाली जनसंख्या में कमी के कारण औद्योगिक संगठन लंबे समय से विदेशी कामगारों की भर्ती की मांग कर रहे हैं. हाल के सालों में जापान ने सीमित ही सही, लेकिन विदेशी कामगारों की भर्ती की अनुमति भी दी है. जहां 2012 में जापान में करीब 7 लाख विदेशी काम करते थे इस बीच उनकी संख्या 15 लाख हो गई है. इनकी भर्ती ट्रेनी के रूप में की जाती है और वकीलों की शिकायत है कि वे सस्ते कामगार हैं जिनका शोषण किया जा रहा है और समाज से अलग थलग रखा जा रहा है.
इन सब शिकायतों को दूर करने के लिए कानून मंत्रालय ने उद्यमों से विदेशी कामगारों को जापानी कामगारों जितना या उनसे ज्यादा वेतन देने का निर्देश दिया है. लेकिन जापान में सरकार के कदमों का विरोध भी हो रहा है. विरोध ऐसे लोग कर रहे हैं जो नहीं चाहते कि 12.6 करोड़ की आबादी वाला जापान अपने बाजार को विदेशी कामगारों के लिए खोले. जापान की आबादी का एक तिहाई हिस्सा 60 साल से ज्यादा उम्र का है. ये लोग समयपूर्व रिटायरमेंट के हकदार हैं.
कामगारों की कमी को पूरा करने के लिए जापान दो तरह की रणनीति अपना रहा है. एक तो वह अपने यहां ज्यादा महिलाओं को काम करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है. आम तौर पर महिलाएं या तो शादी के बाद या पहला बच्चा होने के बाद काम नहीं करतीं. 2010 में पहला बच्चा होने के बाद सिर्फ 38 फीसदी महिलाएं काम पर लौटती थीं लेकिन इस बीच उनकी तादाद 50 प्रतिशत हो गई है. सरकार की दूसरी रणनीति विदेशी कर्मचारियों की भर्ती है.
रिपोर्ट: महेश झा (डीपीए)