विदेशियों की पसंद बन रहा है जर्मनी
१६ अक्टूबर २०१३जर्मनी के श्रम बाजार में विदेशियों के लिए नौकरी की संभावनाओं पर चल रही बहस के बीच उद्यमों के करीबी शोध संस्थान का कहना है कि जर्मन शिक्षा संस्थानों में पढ़ने वाले विदेशियों के पास ऐसी योग्यता होती है, जिसकी खास मांग है. इस सर्वे के एक लेखक वीडो गाइस का कहना है, "आप्रवासी विश्वविद्यालयों के जरिए भारी मांग वाली योग्यताएं प्राप्त करते हैं." शोधकर्ताओं के अनुसार इनमें इंजीनियरिंग, गणित और साइंस के विषय शामिल हैं, जिनकी जर्मनी में मझौले और औद्योगिक उद्यमों में भारी मांग है.
कुशल कामगरों की कमी
कोलोन स्थित जर्मन अर्थव्यवस्था संस्थान के शिक्षानीति विभाग के प्रमुख हंस पेटर क्लोस का कहना है कि जर्मनी में पढ़ने वाले विदेशी देश में कुशल कामगारों की कमी को पूरा करने का जवाब हो सकते हैं. वे कहते हैं, "अगले सालों में कर्मचारियों की संख्या को बनाए रखने के लिए अर्थव्यवस्था को सालाना साढ़े छह लाख प्रशिक्षित कामगारों और डेढ़ लाख यूनिवर्सिटी ग्रेजुएटों की जरूरत होगी." क्लोस का कहना है कि इन सालों में उन सालों में पैदा हुए लोग रिटायर होंगे जिनमें जन्मदर ज्यादा थी और उनकी जगह कम जन्मदर वाले सालों में पैदा हुए युवा लोग नौकरी में आएंगे.
सर्वे के अनुसार अच्छी खबर यह है कि जर्मनी के विश्वविद्यालय विदेशी छात्रों में लोकप्रिय हैं. आर्थिक सहयोग और विकास संगठन ओईसीडी के अनुसार विदेशी छात्रों के लिए अंग्रेजी भाषी देशों अमेरिका और ब्रिटेन के बाद जर्मनी दुनिया के तीन चोटी के लक्ष्यों में शामिल है. हंस पेटर क्लोस कहते हैं, "विदेशी छात्र यहां रहने आते हैं." जर्मनी में पढ़ने वाले 80 फीसदी छात्र यहां पेशेवर जिंदगी गुजारने की भी सोच सकते हैं. यह जुड़ाव फ्रांस, नीदरलैंड या ब्रिटेन से ज्यादा है. सर्वे के अनुसार एक तिहाई विदेशी छात्र जर्मनी में तीन साल या उससे ज्यादा रहने की सोचते हैं.
व्यावसायिक प्रशिक्षण पर जोर
कोलोन के आर्थिक शोधकर्ताओं का अनुमान कितना सही साबित होता है, यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि क्या जर्मनी में इस राह की बाधाओं को दूर करने में मदद मिलती है. सर्वे के अनुसार विदेशी छात्रों के मामले में पढ़ाई बीच में छोड़ देने वालों की तादाद अभी भी अनुपात से ज्यादा है. शोधकर्ता इसकी वजह जर्मन भाषा के ज्ञान में कमी को मानते हैं. बहुत से विदेशी अंग्रेजी भाषा में कोर्स करते हैं और स्थानीय कंपनियों में काम करने के लिए जरूरी जर्मन भाषा सीखने को नजरअंदाज करते हैं. इसके अलावा एक समस्या यह भी है कि पढ़ाई खत्म होने के साथ यहां रहने का वीजा भी खत्म हो जाता है.
इसके अलावा व्यावसायिक प्रशिक्षण के कोर्स में विदेशियों को आकर्षित करने के लिए भी प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है. जर्मन सरकार ने पिछले दो सालों में आर्थिक संकट में उलझे ग्रीस, स्पेन और पुर्तगाल जैसे देशों से युवा प्रशिक्षुओं को आकर्षित करने के प्रयास किए हैं, लेकिन क्लोस का कहना है कि जर्मनी में अभी भी विदेशी ट्रेनी के लिए कठिन नौकरशाही बाधाएं हैं. इसके नतीजे चिंताजनक हैं. जर्मन उद्योग और वाणिज्य संघ के उप प्रमुख आखिम डेर्क्स कहते हैं, "व्यावसायिक प्रशिक्षण वाले पेशों में भी कामगारों की कमी दिखने लगी है."
जर्मनी में नए कर्मचारियों की भर्ती का सामना कर रहे उद्यमों में करीब 40 फीसदी इस समय दोहरा प्रशिक्षण पाने वाले कर्मचारियों की तलाश में हैं. आर्थिक संस्थान के शोधकर्ताओं का कहना है कि सरकार को युवा आप्रवासियों को जल्द से जल्द वर्क परमिट देने की व्यवस्था करनी चाहिए ताकि वे पेशे का अनुभव हासिल कर सकें.
रिपोर्ट: रिषार्ड फुक्स/एमजे
संपादन: ईशा भाटिया