विज्ञापन विवाद पर आडवाणी की सुलह की कोशिश
१४ जून २०१०पटना में बीजेपी के स्वाभिमान रैली को संबोधित करते हुए आडवाणी ने कहा, "मैंने अखबारों में पढ़ा है कि एक विज्ञापन की वजह से कुछ दरारें आई हैं. लेकिन हाथ मिलाने से दरार कहां आती है. इससे सिर्फ दोस्ती बढ़ती है और गठबंधन में छोटी मोटी अड़चनें तो आती ही हैं." आडवाणी ने कहा कि अगर रैली में नीतीश कुमार भी आते, तो उन्हें अच्छा लगता.
बीजेपी के वरिष्ठ नेता ने याद दिलाया कि किस तरह 1995 में नीतीश कुमार ने मुंबई में बीजेपी कार्यकारिणी की बैठक में हिस्सा लिया था. उस वक्त समता पार्टी के अध्यक्ष जॉर्ज फर्नांडीस को भी वहां बुलाया गया था. आडवाणी ने कहा कि नीतीश कुमार लंबे वक्त से एनडीए के सदस्य हैं और छह साल तक केंद्र में वाजपेयी सरकार के मंत्री रह चुके हैं. उन्होंने कहा, "मुझे अच्छा लगता कि अगर नीतीश कुमार इस रैली में हमारे साथ होते और हमारे लिए यहां की जनता को संबोधित करते." आडवाणी के अलावा किसी और बीजेपी नेता ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम नहीं लिया. यहां तक कि नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी ने भी नीतीश का जिक्र नहीं किया.
गडकरी ने हालांकि बिहार की जनता से अपील की कि उन्हें एनडीए को वोट देना चाहिए, ताकि राज्य में लगातार दूसरी बार उनकी सरकार बन सके और गठबंधन धर्म निभाया जा सके. मोदी ने कहा कि गुजरात के विकास में बिहार के लोगों को भी योगदान है और बिहार ने 2001 में गुजरात भूकंप के वक्त काफी मदद की थी.
नीतिश कुमार ने शनिवार को कोसी बाढ़ के बाद गुजरात सरकार की मदद को लेकर बयान दिया था. गुजरात सरकार ने इस मामले में अपनी वाहवाही लूटनी चाही थी लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा था कि वह गुजरात सरकार की दी गई राशि को लौटाने के लिए तैयार हैं.
आडवाणी का बयान ऐसे वक्त में आया है, जब जेडीयू अध्यक्ष शरद यादव ने भी दोनों पार्टियों के मतभेद भुलाने की अपील की है. शरद यादव ने कहा कि हम दोनों पार्टियों के पुराने संबंध हैं. बीच में एक खराब मोड़ आ गया लेकिन हम उसे पार कर चुके हैं.
बीजेपी के सूत्रों का कहना है कि गडकरी ने नीतीश कुमार को इस बात के साफ संकेत दे दिए हैं कि अगर बात स्वाभिमान की आएगी, तो वे समझौता नहीं कर सकते हैं. हालांकि साथ ही बीजेपी अध्यक्ष ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी बहुत अनुभवी है और वे सबको साथ लेकर चलना चाहते हैं.
विज्ञापन विवाद के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बीजेपी के नरेंद्र मोदी के बीच तनाव बढ़ गया है. नीतीश ने बीजेपी के नेताओं के लिए आयोजित भोज को रद्द कर दिया. नीतीश शासन के साढ़े चार साल में यह पहला मौका है, जब नरेंद्र मोदी बिहार के दौरे पर आए हैं. इससे पहले नीतीश ने उन्हें चुनाव प्रचार के लिए भी बिहार नहीं आने दिया था.
बिहार में नीतीश कुमार की सरकार बीजेपी के साथ चल रही है लेकिन उन्होंने हमेशा संकेत दिए हैं कि वे किसी हिंदुवादी संगठन के साथ नजदीकी नहीं रखना चाहते. हालांकि बीजेपी ने भी अब नीतीश पर हल्का फुल्का वार करना शुरू कर दिया है. यह खटास ऐसे वक्त में आई है, जब बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल
संपादनः ओ सिंह