विकीलीक्स रहा 2010 का सबसे बड़ा धमाका
२२ दिसम्बर २०१०विकीलीक्स का धमाका: गुपी छिपी बातों को सबकी नजरों में लाने का काम कर रही विकीलीक्स वेबसाइट ने हजारों खुफिया कूटनीतिक संदेशों को सार्वजनिक कर कूटनीति की दुनिया में धमाका कर दिया. अमेरिका को दुनिया भर में खुफिया संदेश सार्वजनिक होने के चलते शर्मिंदगी झेलनी पड़ी. वहीं वेबसाइट के संस्थापक जूलियन असांज भी मुश्किल में फंसे. स्वीडन में दो महिलाओं ने उन पर यौन दुराचार का आरोप लगाया, कई कंपनियों ने विकीलीक्स से रिश्ते तोड़ लिए, उसको मिलने वाली वित्तीय मदद के माध्यम खत्म कर दिए गए. वेबसाइट पर भी साइबर हमले हुए.
थोड़े दिन जेल में बिताने के बाद असांज जमानत पर रिहा हैं लेकिन खुफिया संदेशों का प्रकाशन बदस्तूर जारी है. करीब ढाई लाख दस्तावेज सार्वजनिक हो सकते हैं. कुछ महीने पहले भी विकीलीक्स चर्चा में रहा जब अफगानिस्तान युद्ध से जुड़े 90,000 से ज्यादा दस्तावेजों को उसने लीक कर दिया जिससे अमेरिकी प्रशासन में हड़कंप मच गया. अमेरिका ने दलील दी कि इससे अफगानिस्तान में कई लोगों की जान को खतरा होगा लेकिन विकीलीक्स पर खुफिया जानकारी की बूंदाबांदी होती रही.
मौत पर विजय पाने वाले खनिक: चिली की एक खान में काम कर रहे 33 मजदूर एक दुर्घटना के बाद जमीन से 700 मीटर नीचे फंसे तो पूरी दुनिया में उनकी सलामती के लिए दुआएं होने लगीं. 69 दिनों तक जिंदगी और मौत के बीच झूलने के दौरान कई भावुक क्षण भी आए लेकिन उनके जज्बे और जिंदगी के लिए संघर्ष में कोई कमी नहीं आई. खान के बाहर मजदूरों के परिवारजनों और दुनिया भर की मीडिया का जमावड़ा लग गया और जब बेहद सधे हुए बचाव अभियान में उन्हें बाहर निकाला गया तो सभी मजदूर दुनिया भर के लिए नए स्टार के रूप में सामने आए.
हैती में भूकंप:
साल की शुरुआत में ही हैती में भूकंप ने कहर बरपा दिया जिसमें दो लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो गई. इसे इतिहास के सबसे भीषण भूकंपों में गिना गया. इमारतें जमींदोज हो गईं, सड़कों का नामोनिशान मिट गया, प्रशासनिक ढांचा बिखर गया. लाखों लोग बेघर हो गए, राष्ट्रपति निवास और संयुक्त राष्ट्र कार्यालय क्षतिग्रस्त हो गया. हैती निवासियों की मुश्किलें अब भी कम नहीं हुई हैं. कुछ महीने पहले वहां हैजा फैला जिसके चलते 1000 से ज्यादा लोग मारे गए.बाढ़ और बारिश से बेहाल पाकिस्तान:
मानसून की भारी बारिश पाकिस्तान में ऐसा कहर बन कर टूटी कि कई दशकों के रिकॉर्ड टूट गए. खैबर पख्तूनख्वा, सिंध, पंजाब और बलूचिस्तान में जनजीवन अभूतपूर्व स्तर पर प्रभावित हुआ. जानमाल का भारी नुकसान हुआ, करीब 2,000 लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा. बाढ़ की स्थिति इतनी खराब थी कि एक समय पाकिस्तान का 20 फीसदी हिस्सा जलमग्न था. करीब 2 करोड़ लोग प्रभावित हुए और संयुक्त राष्ट्र ने इसे हाल के दशकों की सबसे बड़ी आपदा करार दिया. बाढ़ और बारिश से 40 करोड़ डॉलर से ज्यादा का नुकसान हुआ.आंग सान सू ची की रिहाई:
म्यांमार में लोकतंत्र की स्थापना के लिए संघर्ष कर रही नेता आंग सान सू ची को नजरबंदी की अवधि खत्म होने पर सैनिक सरकार ने रिहा कर दिया. सू ची के बाहर आने पर हजारों समर्थकों ने हाथ हिलाकर उनका अभिवादन किया और उनकी रिहाई पर खुशी का इजहार किया. पिछले 21 सालों में 15 साल सू ची नजरबंद रही हैं लेकिन म्यांमार में राजनीतिक सुधारों के प्रति उनका संघर्ष जारी रहा है. रिहाई के बाद भी सू ची ने अपने संघर्ष को आगे ले जाने की बात कही और समर्थकों से संयम बनाए रखने की अपील की. नोबेल शांति पुरस्कार विजेता सू ची की रिहाई का दुनिया भर में स्वागत किया गया.कोरियाई देशों में तनाव:
उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया में छत्तीस का आंकड़ा है और जब दोनों देशों के रिश्तों में तनातनी बढ़ती है तो दुनिया को पसीना आने लगता है. मार्च में दक्षिण कोरियाई नौसेना का एक जहाज उसके पश्चिमी तट पर डूब गया जिसमें 46 नौसैनिकों की मौत हो गई. स्वतंत्र जांच में उत्तर कोरिया पर मिसाइल हमले का आरोप लगा लेकिन वह इनकार करता रहा. दक्षिण कोरिया पर बदले की कार्रवाई का घरेलू दबाव था लेकिन उसने संयम बरता.साल के आखिर में एक बार फिर तनाव आसमान पर पहुंच गया जब उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरियाई द्वीप पर गोलाबारी की. दोनों देशों में गोलीबारी हुई. 1950 के कोरियाई युद्ध के बाद संयुक्त राष्ट्र ने इसे गंभीरतम घटना करार दिया. अमेरिका और दक्षिण कोरिया के संयुक्त सैन्य अभ्यास से मामला अब भी सुलग रहा है.
मुसीबत बना तेल का रिसाव:
मेक्सिको की खाड़ी में तेल प्लेटफॉर्म में विस्फोट हो जाने से 11 कर्मचारियों की मौत हो गई. दुर्घटना के बाद तेल का रिसाव शुरू हो गया जिससे अमेरिकी तट रेखा और समुद्री वन्यजीवन को भारी क्षति पहुंची. इस हादसे को अब तक की सबसे बड़ी प्राकृतिक दुर्घटनाओं में गिना गया. हफ्तों तक तेल रिसाव रोके जाने की कोशिशें होती रहीं और ब्रिटिश पेट्रोलियम कंपनी जबरदस्त आलोचना का शिकार हुई. समुद्र में तेल के कुएं से जुड़ी सुरक्षा पर बहस ने भी जन्म लिया.संकट में ग्रीस:
वित्तीय संकट में घिरे देशों की सांसें इस साल भी ऊपर नीचे होती रहीं. ग्रीस की खस्ता वित्तीय हालत के चलते यूरो मुद्रा का इस्तेमाल करने वाले देश पसोपेश में रहे. स्टैंडर्ड एंड पूअर क्रेडिट संस्था ने ग्रीस की रेटिंग में कमी की तो निवेशकों को भरोसा ग्रीस पर उठता दिखाई दिया. दुनिया भर के शेयर बाजारों में गिरावट देखी गई और डॉलर के मुकाबले यूरो मुद्रा ढलान के रास्ते पर आ गई. यूरोप के सामने नए संकट ने जन्म ले लिया.खर्च में कटौती करने और सादगी बरतने के लिए उठाए गए फैसलों के चलते ग्रीस में अभूतपूर्व प्रदर्शन हुए. अब ग्रीस के अलावा आयरलैंड, पुर्तगाल, स्पेन, इटली की वित्तीय सेहत को लेकर चिंता जताई जा रही है तो यूरो मुद्रा के भविष्य पर भी सवाल है. सरकार की नीतियों से खफा जनता ने लंदन, डबलिन, एथेंस, रोम सहित कई अन्य बड़े शहरों में अपने गुस्से का इजहार किया है.
गजा की नाकेबंदी पर टकराव:
गजा में इस्राएल की नाकेबंदी को तोड़ने और राहत सामग्री लेकर आ रहे जहाज को रोकने के लिए इस्राइली सैनिकों ने हमला किया जिसमें कम से कम 9 लोगों की मौत हो गई. मारे गए राहतकर्मी तुर्की के नागरिक थे जिसके चलते तुर्की और इस्राएल में टकराव पैदा हो गया और इस हमले के लिए इस्राएल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना झेलनी पड़ी.ज्वालामुखी की राख और परेशान यात्री:
अप्रैल में यूरोप के आसमान में आइसलैंड के ज्वालामुखी से निकलती राख के बादल दिखाई दिए जिससे हवाई यातायात जमीन पर आ गया. यूरोप के कई बड़े शहरों के हवाई अड्डों पर विमान सेवा ठप हो गई. विमानों ने उड़ान नहीं भरी, लाखों यात्री फंसे रह गए, उन्हें एयरपोर्ट पर ही रहना पड़ा. 11 सितंबर 2001 के हमलों के बाद पहली बार हवाई यातायात पर इतना जबरदस्त असर हुआ. पहले से ही वित्तीय संकट की मार झेल रही विमान कंपनियों को कई दिनों तक हवाई यातायात ठप रहने से भारी नुकसान हुआ.रिपोर्टः सचिन गौड़
संपादनः ए जमाल