वजीरिस्तान से हजारों भागे
२७ अगस्त २०१२स्थानीय मीडिया और अधिकारियों का कहना है कि उत्तरी वजीरिस्तान में लोगों को समझाया गया है कि फिलहाल पाकिस्तान की सेना यहां कुछ ऐसा नहीं करने वाली है, फिर भी लोग घर बार छोड़ कर भाग रहे हैं. उत्तरी वजीरिस्तान पाकिस्तान के सात कबाइली जिलों में एक है और समझा जाता है कि तालिबान और अल कायदा का प्रमुख गढ़ है.
पाकिस्तान की सेना ने तालिबान के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है लेकिन अमेरिकी दबाव के बाद भी उसने हक्कानी नेटवर्क पर ज्यादा कार्रवाई नहीं की है. इलाके के मुख्य शहर मीरानशाह के एक अधिकारी सैफुर रहमान ने कहा, "इलाके से अब तक हजारों लोग भाग चुके हैं. यहां अफवाह फैली है कि सेना की कार्रवाई होने वाली है. इसके बाद ही लोग घर बार छोड़ कर भाग रहे हैं." तस्लीम खान नाम के दूसरे अधिकारी ने भी इस बात की पुष्टि की.
खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत के सूचना मंत्री मियां इफ्तिखार हुसैन ने भी कहा कि उनके पड़ोसी प्रांत से लोग भाग रहे हैं और उनके यहां शरण ले रहे हैं. इस हफ्ते तालिबान के एक प्रवक्ता ने एलान किया था कि उसे खास सूचना मिली है कि उत्तरी वजीरिस्तान में पाकिस्तान की सेना कार्रवाई करने वाली है. इसके बाद ही अफवाहों का बाजार गर्म हुआ.
पाकिस्तानी मीडिया को भेजे एक ईमेल में पाकिस्तान तालिबान के प्रवक्ता अहसानुल्लाह अहसान ने दावा किया कि पाकिस्तान की सेना की कार्रवाई 26 अगस्त को शुरू होगी और महीने भर तक चलेगी. लेकिन सरकारी और सैनिक अधिकारियों ने स्थानीय मीडिया का इस्तेमाल करते हुए लोगों से शांत रहने की अपील की है.
रेडियो पर घोषणा की गई, "यह एक शांतिपूर्ण इलाका है और यहां का माहौल शांतिपूर्ण है. सरकार का यहां सैनिक कार्रवाई करने का कोई इरादा नहीं है." शनिवार को कबाइली सरदारों ने पाकिस्तान सरकार को चेतावनी दी कि इस इलाके में हमला नहीं किया जाना चाहिए नहीं तो वे लोग सीमा पार करके अफगानिस्तान चले जाएंगे. स्थानीय जिरगा का नेतृत्व करने वाले मौलवी अब्दुर रहमान ने कहा, "अगर पाकिस्तान की सेना ने कदम उठाया, तो हम लोग अफगानिस्तान चले जाएंगे."
उत्तरी वजीरिस्तान के मीराली शहर में हुए जिरगा में लोगों से भी शांत बने रहने की अपील की गई. समाचार एजेंसी एएफपी ने अपने एक संवाददाता के हवाले से रिपोर्ट दी है कि वहां के लोग घर बार छोड़ कर जा रहे हैं.
अमेरिका लंबे अर्से से पाकिस्तान से मांग कर रहा है कि उसे हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए. अमेरिका का कहना है कि पिछले साल सितंबर में काबुल में अमेरिकी दूतावास पर हमले के पीछे हक्कानी नेटवर्क का ही हाथ था.
एजेए/एनआर (एएफपी)