लेबनान की मदद के लिए जर्मन विदेश मंत्री का आश्वासन
१ जून २००८बातचीत के बाद उन्होंने कहा कि लेबनान में संवैधानिक संकट समाप्त होने के बाद अब सीरिया के साथ उसके संबंध सामान्य होने मौके बेहतर हुए हैं. उन्होंने आशा व्यक्त की कि कुछ समय के बाद राजदूतों का आदान-प्रदान संभव होगा, अगर सीरिया एक सार्वभौम राज्य के रूप में लेबनान के साथ पेश आए.
श्टाइनमायर ने लेबनान के सभी दलों से अपील की कि वे दोहा में किए गए समझौते का पालन करें. इस समझौते में यह भी तय किया गया था कि विवादों के हल के लिए हिंसा का प्रयोग नहीं किया जाएगा, तथा छापामार दस्तों को निहत्था किया जाएगा. इस सिलसिले में जर्मन विदेश मंत्री ने कहा कि ताकत के इस्तेमाल के लिए लेबनानी राज्य के एकाधिकार का फिर से आदर किया जाना चाहिए. इसमें यह भी शामिल है कि छापामारों को निहत्था करने के लिए अब गंभीर रूप से बातचीत शुरू की जाए. उन्होंने कहा कि यह सभी लोगों के हित में है कि आंतरिक व बाह्य रूप से लेबनान की सार्वभौमता की गारंटी दी जाए.
हिज़बोल्ला अभी तक हथियार त्यागने के लिए तैयार नहीं है. नए राष्ट्रपति सुलेमान को इस सिलसिले में समझौते करने पड़ेंगे. जर्मन विदेश मंत्री ने राष्ट्रपति के रूप में उनके चुनाव को आशा का एक संकेत बताया. उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि राष्ट्रपति पू्र्व प्रधान मंत्री रफ़ीक हरीरी की हत्या की जाँच के लिए संयुक्त राष्ट्र के न्यायाधिकरण का समर्थन कर रहे हैं. अब तक की जाँच से संकेत मिले हैं कि सीरिया इस हत्या में लिप्त था.
विदेश मंत्री श्टाइनमायर ने नए राष्ट्रपति को जर्मनी की ओर से समर्थन का आश्वासन दिया. इस सिलसिले में पुनर्निर्माण की ठोस योजनाओं पर बात की गई. सन 2006 से जर्मनी सीमा की निगरानी के क्षेत्र में लेबनानी अधिकारियों को सलाह दे रहा है.
लेबनान जर्मन विदेश मंत्री की मध्य पूर्व यात्रा का पहला पड़ाव है. वे इसके अलावा इज़राइल और फ़िलिस्तीनी क्षेत्र का भी दौरा करने वाले हैं.