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लीबिया में फंसे बांग्लादेशियों के घरवालों का प्रदर्शन

२६ फ़रवरी २०११

लीबिया में फंसे बांग्लादेशियों को वहां से निकालने के लिए सरकार की तरफ से कोई कदम न उठते देख उनके घरवालों ने हाइवे जाम कर दिया है. पुलिस के मुताबिक हजारों लोगों ने राजधानी से 80 किलोमीटर दूर ढाका सिलहट हाइवे को जाम किया.

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तस्वीर: AP

हाइवे पर जमे लोगों को हटाने में पुलिस को खासी मशक्कत करन पड़ी हालांकि घंटे भर से ज्यादा की कोशिश के बाद शांतिपूर्ण तरीके से हाइवे पर जमे लोगों को वहां से हटा दिया गया. स्थानीय पुलिस अधिकारी शाहजहां कबीर ने बताया," ये लोग लीबिया में फंसे बांग्लादेशी लोगों की सुरक्षित घर वापसी कराने के काम में प्रधानमंत्री की दखल चाहते हैं.

शनिवार को राजधानी ढाका में करीब 700 लागों ने मानव चेन बनाकर सरकार की कोशिशों में कमी के खिलाफ प्रदर्शन किया. ढाका में एक प्रदर्शनकारी ने बताया, "मेरे बेटे ने फोन पर मुझे बताया कि उसे कई दिनों से खाना भी नहीं मिला. मैं प्रधानमंत्री से अपील करता हूं कि वह हमारे बेटे और दूसरे बांग्लादेशी कामगारो को वापस ले कर आए." बांग्लादेशी अधिकारियों ने कहा कि वह अंतरराष्ट्रीय संगठनों से बांग्लादेशी लोगों को निकालने के लिए बात कर रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस योजना नहीं बन पाई है न ही इसके लिए पैसे का इंतजाम हो सका है. कबीर हुसैन नाम के एक बाग्लादेशी युवक ने फोन पर बताया कि वो बेनगाजी से 400 किलोमीटर दूर लीबियाई रेगिस्तान में एक कैंप में फंसे हुए हैं. कबीर वहां एक विदेशी इंजीनियरिंग कंपनी के लिए काम करते हैं. कबीर के मुताबिक उनकी कंपनी ने उन लोगों को बीच मंझधार में छोड़ दिया है.

लीबिया में बांग्लादेश के 60 हजार से ज्यादा लोग काम करते हैं. इनमें से ज्यादातर कम आमदनी वाली नौकरियों में हैं जो मुख्य रूप से निर्माण उद्योग से जुड़े हुए हैं. बांग्लादेश ने कहा है कि वह मजदूरों की सुरक्षित वापसी चाहती है लेकिन दूसरे देशों की तरह उसके पास इसके लिए फिलहाल कोई खास योजना नहीं है. बांग्लादेश के पड़ोसी भारत ने अपने नागरिको को वापस लाने के लिए शनिवार से हर रोज दो विमानों को लीबिया भेजना शुरू किया है.

बांग्लादेश के विदेश मंत्री दीपू मोनी ने कहा है, "हम लीबिया की स्थिति पर बारीकी से नजर रखे हुए हैं और कोशिश कर रहे हैं कि अपने नागरिकों को सुरक्षित अपने देश वापस ला सकें."

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः उ भ

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