लीबिया को नो फ्लाई जोन बनाने पर उलझन
२१ मार्च २०११एक नाटो राजनयिक के अनुसार सदस्य देश तुर्की ने, जिसने लीबिया में सैनिक हस्तक्षेप के खिलाफ बोला था, पहले राजदूतों के बीच सहमति में बाधा डाली. सोमवार को नाटो के 28 सदस्य देशों के प्रतिनिधि हथियार प्रतिबंध पर अमल की योजना पर विचार करने के लिए मिलेंगे. इसके लिए नाटो को विमानों और जहाजों के इस्तेमाल की जरूरत पड़ेगी ताकि लीबियाई नेता कर्नल गद्दाफी के सैनिकों तक हथियारों को पहुंचने से रोका जा सके.
फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे नाटो के कई सदस्य देशों ने लीबिया पर रविवार को शुरू हुए हमले में भाग लिया. सहमति से फैसला लेने वाला नाटो इन मुद्दे पर विभाजित है. जर्मनी ने भी लीबिया में विदेशी हस्तक्षेप का विरोध किया है. राजनयिकों के अनुसार फ्रांस ने भी नाटो की हिस्सेदारी के खिलाफ दलील दी है जबकि ब्रिटेन, अमेरिका और कनाडा चाहते हैं कि नाटो लीबिया में नेतृत्व करे.
इस बीच लीबिया ने रविवार को संघर्ष विराम की घोषणा की है. लेकनि अमेरिका ने कहा है कि गद्दाफी सरकार की घोषणा सच नहीं है. राष्ट्रपति बराक ओबामा के सुरक्षा सलाहकार टॉम डोनिलॉन ने लीबिया की घोषणा के बाद कहा कि यह सही नहीं है या उसका तुरंत हनन किया गया है. इसलिए हम गद्दाफी की कार्वाईयों को मोनीटर करते रहेंगे.
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: एन रंजन