लंदन ओलंपिक मशाल का वर्ल्ड टूर का इरादा नहीं!
७ नवम्बर २०११वेल्स की स्नोडोन चोटी 8,848 मीटर ऊंचे एवरेस्ट की बराबर तो नहीं कर सकती, लेकिन लंदन ओलंपिक की मशाल 70 दिन के सफर के लिए जिन साधनों का इस्तेमाल होगा, वे खासे दिलचस्प हैं. लंदन ओलंपिक के आयोजक एलओसीओजी की तरफ से जो मशाल रिले का कार्यक्रम पेश किया गया है उसके मुताबिक वह पूरे ब्रिटेन में 8,000 मील का सफर तय करेगी. उसे ब्रिटेन की सभी अहम जगहों तक पहुंचाने के लिए कनाल बोट, केबल कार, ट्राम, स्ट्रीम ट्रेन, गर्म हवा के गुब्बारे और यहां तक कि मोटरसाइकल साइडकार का भी इस्तेमाल किया जाएगा.
मशाल 27 जुलाई को हैम्पटन कोर्ट पैलेस से होती हुए थेम्स नदी के रास्ते अपनी मंजिल को पहुंचेगी और लंदन ओलंपिक का आगाज होगा. दिलचस्प बात यह है कि मशाल घोड़े की पीठ पर भी सवार होगी तो स्कॉटलैंट में लोख नेस झील में वह नौका की सवारी करेगी. बर्फ के मैदान पर उसकी स्केटिंग होगी तो नॉर्थ वेल्स में मशाल स्नोडोन पर्वत की चोटी को छूएगी. एलओसीओजी के अध्यक्ष सेबास्टियन को कहते हैं, "हम इसे दिलचस्प बनाना चाहते थे." मशाल रिले का रूट इस तरह तैयार किया गया है कि देश की 95 प्रतिशत आबादी एक घंटे के भीतर मशाल के रास्ते तक पहुंच सकती है.
वर्ल्ड टूर नहीं
चीन ने 2008 में बीजिंग ओलंपिक के वक्त जिस तरह का महत्वकांक्षी अंतरराष्ट्रीय मशाल रिले कार्यक्रम तैयार किया था, लंदन ने वैसा नहीं सोचा है. सोमवार को जारी कार्यक्रम में किसी अन्य देश के बाहर रिले की जानकारी नहीं दी गई है, लेकिन मशाल को उत्तरी आयरलैंड से डबलिन तक ले जाया जाएगा ताकि शांति प्रक्रिया की अहमियत को उभारा जा सके.
को ने कहा, "हम इस बारे में काम कर रहे हैं. मैं इसे वहां (डबलिन) ले जाने को लेकर उत्साहित हूं. इससे उस वक्त में कोई कटौती नहीं होगी जो हमने इंग्लैंड, स्कॉटलैंट, उत्तरी आयरलैंड और वेल्स के लिए रखा है. यह कुछ अतिरिक्त वक्त होगा जो कुछ घंटें हो सकते हैं. मैं भी वहां होना चाहूंगा लेकिन अब ये सरकारों के बीच का मामला है. बेशक उन्हें सुरक्षा मुद्दों पर भी बात करनी है."
कड़ी रहेगी सुरक्षा
मशाल 18 मई को ग्रीस में जलाए जाने के बाद जब ब्रिटेन पहुंचेगी तो वह इंग्लैंड की सभी काउंटियों के साथ साथ स्कॉटलैंट, वेल्स, और उत्तरी आयरलैंड के स्थानीय प्राधिकरण क्षेत्रों से गुजरेगी. ब्रिटेन में मशाल के सफर में कुल 1, 018 गांव, कस्बे और शहर शामिल होंगे. को ने बताया कि आयोजक लंदन की मेट्रोपोलिटन पुलिस के साथ मिल कर काम कर रहे हैं ताकि मशाल रिले के दौरान कोई अवांछित घटना न हो. स्थानीय सुरक्षा बलों को भी इसमें शामिल किया गया है.
पहली मशाल रिले का आयोजन 1936 के बर्लिन ओलंपिक से पहले किया गया था. ग्रीस में जलने के बाद 3,331 धावकों ने मशाल को 12 दिन में जर्मनी की राजधानी बर्लिन पहुंचाया, जबकि पहला विश्व मशाल रिले 2004 में एथेंस ओलंपिक के लिए कराया गया. उस वक्त मशाल ने ग्रीक राजधानी एथेंस पहुंचने से पहले पूरी दुनिया का सफर तय किया.
रिपोर्ट: रॉयटर्स, एएफपी/ए कुमार
संपादन: आभा एम