रूस का हॉलीवुड है ग्लावकिनो
२९ जुलाई २०१२पूर्वी यूरोप के इस सबसे बड़े फिल्म स्टूडियो को बनाने में एक रूसी कंपनी ने करीब 9 करोड़ डॉलर खर्च किए हैं. विमान में सवार हो कर भी इलाके से गुजरें तो ग्लावकिनो का साइनबोर्ड और उस पर लिखे शब्द साफ नजर आते हैं. 33 हजार वर्ग मीटर में फैले स्टूडियो के जरिए रूस में फिल्म बनाने की हर सुविधा को एक परिसर में लाने की ऐसी कोशिश पूरे सात दशक बाद सामने आई है. इसी साल फरवरी में तब के रूसी राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदव ने इसकी औपचारिक शुरूआत की. लेकिन इसके बनने का काम अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है.
रूस इस स्टूडियो के जरिए फिल्म बनाने वालों को एक प्लेटफॉर्म देना चाहता है और अंतरराष्ट्रीय फिल्मों को अपने यहां बुलाने की भी मंशा है. ग्लावकिनो के निदेशक इलया बाखुरिन ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "हमारा लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट को अपने यहां बुलाना है ताकि हम उनके अनुभव और तकनीक के बारे में जान सकें." थ्रीडी तकनीक से लैस करीब 3,108 वर्गमीटर में फैले साउंड स्टूडियो को दिखाते हुए 42 साल के बुखरिन की आंखें खुशी से चमकने लगती हैं. बुखरिन पहले टीवी प्रोडक्शन से जुड़े थे. उन्होंने बताया, "यह पूर्वी यूरोप में सबसे बड़ा है."
"पैसा कमाना मकसद नहीं"
तकनीक के मामले में स्टूडियो यूरोप और अमेरिकी फिल्म जगत के बेहतरीन स्टूडियो के समकक्ष ही है. ग्लावकिनो की पहली फिल्म बन कर तैयार हो गई है. 8 अगस्त नाम की इस फिल्म को बनाने के लिए 90 फीसदी पैसा रूसी सरकार ने दिया है. फिल्म की कहानी 2008 में रूस और जॉर्जिया के बीच हुई जंग पर आधारित है. जाहिर है जिसका पैसा लगा है उसके हितों का ध्यान भी फिल्म ने रखा ही होगा.
बुखरिन ने यह भी बताया कि फिल्म स्टूडियो बनाने का मकसद पैसा कमाना नहीं है. उन्होंने साफ कहा, "हम पैसा कमाना नहीं चाहते. यह हमारा प्रमुख उद्देश्य नहीं हैं. हम दूसरे देशों के अनुभव से सीखना चाहते हैं और उनके विशेषज्ञों को लुभाना चाहते हैं. वो लोग जो इस स्टूडियो को अंतरराष्ट्रीय फिल्म उद्योग का हिस्सा बना सकें." इसी साल जून में ग्लावकिनो ने ब्रिटिश निर्देशक पीटर ग्रीनवे को करीब 37000 डॉलर डेथ इन वेनिस फिल्म के पोस्ट प्रोडक्शन पर खर्च करने के लिए दिए. ग्रीनवे ने बताया कि वह सेंट पीटर्सबर्ग में शूटिंग की योजना बना रहे हैं. बुखरिन ने ज्यादा ब्यौरा तो नहीं दिया लेकिन बताया कि ग्लावकिनो कई अंतरराष्ट्रीय फिल्म परियोजानाओं के लिए बोली लगाने की सोच रहा है.
फिल्मी संस्कृति का अभाव
एक समस्या यह है कि रूस फिल्मकारों को टैक्स में छूट नही देता. इसके अलावा कस्टम, वीजा और वर्क परमिट के कड़े नियम भी एक बड़ी बाधा हैं. हालांकि इसके बावजूद कई बड़े फिल्मकारों ने यहां आकर स्टूडियो की स्थिति का जायजा लिया है और वे प्रभावित भी हुए हैं. रूस में जन्मे अमेरिकी फिल्मकार विक्टर गिंजबुर्ग ने हाल ही में स्टूडियो देखा और काफी खुश हुए. वह मानते हैं, "सुविधाएं तो आ गई हैं लेकिन अभी फिल्म वाली संस्कृति का अभाव है. आपको प्रोजेक्शन डिजायनर, आर्ट डायरेक्टर, सेट डेकोरेटर, क्राफ्ट्समेन की जरूरत होती है. रूस में इनकी कमी है."
1990 के दशक से ही यहां फिल्मों की संस्कृति खत्म होती चली गई. एक पूरी पीढ़ी निकल गई है जिनके लिए फिल्मों में करने को यहां कुछ था ही नहीं. हालांकि ग्लावकिनो अभी नया है और नए सपने दिखा रहा है. रूसी भाषा में ग्लाव का मतलब मुख्य और किनो का मतलब सिनेमा या फिल्म होता है. बुखरिन के साथ ग्लावकिनों की शुरुआत करने वालो में फ्योदोर बोन्डार्चुक भी हैं जिन्होंने द नाइंथ कंपनी जैसी हिट फिल्में बनाई है. उनके पिता सर्गेई बोन्डार्चुक ऑस्कर जीतने वाली फिल्म वार एंड पीस बना चुके हैं.
इसके अलावा कोन्स्टैन्टिन अर्न्स्ट भी इसके निदेशकों में हैं. वह पहले सरकारी टीवी चैनल वन के महानिदेशक थे. यह चैनल फिल्मों का एक बड़ा प्रोडक्शन हाउस भी चलाता है. फिलहाल ग्लावकिनो भी ज्यादातर टीवी के प्रोडक्शन में ही व्यस्त है. वैसे भविष्य में इसे आधा टीवी और आधा फिल्म के लिए इस्तेमाल करने की योजना है. स्टूडियो के दूसरे चरण में ड्रेस वर्कशॉप से लेकर पांच सितारा होटल तक बनाने की योजना है. इस पर करीब 12 करोड़ डॉलर खर्च होंगे और इसके 2013 तक पूरा होने की उम्मीद है.
एनआर/आईबी (एएफपी)