'राष्ट्रपति के तौर पर सू ची स्वीकार'
३० सितम्बर २०१२थेन सेन ने यह बात शनिवार को बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में कही. म्यांमार के पूर्व जनरल थेन सेन ने इस बात पर जोर दिया कि देश के नेताओं और सू ची के बीच कोई मतभेद नहीं है, "यदि जनता उन्हें स्वीकारती है तो मैं भी उन्हें स्वीकारूंगा. जैसा कि मैं पहले भी कह चुका हूं, हम अब एक साथ मिल कर काम कर रहे हैं."
थेन सेन ने हाल ही में न्यूयॉर्क में सू ची से मुलाकात की जिसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय दोनों नेताओं के बीच बेहतर होते संबंधों के रूप में देख रहा है. अमेरिका पहुंच कर उन्होंने कहा कि दशकों तक सैन्य शासन में रहने के बाद अब उनका देश लोकतंत्र की ओर बढ़ रहा है और आगे भी इसी तरह तेजी से कदम बढ़ाता रहेगा.
म्यांमार में 2015 में चुनाव होने हैं. देश के नियमों के अनुसार विदेशियों से संबंध रखने वालों को चुनाव में खड़े होने की अनुमति नहीं है. सू ची के पति ब्रिटिश थे. उनके दोनों बेटे भी पश्चिम में रहते हैं. ऐसे में उनके चुनाव में खड़े होने पर सवालिया निशान लगा हुआ है. थेन सेन ने इस बारे में कहा, "मैं खुद संविधान को नहीं बदल सकता. यह जनता पर और सांसदों पर निर्भर करेगा."
उन्होंने ने सेना की एहमियत के बारे में भी बात की. उन्होंने कहा की भले ही अब देश में सैन्य शासन ना रहा हो, लेकिन अब भी सेना को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. म्यांमार की संसद में एक चौथाई सीटें सेना के लिए निर्धारित हैं, "संविधान में सेना की जिम्मेदारियों के बारे में साफ तौर से बताया गया है और संसद के बारे में भी. हम सेना को राजनीति से अलग कर के नहीं देख सकते."
पिछले एक साल में थेन सेन द्वारा उठाए गए कदमों ने काफी प्रशंसा बटोरी है. उनके नेतृत्व में पश्चिमी देशों ने म्यांमार पर लगे कई प्रतिबंध खत्म किए हैं. इसके अलावा कई राजनीतिक कैदियों की रिहाई भी की गई है. खुद सू ची, जो 15 साल से नजरबंद थीं, अब विपक्षी नेता के तौर पर संसद में कदम रख पाई हैं. इस साल अप्रैल में स्थानीय चुनाव में सू ची की पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) का बेहतरीन प्रदर्शन रहा.
पूर्व जुंटा के वरिष्ठ अधिकारी रह चुके थेन सेन कई बार सू ची से मुलाकात कर देश के भविष्य के बारे में चर्चा कर चुके हैं. इसी हफ्ते संयुक्त राष्ट्र में दिए भाषण में उन्होंने बढ़ चढ़ कर सू ची के प्रयासों की तारीफ की. उन्होंने कहा, "म्यांमार का नागरिक होने के नाते मैं उन्हें मुबारकबाद देना चाहूंगा कि उन्हें लोकतंत्र के लिए अपने प्रयासों के लिए इतना सराहा गया है."
आईबी/एएम (एएफपी)