राम मंदिर राजनीतिक मुद्दा नहीं: मुख्तार अब्बास नकवी
१७ फ़रवरी २०१२54 वर्षीय नकवी कभी इंदिरा गांधी को चुनाव में हराने वाले समाजवादी नेता राज नारायण के करीबी थे और उनके प्रभाव में सोशलिस्ट हुआ करते थे. उनकी जनता पार्टी के टिकट पर नकवी ने पहला चुनाव यूपी विधान सभा के लिए इलाहाबाद पश्चिम से लड़ा और हार गए. उसके बाद अयोध्या से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में १९८९ में मैदान में उतरे और फिर हारे. हार का ये सिलसिला थमा नहीं. वे मऊ से भी लगातार तीन बार हारे. फिर वे बीजेपी में शामिल हो गए और 1998 में रामपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीत गए. जीते तो केंद्र सरकार में सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री भी बन गए. वह दो किताबें ' स्याह ' और ' दंगा ' भी लिख चुके हैं. यूपी विधान सभा चुनावों के दौरान मुख्तार अब्बास नकवी के साथ अंतरंग बातचीत के कुछ अंश:
बीएसपी, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के विरोध के अलावा आपकी पार्टी का मुख्य चुनावी मुद्दा क्या है?
भ्रष्टाचार मुक्त सरकार देने का हमारा पक्का वादा है. इसके अलावा जैसा कि हमने अपने घोषणा पत्र में भी कहा है कि एक करोड़ नौकरियां दी जाएंगी और सबसे खास बात कि हमारी सरकार में पारदर्शिता होगी और कोई रिमोट सिस्टम नहीं होगा जैसा कि कांग्रेस सरकारों में होता है.
अगर बीजेपी की सरकार बनी तो प्राथमिकताएँ क्या होंगी और सरकार पहला काम क्या करेगी?
बीएसपी की सरकार के घोटालों की बड़े पैमाने पर जांच कराई जाएगी. हर विभाग की जांच कराई जाएगी. जहां जहां भी भ्रष्टाचार हुआ है उसके लिए उत्तरदायी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान चलाया जाएगा. हमारी पार्टी ने 'करप्शन फ्री स्टेट' का वादा किया है उसे हर हाल में पूरा किया जाएगा.
आपको क्या लगता है कि इस बार आपकी सीटें कुछ बढेंगी. पिछली बार तो शायद 55 ही आई थीं?
क्यों नहीं बढेंगी, हम बहुत अच्छी तरह मैदान में उतरे हैं. निश्चित रूप से हमारी सीटें अपेक्षा से बहुत ज्यादा होंगी. दो चरणों के चुनाव से इसका अंदाज़ा लगाया ही जा सकता है. पूर्वांचल में हमारी पार्टी का प्रदर्शन अच्छा रहा है. सबसे खास बात ये है कि इस बार लोग वोट देने के लिए बेहद उत्साहित हैं. इसके अच्छे परिणाम आएंगे.
आपकी पार्टी ने इस बार जबरदस्त प्रचार अभियान छेड़ा है. इसका कुछ असर दिख रहा है?
जनता के समक्ष हम मजबूत विकल्प के रूप में सामने आए हैं. जाहिर है कि हमारा जनाधार बढ़ा है. लोगों को लगने लगा है कि बीजेपी पूरी ताकत से मैदान में है और बीएसपी को हरा सकती है और हमें इसीलिए हर जगह समर्थन मिल रहा है.
बीएसपी से निकाले गए भ्रष्टाचार के आरोपी बाबू सिंह कुशवाहा को बीजेपी के राजनीतिक प्रश्रय देने से क्या पार्टी को कोई फायदा होगा?
देखिये बीजेपी को फायदा तो हर हाल में हो ही रहा है. जहाँ तक बात कुशवाहा की है तो मुझे नहीं लगता कि उन्हें पार्टी ने राजनीतिक प्रश्रय दिया है.
जगह-जगह वह बीजेपी के प्रत्याशी के समर्थन में सभाएं कर रहे हैं, 14 फरवरी को चरखारी में उमा भारती के लिए जनसभा की है?
देखिये बीजेपी के समर्थन के लिए बहुत से लोग सभाएं और रैलियां कर रहे हैं उनमें से वह भी एक हैं.
क्या राम मंदिर निर्माण चुनावी मुद्दा है?
राम मंदिर राजनीतिक मुद्दा नहीं है.
बीजेपी में एक अल्पसंख्यक सेल भी है. उसका क्या काम है?
एक राजनीतिक दल के रूप में समाज के हर वर्ग का सहयोग चाहिए. तो अल्पसंख्यकों को भी पार्टी से जोड़ने के लिए ये सेल बनाया गया है. अच्छा काम कर रहा है.
लेकिन आपकी पार्टी ने 400 में से टिकट तो सिर्फ एक मुसलमान को दिया है?
हम चाहते थे कि और अधिक टिकट दिए जाएं लेकिन ऐसा नहीं हो सका. पर ये कोई विशेष बात नहीं.
इंटरव्यू: एस. वहीद, लखनऊ
संपादन: महेश झा