राजा से दूसरे दिन भी सीबीआई की पूछताछ
२५ दिसम्बर २०१०शुक्रवार की लंबी पूछताछ के बाद क्रिसमस की छुट्टी भी राजा के लिए राहत नहीं लाई. उन्हें सुबह सुबह सीबीआई के दफ्तर पहुंचना पड़ा और उनसे फिर पूछताछ हुई. जांच एजेंसी से राजा से स्पैक्ट्रम आवंटन को लेकर कई सवाल किए. इस दौरान कॉरपोरेट लॉबीस्ट नीरा राडिया की भी जिक्र आया.
आरोप हैं कि राजा ने 2जी स्पैक्ट्रम आवंटन के दौरान कुछ खास कंपनियों को फायदा पहुंचाया. उन्होंने आवेदन की समय सीमा में बदलाव किया और तमाम आपत्तियों के बावजूद नीलामी प्रक्रिया की जगह 'पहले आओ, पहले पाओ' वाला सिस्टम बना दिया. दूरसंचार मंत्रालय के इन फैसलों से सरकार को कम से कम 22,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. महालेखा परीक्षक के मुताबिक राजा की मनमानी से केंद्र को 1,76,000 करोड़ रुपये का चूना लगा.
राजा मई 2007 से नवंबर 2009 तक भारत के दूरसंचार मंत्री रहे. मंत्रिमंडल में डीएमके नेता राजा की नियुक्ति को लेकर भी विवाद है. आरोप हैं कि भारत के कुछ बड़े पत्रकारों ने कॉरपोरेट लॉबीस्ट नीरा राडिया के इशारों पर राजा को दूरसंचार मंत्री बनाने में मदद की. नीरा राडिया जानती थी कि अगर राजा टेलीकॉम मिनिस्टर बन गए तो कई कंपनियों के हाथ आसानी से करोड़ों अरबों के सौदे लग जाएंगे.
इस संबंध में कई ऑडियो टेप भी लीक हो चुके हैं. इन टेपों में राडिया की कुछ पत्रकारों, कुछ नेताओं और कुछ दिग्गज उद्योगपतियों से बातचीत है. सीबीआई इस बातचीत को आधार बनाकर भी राजा को कसने की तैयारी कर रही है.
जांच एजेंसी ने 2जी स्पैक्ट्रम घोटाले के संबंध में साल भर पहले केस दर्ज किया था. लेकिन कार्रवाई बड़ी सुस्त रफ्तार से हो रही थी. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने जब केंद्र और सीबीआई को कड़ी फटकार लगाई और खुद प्रधानमंत्री की भूमिका पर सवाल उठाए, तब से जांच स्वाभाविक गति से हो रही है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: एस गौड़