यूपी में ‘लव जिहाद’ अध्यादेश के तहत कार्रवाई शुरू
३ दिसम्बर २०२०बरेली जिले में शादी के लिए कथित तौर पर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाने के आरोप में एक युवक को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. बरेली के पुलिस उप महानिरीक्षक राजेश कुमार पांडेय ने बताया, "जिले की बहेड़ी पुलिस ने रिछा रेलवे फाटक के पास से ओवैस नामक युवक को बुधवार को गिरफ्तार कर लिया. विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020 के तहत इस युवक के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. गिरफ्तारी के बाद ओवैस को पुलिस ने अदालत में पेश किया, जहां से उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.”
बरेली जिले के देवरनिया थाना के शरीफ नगर गांव में रहने वाली एक युवती के परिजनों का आरोप था कि ओवैस उसे तीन साल से परेशान कर रहा था और विवाह के लिए धर्म परिवर्तन का दबाव बनाता था. हालांकि परिजनों ने पिछले साल युवती की शादी भी कर दी लेकिन उनका आरोप है कि युवक अभी भी दबाव बना रहा था. इस मामले में लड़की के परिजनों ने पिछले साल भी एफआईआर दर्ज कराई थी लेकिन तब दोनों पक्षों में समझौता हो गया था.
प्रेम प्रसंग या धर्म परिवर्तन की साजिश
बरेली के बाद मुजफ्फरनगर जिले में इस कानून के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है. मुजफ्फरनगर के थाना मंसूरपुर में एक व्यक्ति ने दो मुस्लिम युवकों पर यह आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई है कि दोनों युवक उनकी पत्नी को शादी का झांसा देकर धर्म परिवर्तन करने का दबाव बना रहे हैं.
मुजफ्फरनगर के एसएसपी अभिषेक यादव का कहना है कि तहरीर के आधार पर दोनों अभियुक्तों के खिलाफ अभियोग पंजीकृत कराकर जांच शुरू कर दी गई है और जल्द ही अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा. पुलिस के मुताबिक ये दोनों अभियुक्त हरिद्वार के रहने वाले हैं और शिकायतकर्ता के यहां ही नौकरी करते थे.
उत्तर प्रदेश में पिछले हफ्ते 'उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020' को कैबिनेट ने मंजूरी दी थी और शुक्रवार को राज्यपाल की स्वीकृति के बाद ये अध्यादेश अमल में आ गया. अध्यादेश को लागू हुए अभी कुछ घंटे ही बीते थे कि बरेली जिले के देवरनिया थाने में इस क़ानून के तहत पहला मामला भी दर्ज कर लिया गया.
कानून की निगाह में शादी और धर्म परिवर्तन
‘शादी के लिए धर्म परिवर्तन' का मामला अक्सर विवादों में रहता है. इसका विरोध करने वाले कुछ संगठन और कुछ लोग इसे एक साजिश बताते हैं और इसे ‘लव जिहाद' कहते हैं. पिछले दिनों इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपनी पसंद की शादी को व्यक्ति का मौलिक अधिकार बताते हुए इसकी आजादी दिए जाने का फरमान सुनाया था लेकिन उससे पहले अदालत ने भी सिर्फ शादी के लिए धर्म बदले जाने को लेकर सवाल उठाए थे.
यही नहीं, उत्तर प्रदेश, हरियाणा जैसे कई राज्यों में अंतरजातीय शादियों के लिए भी कई बार संघर्ष देखने को मिलता है और आए दिन इन मामलों में प्रेमी युगलों की हत्या या आत्महत्या की खबरें आती रहती हैं. अंतरजातीय शादियों के लिए एक ओर सरकार ने प्रोत्साहन योजना चला रखी है लेकिन समाज में वह तमाम लोगों को कतई स्वीकार्य नहीं है, खासकर ग्रामीण समाज में.
दो दिन पहले ही शाहजहांपुर जिले के सिंधौली इलाके में 17 वर्षीय किशोरी और उसके प्रेमी का शव अलग-अलग जगह फंदे से लटके मिले. स्थानीय लोगों के मुताबिक इन दोनों के बीच पिछले कुछ समय से प्रेम प्रसंग चल रहा था और परिजनों को यह बात मालूम थी. दोनों के परिजन एक-दूसरे पर हत्या का आरोप लगा रहे हैं. पुलिस मामले की तफ्तीश कर रही है और उसे आशंका है कि दोनों ने आत्महत्या की है.
प्रेम प्रसंगों के कारण हत्या और आत्महत्या
बरेली परिक्षेत्र के पुलिस उप महानिरीक्षक राजेश पांडेय बताते हैं कि पिछले दो साल में अकेले बरेली क्षेत्र में अंतरजातीय विवाह और अंतरजातीय प्रेम संबंधों की वजह से 42 लोगों ने आत्महत्या की है और इन वजहों से कुल 58 लोगों की मौत हुई है. डीआईजी पांडेय के मुताबिक, बाकी लोगों की उन्हीं के परिजनों ने या तो हत्या की या फिर कराई.
राजेश पांडेय बताते हैं कि पिछले साल जब वो बरेली ट्रांसफर होकर आए तो उन्होंने इस बारे में आंकड़े इकट्ठे करने शुरू किए. वो कहते हैं, "पता चला कि अंतरजातीय प्रेम संबंधों या विवाहों के कारण 16 हत्याएं हो चुकी हैं और इन्हीं वजहों से आत्महत्या करने वालों की संख्या तो इससे भी कहीं ज्यादा थी.”
समाजशास्त्र में शोध कर रहे सर्वेश कुमार का कहना है कि ग्रामीण समाज में शादी-विवाह सीधे तौर पर इज्जत के मामले हैं. उनके मुताबिक, "तमाम जागरूकता के बावजूद अभी भी लोग यह नहीं सहन कर पाते कि लड़के-लड़की अपनी मर्जी से शादी करें. शहरी समाज भी स्थितियां कोई बहुत अच्छी नहीं हैं लेकिन वहां तमाम वर्जनाओं की तरह यह भी टूट रही है. पर ग्रामीण इलाकों में अभी भी यह कायम है. लेकिन इसका सबसे दुखद पहलू यह है कि लोग यह भी नहीं समझते कि जिसे हम इज्जत समझ रहे हैं, आखिर उसकी जान ले लेने में कौन सी इज्जत बढ़ जाएगी.”
अंतरधार्मिक विवाहों को प्रोत्साहन
उत्तर प्रदेश में अंतरजातीय और अंतरधार्मिक विवाहों के लिए पिछले चार दशक से सरकार ने प्रोत्साहन योजना भी चला रखी है और कानूनी तौर पर भी ऐसे संबंधों को संरक्षण दिया जाता है. बावजूद इसके समाज में लोग इसे स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं.
यूपी में इस योजना के तहत अंतरजातीय और अंतरधार्मिक विवाह करने वाले जोड़ों को सरकार की ओर 50 हजार रुपये नगद दिए जाते हैं. हालांकि माना जा रहा है कि शायद नए कानून के बाद यूपी सरकार इस योजना को या तो बंद कर दे या फिर संशोधित कर दे.
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक राज्य सरकार 44 साल पुरानी इस योजना को खत्म करने जा रही है. इसे राष्ट्रीय एकता विभाग ने शुरू किया था. राज्य में पिछले साल अंतर-धार्मिक विवाह करने वाले 11 जोड़ों ने इस योजना का लाभ उठाया था और उन्हें 50-50 हजार रुपये मिले थे लेकिन इस साल इस योजना के तहत कोई फंड जारी नहीं किया गया है.
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