मॉस्को में चूहे बिल्ली का खेल
४ सितम्बर २०१३मॉस्को में रविवार की शाम. जीन्स और काली जैकेट पहने एक युवा नेता मेट्रो स्टेशन सोकोलनिकी के पास भाषण दे रहा है. 37 साल के अलेक्सेई नावाल्नी एक ब्लॉगर हैं जो सरकार के खिलाफ लिखते हैं और जिन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी लड़ाई से नाम कमाया है. पेशे से वकील नवाल्नी मॉस्को के मेयर बनना चाहते हैं.
उनका भाषण सुनने करीब 5000 लोग आए हैं लेकिन रैली खत्म होने से पहले ही वर्दी में कुछ जवान लोगों को घेर लेते हैं. लोग "शेम, शेम" के नारे लगाने लगते हैं, लेकिन नवाल्नी को जवानों की उपस्थिति से कोई फर्क नहीं पड़ता. "मैं तो यही समझता हूं कि पुलिस भी हमारी रैली में हिस्सा लेना चाहती है." नवाल्नी को पुलिस की एक बस में वहां से ले जाया जाता है लेकिन उसी शाम को वे छोड़ भी दिए जाते हैं. पुलिस का कहना है कि नवाल्नी ने अपने भाषण के दौरान कानूनों का उल्लघंन किया और इसलिए उन्हें "बातचीत" के लिए ले जाया गया.
चूहे बिल्ली का खेल
मॉस्को में मेयर के पद के लिए खड़े हो रहे विपक्षी नेताओं के लिए इस तरह की घटनाएं आम बात है. 18 जुलाई को नवाल्नी को पांच साल की सजा सुनाई गई. किरोव प्रांत में नवाल्नी लकड़ी के एक बिजनेस में सलाहकार थे और उन्हें वहां विश्वासघात का दोषी ठहराया गया. लेकिन दूसरे ही दिन नवाल्नी को आजाद कर दिया गया. एक अदालत ने फैसला सुनाया कि जब तक सजा प्रभावी नहीं होती, तब तक नवाल्नी आजाद रहेंगे और जेल में बंद नहीं किए जाएंगे.
रूस पर नजर रखने वाले विश्लेषक इसे क्रेमलिन और विपक्षी नेताओं के बीच चूहे बिल्ली का खेल बताते हैं. इसलिए नवाल्नी पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने चुनाव प्रचार के लिए विदेश से पैसा लिया, जो रूसी कानून के खिलाफ है. सरकार के वकीलों ने इन आरोपों की पुष्टि की. रूस में इस वक्त जिस तरह का माहौल है, अगर इस दौरान नवाल्नी को चुनाव में खड़े होने से रोका जाता, तो इसमें कोई हैरानी वाली बात नहीं होती. लेकिन नवाल्नी चुनाव लड़ रहे हैं.
दिखावे का लोकतंत्र
रूस के लिए यह चुनाव बेहद अहम हैं. मॉस्को देश का सबसे बड़ा और सबसे अमीर शहर है. करीब एक करोड़ 20 लाख आबादी वाले शहर में देश के सकल घरेलू उत्पाद का 20 प्रतिशत पैदा होता है. लेकिन 2011 और 2012 की सर्दियों में रूस विपक्षी आंदोलन का केंद्र बना. संसद और राष्ट्रपति चुनावों पर उस वक्त धांधली का साया था. मध्य वर्ग ने पुतिन के विरोध आंदोलन में हिस्सा लिया.
आंदोलन के नेताओं में नवाल्नी भी शामिल थे. शायद इसी वजह से मेयर के पद के लिए चुनावों का लोकतांत्रिक होना दिखावे जैसा लगता है. दस साल में पहली बार मॉस्को के निवासी अपना मेयर सीधे चुन सकते हैं. इससे पहले राष्ट्रपति एक उम्मीदवार घोषित करते थे और नगर परिषद इस उम्मीदवार की पुष्टि करता था. इस बार मेयर के लिए छह उम्मीदवार खड़े हुए हैं. नगर परिषद के प्रमुख व्लादिमीर प्लाटोनोव ने इंटरनेट पर एक बयान में कहा है कि इस बार चुनाव "निष्पक्ष और पारदर्शी" होंगे.
लेकिन विशेषज्ञों की राय अलग है. मॉस्को में लेवाडा सेंटर के समाजशास्त्री डेनिस वोल्कोव कहते हैं कि इन चुनावों में प्रतिस्पर्धा न्यायपूर्ण नहीं होगी. चुनावों का दो साल पहले आयोजन किया जा रहा है ताकि मॉस्को के वर्तमान मेयर सर्गेई सोबयानिन को फायदा हो. सोबयानिन 2010 से अपने पद पर हैं. लेवाडा सेंटर के सर्वेक्षणों के मुताबिक सोबयानिन की जीत लगभग तय है. उन्हें 60 प्रतिशत वोट मिल सकते हैं. ब्लॉगर और वकील नवाल्नी को करीब 18 प्रतिशत वोट मिलेंगे. वोल्कोव का कहना है, "नवाल्नी को चुनाव में हिस्सा लेने दिया गया, जब यह बात साफ हुई कि वह चुनाव में वोट तो हासिल कर लेंगे लेकिन वर्तमान मेयर के लिए खतरा नहीं बनेंगे."
वोल्कोव कहते हैं कि सोबयानिन ने टीवी पर सार्वजनिक बहस में हिस्सा लेने से मना तो किया है लेकिन उनके बयान आए दिन टीवी पर दिखाए जाते हैं. नवाल्नी और बाकी उम्मीदवार कभी टीवी पर नहीं दिखते. लेकिन नवाल्नी ने इसी बात का इस्तेमाल किया है और इंटरनेट के जरिए लोगों तक पहुंच रहे हैं. यहां तक कि चुनाव प्रचार के लिए पैसे भी वे इंटरनेट के जरिए ही जमा करते हैं और अपने स्तर पर एक छोटी सी क्रांति कर रहे हैं.
याद करेंगे पुतिन
लेकिन रूसी विपक्ष के एक तबके का मानना है कि नवाल्नी ने रूसी एकता पार्टी के कुछ सांसदों से नामांकन स्वीकार किया जब कि वे खुद पार्टी की नैतिकता पर सवाल उठाते हैं. कुछ विपक्षी नेताओं का मानना है कि नवाल्नी दक्षिणपंथियों को आकर्षित करने की कोशिश करते हैं.
नवाल्नी चाहते हैं कि देश में आए लाखों प्रवासी वापस अपने देश चले जाएं. साथ ही वह सोवियत संघ में रहे देशों के नागरिकों के लिए वीजा शुरू करना चाहते हैं. इंसब्रुक विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ गेरहार्ड मांगोट मानते हैं कि इस तरह की राष्ट्रवादी नीतियों से नवाल्नी को और वोट मिलेंगे, "हमें भूलना नहीं चाहिए कि नवाल्नी के पास देने को और कुछ नहीं है. चुनाव में दूसरा मुद्दा भ्रष्टाचार है." लेकिन नवाल्नी का यही रवैया उदारवादी विपक्षी नेताओं को असमंजस में डाल रहा है. क्या उन्हें नवाल्नी का समर्थन करना चाहिए या चुप हो कर सरकार की कठपुतली सोबयानिन को वोट देना चाहिए.
नवाल्नी और उसके समर्थक चाहते हैं कि पुतिन को यह चुनाव याद रहें. लेकिन माना जा रहा है कि नवाल्नी यह सब अपने लिए कर रहे हैं. उन्हें जितने वोट मिलेंगे, सजा मिलने की आशंका उतनी ही कम होगी. लेकिन क्या सजा वाकई कम होगी, यह पता नहीं. मतदान के बाद मॉस्को में नवाल्नी के समर्थक प्रदर्शनों का आयोजन कर रहे हैं. लेवाडा सेंटर के डेनिस वोल्कोव मान रहे हैं कि प्रदर्शनों में 30,000 लोग हिस्सा लेंगे.
रिपोर्टः रोमान गोंचारेंको/एमजी
संपादनः महेश झा