मैर्केल की गठबंधन बनाने की कोशिश
४ अक्टूबर २०१३बहुत सावधानी के साथ शुक्रवार को चांसलर की सीडीयू-सीएसयू और विपक्षी एसपीडी पार्टियों ने आरंभिक बातचीत की. आने वाले दिनों में बातचीत के दौरान यूनियन पार्टियां और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी पहले तो एक दूसरे को परखेंगे. गठबंधन बनाने के लिए विस्तार से बातचीत अभी नहीं होगी. सीडीयू और उसकी सहयोगी पार्टी क्रिश्चन सोशल यूनियन (सीएसयू) गठबंधन का विकल्प खुला रखना चाहती हैं. अगले सप्ताह ग्रीन पार्टी के साथ इस तरह की बातचीत की योजना है.
22 सितंबर को सीडीयू 41,5 फीसदी मतों के साथ जीत तो गई थी लेकिन उसे बहुमत नहीं मिला. एसपीडी को 25.7 प्रतिशत मत मिले. चूंकि सीडीयू का साथ देने वाली एफडीपी पार्टी संसद में नहीं पहुंची, इसलिए अब सीडीयू, सीएसयू को नए साथी की जरूरत है.
टैक्स पर लड़ाई
सीडीयू प्रमुख अंगेला मैर्केल ने दोनों पार्टियों के साथ निष्पक्ष बातचीत का वादा किया है. उन्होंने कहा, "हमारी साझा जिम्मेदारी है स्थिर सरकार बनाने की." एसपीडी पार्टी के अध्यक्ष जिगमार गाब्रिएल ने "चुनाव परिणामों के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझ कर काम करने" की अपील की और चेतावनी दी कि बातचीत को जानबूझ न खींचा जाए. जर्मन दैनिक ज्यूडडॉयचे साइटुंग को उन्होंने कहा, "लोग निश्चित ही नहीं चाहेंगे कि चुनाव प्रचार चलता रहे, जिसके आखिर में नए चुनाव आएं."
दोनों पक्षों के बीच सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि क्या गठबंधन के लिए दोनों पार्टियां साथ आएंगी. बर्लिन में एसपीडी पार्टी के मेयर क्लाउस वोवेराइट ने भी सीडीयू के साथ गठबंधन किया था. दोनों पक्षों में सबसे बड़ा मतभेद कर बढ़ाने के बारे में है. सीडीयू ने चुनाव में वादा किया था कि कर नहीं बढ़ाए जाएंगे जबकि एसपीडी इसका समर्थन करती है.
दूसरे उम्मीदवार
एक और संभावना वामपंथी गठबंधन की भी है. वामपंथी पार्टी डी लिंके एसपीडी से वामपंथी सरकार बनाने के लिए बातचीत शुरू करने की मांग कर रही है. पार्टी प्रमुख काट्या किपिंग ने एसपीडी और ग्रीन पार्टी के नेतृत्व पर आरोप लगाया है कि अपनी पार्टी के सदस्यों की इच्छा को वह नजरअंदाज कर रहे हैं.
आंकड़ों के आधार पर देखा जाए तो एसपीडी, ग्रीन और वामपंथी डी लिंके पार्टियों को साथ मिल कर संसद में बहुमत है. लेकिन एसपीडी ने चुनाव अभियान के दौरान वामपंथी पार्टी के साथ किसी भी तरह की साझेदारी से इनकार किया है. जबकि ग्रीन पार्टी ने बातचीत का संकेत दिया है.
फिर से चुनाव?
अगर कुछ भी काम नहीं करेगा तो राष्ट्रपति को हस्तक्षेप करना ही होगा. अगर 22 अक्टूबर तक चांसलर का चुनाव नहीं हो सका तो नई सरकार चुने जाने तक राष्ट्रपति योआखिम गाउक मैर्केल को अंतरिम चांसलर बने रहने को कह सकते हैं. अगर कोई गठबंधन नहीं बन पाता तो राष्ट्रपति खुद भी चांसलर का नाम प्रस्तावित कर सकते है. सामान्य बहुमत के आधार पर उसे संसद में चांसलर चुना जा सकता है. भले ही फिर उसका खुद का बहुमत संसद में हो या नहीं.
अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में जर्मनी की भूमिका को देखते हुए अस्थिर सरकार देश के लिए ठीक भी नहीं. इसलिए अगर स्थिर सरकार नहीं बन सकी तो राष्ट्रपति नए चुनावों की भी घोषणा कर सकते हैं. लेकिन दूसरी पार्टियों को आशंका है कि दोबारा चुनाव होने पर मैर्केल की पार्टी को और ज्यादा सीटें मिल जाएंगी. इसलिए बहुत संभव है कि 2005 की तरह एसपीडी और सीडीयू का गठबंधन फिर से हो जाए.
रिपोर्टः आभा मोंढे (डीपीए, रॉयटर्स)
संपादनः महेश झा