महिला पर मुंबई पुलिस की धौंस
१९ नवम्बर २०१२पुलिस ने फेसबुक पर कमेंट लिखने वाली 21 साल की युवती को धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. कमेंट को लाइक करने वाली उसकी सहेली को भी हथकड़ी लगा दी. मुंबई पुलिस के इंस्पेक्टर श्रीकांत पिंगले कहते हैं, "महिला को निचली अदालत में पेश किया जाएगा. उस पर धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप हैं."
एक अन्य पुलिस इंस्पेक्टर उत्तम सोनावणे ने कहा, "उसने कमेंट में कहा कि ठाकरे जैसे लोग रोज पैदा होते और मरते हैं, उनकी वजह से बंद (शहर) नहीं होना चाहिए." दोनों युवतियों पर इंफॉर्मेशन टेक्नॉलजी एक्ट के तहत धाराएं लगाई गई हैं.
शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे का शनिवार को निधन हुआ. उनके निधन की खबर आते ही पूरा मुंबई थम सा गया. शिवसैनिकों के उपद्रव की आशंका के चलते शहर बंद हो गया. शहर रविवार को ठाकरे के अंतिम संस्कार तक शहर बंद रहा. युवती ने इसी का विरोध किया.
मुंबई पुलिस का दावा है कि शहर शांत रहा. यह शांति थी या खौफ, यह दो युवतियों पर कानून की मर्दानगी दिखा रही मुंबई पुलिस भी जानती है. राजनीतिक पार्टियों के आगे लाचार दिखने वाली पुलिस से इस तरह की घटनाओं में बेहद सक्रिय नजर आने की यह अकेली घटना नहीं है.
पिछले कुछ समय से भारतीय नेताओं में सहनशीलता का स्तर लगातार गिरता दिख रहा है. लोकतंत्र में पक्ष और विपक्ष होता है, आलोचना और बहस आम बात है. लेकिन आम लोगों की आलोचना कई नेताओं को पच नहीं पा रही है. वह आत्माविहीन पुलिस का सहारा लेकर आलोचकों को चुप कराना चाह रहे हैं. चाहे मामला मुंबई के कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी हों या बंगाल के पेंटर का. नेता अपनी आलोचना बिल्कुल बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं. पिछले साल टेलीकॉम और कानून मंत्री कपिल सिब्बल सोशल नेटवर्किंग साइट्स को बार बार धमकी देते रहे.
ओएसजे/एनआर (एएफपी)