विशाखापट्टनम में केमिकल प्लांट से गैस लीक
७ मई २०२०कोविड-19 महामारी के बीच आंध्र प्रदेश में एक बेहद दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी है. विशाखापट्टनम जिले में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी के केमिकल प्लांट से गैस लीक हो गई जिसकी वजह से आठ लोगों की जान चली गई है 1000 से ज्यादा लोग बीमार हो गए हैं. कम से कम 200 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है. मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है. मरने वालों और घायलों में कई बच्चे और महिलाएं भी हैं.
एलजी पॉलीमर्स नाम की कंपनी का यह केमिकल प्लांट गोपालपट्नम इलाके में एक गांव के नजदीक स्थित है. आंध्र प्रदेश पुलिस ने कहा है कि गैस 5,000 टन के दो टैंकों से लीक हुई जिनकी मार्च में तालाबंदी लागू होने के बाद से देख रेख नहीं हुई थी. पुलिस के अनुसार टैंकों के अंदर अपने आप केमिकल रिएक्शन हुआ जिस से टैंक गर्म हो गए और गैस लीक हो गई.
बताया जा रहा है कि गैस लीक होने के बाद कई लोग बेहोश हो कर सड़क पर ही गिर पड़े और कइयों ने आंखों में जलन और सांस लेने में तकलीफ महसूस की. पुलिस, एंबुलेंस और आग बुझाने वाली गाड़ियां वहां पहुंच गईं और सभी प्रभावित लोगों को अस्पताल पहुंचाया गया. ग्रेटर विशाखापट्टनम म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (जीवीएमसी) ने इस बारे में ट्वीट भी किया और लोगों को पहले तो अपने अपने घरों से ना निकलने की हिदायत दी, लेकिन तुरंत ही आस पास की कॉलोनियों और गांवों को खाली करने की हिदायत दे दी.
आस पास के कम से कम तीन गांव खाली करा दिए गए हैं और आपदा प्रबंधन कर्मी घर-घर जा कार जांच कर रहे हैं. जीवीएमसी कमिश्नर सृजना गुम्मला ने बताया कि रात के लगभग 2.30 बजे फैक्ट्री से पीवीस गैस या स्टाइरीन लीक हुई और उसे सूंघने की वजह से लोग या तो बेहोश हो गए या उन्हें सांस लेने में मुश्किल होने लगी.
कुछ मीडिया रिपोर्ट दावा कर रही हैं कि लीक हुई गैस से कम से कम 5,000 लोग प्रभावित हुए हैं. सोशल मीडिया पर सड़क पर बेसुध पड़े लोगों और जानवरों की दर्दनाक तस्वीरें और वीडियो आ रहे हैं. राज्य सरकार के अलावा केंद्र सरकार भी स्थिति की निगरानी कर रही है. प्रधानमंत्री ने ट्वीट करके बताया कि उन्होंने गृह मंत्रालय और आपदा प्रबंधन अधीकरण के अधिकारियों से हादसे के बारे में बात की है.
इस कंपनी की स्थापना "हिंदुस्तान पॉलीमर्स" के नाम से 1961 में हुई थी. 1978 में इसका उद्योगपति विजय माल्या के पिता विट्टल माल्या के यूबी ग्रुप की मैक डोवेल कंपनी में विलय हो गया. दक्षिण कोरिया की कंपनी एलजी केमिकल ने 1997 में इसे खरीद लिया और इसका नाम बदल कर एल जी पॉलीमर्स रख दिया. प्लांट की मालिम एलजी केम कंपनी ने कहा है कि गैस लीक पर अब नियंत्रण पा लिया है और कंपनी पीड़ितों का तुरंत इलाज कराने के सभी तरीके तलाश रही है.
कंपनी ने ये भी कहा कि नुकसान और लीक और उस से हुई मौतों के सही कारणों की पड़ताल की जा रही है. इस फैक्ट्री में पॉलिस्टिरीन और एक्सपैंडेबल पॉलिस्टिरीन नाम के केमिकल बनते हैं, जो एक तरह के प्लास्टिक होते हैं और इनका इस्तेमाल खिलौने और कई तरह के उत्पाद बनाने के लिए किया जाता है. ये स्वाभाविक तरीके से सड़नशील नहीं होता और इसे नष्ट होने में सैकड़ों साल लग जाते हैं.
इसका फोम हवा में उड़ता है और पानी की सतह पर बैठ भी जाता है जिसकी वजह से पक्षियों और जानवरों के इसे खाने की कोशिश करने का खतरा बना रहते है. अगर वे ज्यादा मात्रा में इसे खा लें तो इससे उनके स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ सकता है.
इस हादसे से 1984 के भोपाल गैस लीक त्रासदी की दर्दनाक यादें ताजा हो गई हैं. भोपाल में दो और तीन दिसंबर के बीच की रात में यूनियन कार्बाइड नाम की कंपनी के प्लांट से मिथाइल आइसो साइनेट नाम की गैस लीक हुई और रातों रात पूरे शहर में फैल गई. त्रासदी में मरने वालों की आधिकारिक संख्या 2,259 बताई जाती है पर दूसरे अनुमान यह संख्या कई हजारों में बताते हैं. इसके अलावा लोगों के स्वास्थ्य पर पीढ़ियों तक इस गैस लीक का असर रहा.
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