महामारी की वजह से दुनिया में बढ़े संघर्ष
वैश्विक शांति सूचकांक के मुताबिक महामारी के दौरान दुनिया में संघर्ष के स्तरों में बढ़ोतरी हुई है. जानिए कहां कहां और किस किस तरह के संघर्ष के स्तर में इजाफा हुआ है.
लगातार बढ़ रहे झगड़े
इंस्टिट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस ने कहा है कि 2020 में पिछले 12 सालों में नौवीं बार दुनिया में झगड़े बढ़ गए. संस्थान के वैश्विक शांति सूचकांक के मुताबिक कुल मिला कर संघर्ष और आतंकवाद के स्तर में तो गिरावट आई, लेकिन राजनीतिक अस्थिरता और हिंसक प्रदर्शन बढ़ गए.
हिंसक घटनाएं
जनवरी 2020 से अप्रैल 2021 के बीच सूचकांक ने पूरी दुनिया में हुई महामारी से संबंधित 5,000 से ज्यादा हिंसक घटनाएं दर्ज की. 25 देशों में हिंसक प्रदर्शनों की संख्या बढ़ गई, जबकि सिर्फ आठ देशों में यह संख्या गिरी. सबसे खराब हालात रहे बेलारूस, म्यांमार और रूस में, जहां सरकार ने प्रदर्शनकारियों का हिंसक रूप से दमन किया.
सबसे कम शांतिपूर्ण देश
रिपोर्ट ने अफगानिस्तान को दुनिया का सबसे कम शांतिपूर्ण देश पाया. इसके बाद यमन, सीरिया, दक्षिण सूडान और इराक को सबसे कम शांतिपूर्ण देशों में पाया गया. अफगानिस्तान, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और मेक्सिको में आधी से भी ज्यादा आबादी ने उनकी रोज की जिंदगी में हिंसा सबसे बड़ा जोखिम बनी हुई है.
सबसे शांतिपूर्ण देश
आइसलैंड को एक बार फिर सबसे शांतिपूर्ण देश पाया गया. आइसलैंड ने यह स्थान 2008 से अपने पास ही रखा हुआ है. पूरे यूरोप को ही कुल मिला कर सबसे शांतिपूर्ण प्रांत का दर्जा दिया गया है. हालांकि संस्थान के मुताबिक वहां भी राजनीतिक अस्थिरता बढ़ गई है.
अमेरिका में भी बढ़ी अशांति
इस अवधि में अमेरिका में भी नागरिक अशांति काफी तेजी से बढ़ी. हालांकि ऐसा सिर्फ महामारी की वजह से ही नहीं हुआ. इसमें ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन के विस्तार और जनवरी 2021 में यूएस कैपिटल पर हुए हमले का भी योगदान है.
कई मोर्चों पर स्थिति बेहतर
दुनिया में कई स्थानों पर हत्या की दर, आतंकवाद की वजह से होने वाली मौतों की संख्या और जुर्म के मामलों में काफी गिरावट देखने को मिली.
और बढ़ेगी अनिश्चितता
संस्थान के संस्थापक स्टीव किल्लीलिया का कहना है कि महामारी के आर्थिक असर की वजह से अनिश्चितता और बढ़ेगी, विशेष रूप से ऐसे देशों में जहां महामारी के पहले से ही हालात अच्छे नहीं थे. इस आर्थिक संकट से बाहर निकलने की प्रक्रिया भी काफी असमान रहेगी, जिससे मतभेद बढ़ेंगे. (डीपीए)