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महंगाई से निपटकर तरक्की करते रहेंगे: चीन

५ मार्च २०११

चीन की राजधानी बीजिंग में नेशनल पीपल्स कांग्रेस का सालाना सत्र शुरू हो चुका है. सत्र को संबोधित करते हुए चीनी प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ ने कहा कि तरक्की जारी रहेगी लेकिन महंगाई चिंता बन रही है.

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तस्वीर: AP

चीन के संविधान के मुताबिक राष्ट्रीय संसद नेशनल पीपल्स कांग्रेस देश की सबसे बड़ी संस्था है. हालांकि देश में लागू 1982 के संविधान संस्करण के मुताबिक पहले ही अनुच्छेद में सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के प्रभुत्व का भी जिक्र है. पार्टी ही फैसला करती है कि संसद के तीन हजार प्रतिनिधियों में किस किस को शामिल करना है. इसीलिए दुनिया की इस सबसे बड़ी संसद में कभी कोई विधेयक खारिज नहीं हुआ.

शनिवार को सत्र को संबोधित करते हुए चीन के प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ ने कहा, ''हाल में महंगाई बढ़ी हैं. चीजें अचानक महंगी हुई है. यह समस्या लोगों को परेशान रही है. सभी पर इसका असर पड़ रहा है. समाज की स्थिरता को भी यह प्रभावित कर रही है.'' जियाबाओ का कहना है कि सरकार महंगाई से निपटेगी. साथ ही उन्होंने भरोसा जताया कि 2011-12 में अर्थव्यवस्था 8 फीसदी की दर से तरक्की करेगी. प्रधानमंत्री ने देश के दूर दराज के इलाकों में विकास कार्यों को आम जनजीवन के स्तर को उठाने का भी वादा किया.

पिछले साल अक्टूबर में जब पार्टी की केंद्रीय समिति की बैठक हुई तो देश के लिए पंचवर्षीय योजना निर्धारित की गई. इस योजना को पीपल्स कांग्रेस से मंजूर कराना सिर्फ एक औपचारिकता है.

विली लाम चीनी मामलों के विशेषज्ञ हैं जो हांगकांग में रहते हैं. वह मानते हैं कि अगले पांच साल के लिए तैयार योजना में अर्थव्यवस्था में बुनियादी बदलाव को काफी अहमियत दी जाएगी. वह कहते हैं, "इसमें मजदूरों के लिए सुविधाओं से लेकर प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग को अत्याधुनिक बनाने, पूंजी और तकनीक उन्नत बनाने तक की बात होगी. यह बात भी महत्वपूर्ण हैं कि उन्होंने आर्थिक वृद्धि के लक्ष्य को घटाकर 7 प्रतिशत कर दिया है." चीनी सरकार ने पिछली पंचवर्षीय योजना में भी वृद्धि दर को 7.5 प्रतिशत बनाए रखने की कोशिश की है. वैसे औसत वृद्धि दर 11 प्रतिशत रही.

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बीजिंग में शनिवार को शुरू हुआ राष्ट्रीय संसद का सालाना सत्रतस्वीर: AP

सामाजिक स्थिरता को लेकर चिंताएं

आर्थिक विकास के लिए जो कीमत चुकानी पड़ रही है, उसे भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है, संसाधन घटते जा रहे हैं और महंगाई पंख लगा कर उड़ रही है. ऐसे में सामाजिक स्थिरता को लेकर खतरा पैदा हो रहा है. हांगकांग में मौजूद पत्रकार पीटर छिऊ कहते हैं, "सामाजिक संतुलन को बनाए रखने के लिए आपको लोगों को खुश रखना पड़ता है. लोगों को खुश करने के लिए आपको आर्थिक फायदे और आर्थिक संसाधन सब में बराबर बांटने होंगे."

यह सिर्फ उत्तरी अफ्रीका और अरब जगत में जारी सरकारों के विरोध का नतीजा नहीं है कि चीन में अशांति का डर पैदा हो रहा है. विली लाम का कहना है कि नई योजना में सरकार की कोशिश रहेगी कि वंचित लोगों को सुविधाएं दी जाएं. वह कहते हैं कि राष्ट्रीय आय का एक बड़ा हिस्सा चिकित्सा सुविधाओं, घर बनाने में मदद, पेंशन और दूसरी कल्याणकारी योजना पर खर्ज किया जाएगा.

अगर सरकार घरेलू बाजार को मजबूत करना चाहती है तो इसके लिए सामाजिक कल्याण बहुत जरूरी है. चीन की सरकार निर्यात बाजार पर अपनी निर्भरता कम करना चाहती है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय व्यापार में आने वाले उतार चढ़ाव और और व्यापारिक साझीदारों के साथ होने वाली समस्याओं ने हाल में देश की अर्थव्यवस्था को काफी तंग किया है.

रिपोर्टः मथियास फोन हाइन/एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः ओ सिंह

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