मराठी भाषी गांव बनें केंद्र शासित प्रदेश: चव्हाण
१३ जुलाई २०१०मंगलवार को विधान परिषद में बहस के दौरान अशोक चव्हाण ने कहा, "जब तक सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अपना फैसला नहीं सुना देती तब तक कर्नाटक के 865 मराठी भाषी गांवों को केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर देना चाहिए. इन गांवों को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है और हम प्रधानमंत्री से इस मुद्दे पर सहयोग देने का आग्रह करेंगे."
महाराष्ट्र में इस मुद्दे पर तेज होती राजनीति के मद्देनजर अब मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से बुधवार को मिलेंगे. उनके साथ बैठक के दौरान महाराष्ट्र से सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भी शामिल होगा. केंद्र शासित प्रदेश की अपनी मांग को जायज ठहराते हुए चव्हाण ने कहा कि कर्नाटक सरकार इन गांवों के नाम बदलने की कोशिश कर रही है जिससे क्षेत्र में कानून व्यवस्था को खतरा पैदा हो रहा है. चव्हाण के मुताबिक मराठियों से कर्नाटक के उन इलाकों में सही बर्ताव नहीं हो रहा है.
अशोक चव्हाण ने महाराष्ट्र में विपक्षी बीजेपी से इस मामले में दखल देने की मांग की है क्योंकि कर्नाटक में उसी की सरकार है. उन्होंने कहा, "सुप्रीम कोर्ट के फैसले को न मानने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता लेकिन कर्नाटक में फिलहाल बीजेपी की सरकार है और मुझे लगता है कि यह मामला आम सहमति से सुलझ सकता है."
कर्नाटक के कई इलाकों में मराठी बोली जाती है और महाराष्ट्र में राजनीतिक दलों की मांग रही है कि उन इलाकों को महाराष्ट्र में शामिल किया जाना चाहिए. इस मांग को केंद्र के सामने जोरदार ढंग से न उठाने का आरोप लगाते हुए कुछ ही दिन पहले शिवसेना नेता बाल ठाकरे ने केंद्र सरकार में शामिल महाराष्ट्र के मंत्रियों की खिंचाई भी की थी.
महाराष्ट्र कर्नाटक के गुलबर्ग और बेलगाम जैसे जिलों पर अपना दावा कर रहा है. हालांकि केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को अपने जवाब में कहा है कि किसी भी राज्य की सीमाओं को तय करते समय सिर्फ भाषा को आधार नहीं बनाया जा सकता. केंद्र के इस फैसले से महाराष्ट्र में विरोध प्रदर्शनों की बाढ़ आ गई है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: ए जमाल