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ममता पर कथित हमले से उबली बंगाल की राजनीति

प्रभाकर मणि तिवारी
११ मार्च २०२१

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक कथित हमले में चोट लगने के बाद बंगाल की राजनीति में तनाव बढ़ गया है. ममता की तृणमूल पार्टी के कार्यकर्ता प्रदर्शन कर रहे हैं तो विपक्षी दल मामले की जांच की मांग कर रहे हैं.

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West Bengal  Internationaler Frauentag Trinmool Kongress
तस्वीर: Payel Samanta/DW

पश्चिम बंगाल में सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस और उसे चुनौती देने वाली बीजेपी के बीच कड़वाहट तो विधानसभा चुनावों के बहुत पहले से ही बढ़ने लगी थी. लेकिन अब बुधवार को अपना नामांकन पत्र दायर करने नंदीग्राम पहुंची मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर कथित हमले के बाद राज्य की राजनीति में अचानक उबाल आ गया है. इस घटना के खिलाफ तृणमूल के नेताओं ने बृहस्पतिवार को जहां चुनाव आयोग से मिल कर शिकायत की और जांच की मांग की, वहीं पार्टी के समर्थकों और कार्यकर्ताओं ने इस कथित हमले के विरोध में राज्य के विभिन्न हिस्सों में जुलूस निकाला, हाइवे पर रास्ता रोका और रेलवे की पटरियों पर धरना दिया.

दूसरी ओर, बीजेपी के एक प्रतिनिधमंडल ने भी चुनाव आयोग से मिल कर घटना की जांच कराने की मांग की है ताकि हकीकत सामने आ सके. ममता और उनकी पार्टी के तमाम नेताओं ने जहां इसे सुनियोजित साजिश के तहत किया गया हमला करार दिया है वहीं बीजेपी, सीपीएम और कांग्रेस ने इस नौटंकी और पाखंड बताया है. इस घटना से सिर्फ एक दिन पहले राज्य के पुलिस महानिदेशक को बदलने के आयोग के फैसले पर भी सवाल उठने लगे हैं.

बंगाल पर बीजेपी की निगाह

बीते लोकसभा चुनावों में कामयाबी के बाद ही बीजेपी की निगाहें विधानसभा चुनावों पर लगी थी. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत तमाम नेता इस बार दौ सौ से ज्यादा सीटें जीत कर सरकार बनाने के दावे करते रहे हैं. बीजेपी ने अपना चुनावी नारा भी यही दिया है कि अबकी बार दो सौ पार. लेकिन अपने इस सपने को पूरा करने के लिए पार्टी ममता बनर्जी की पार्टी के दलबदलुओं का ही सहारा ले रही है.

बीते दिसंबर में अमित शाह की बांकुड़ा रैली के दौरान शुभेंदु अधिकारी समेत करीब एक दर्जन विधायक बीजेपी में शामिल हो गए थे. शुभेंदु को हाल तक ममता बनर्जी का दाहिना हाथ माना जाता था. वर्ष 2016 में नंदीग्राम विधानसभा सीट से जीतने वाले शुभेंदु अधिकारी की वर्ष 2007 के उस नंदीग्राम आंदोलन में काफी अहम भूमिका रही है जहां से टीएमसी के सत्ता में पहुंचने का राह निकली थी. वैसे भी अधिकारी परिवार का पूर्व मेदिनीपुर और आसपास के जिलों में काफी रसूख है. शुभेंदु के पिता शिशिर अधिकारी और एक भाई दिब्येंदु अधिकारी अब भी टीएमसी के ही टिकट पर सांसद हैं. यही शुभेंदु ममता के खिलाफ नंदीग्राम सीट से चुनावी मैदान में हैं.

Indien Kalkutta | Premierminister Narendra Modi mit Mamata Banerjee
प्रधानमंत्री की पार्टी मुख्यमंत्री की पार्टी के नेताओं को खींच रही हैतस्वीर: PTI Photo

दलबदलुओं को टिकट देने पर नाराजगी

तृणमूल के नेताओं को तोड़ कर अपने पाले में शामिल करने की बीजेपी की रणनीति अब तक जारी है. पार्टी के उम्मीदवारों की सूची के एलान के बाद अब तक कम से कम सात ऐसे पूर्व विधायकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पार्टी का दामन थाम लिया है जिनको टिकट नहीं मिला है. इनके अलावा एक उम्मीदवार ने तो सीट पसंद नहीं आने की वजह से तृणमूल से नाता तोड़ लिया और बीजेपी खेमे में चली गईं. हालांकि ममता इन दलबदलुओं को तरजीह देने को तैयार नहीं हैं. उनका कहना था, "उम्मीदवारों की सूची तैयार करने में मंत्रियों और पूर्व विधायकों के कामकाज को ध्यान में रखा गया है. असंतुष्ट नेताओं के लिए बाहर जाने का दरवाजा खुला है.”

दलबदलुओं को थोक मात्रा में पार्टी में शामिल करने और उनको टिकट देने पर बीजेपी के स्थानीय नेताओं में भी भारी नाराजगी है. इसे देखते हुए बीच में दलबदलुओं को पार्टी में शामिल करने पर अंकुश लगा दिया गया था. लेकिन अब फिर कई नेताओं को पार्टी में लेने से साफ है कि बीजेपी नेतृत्व इस मामले में गंभीर नहीं था. तृणमूल प्रवक्ता सौगत राय कहते हैं, "बीजेपी उधार के नेताओं के सहारे सत्ता हासिल करने का सपना देख रही है. उसका यह सपना कभी पूरा नहीं होगा. लोग इस पार्टी को भी समझ चुके हैं और टीएमसी से उसमें जाने वाले नेताओं की असलियत भी जान गए हैं.”

वैक्सीन प्रमाणपत्र पर पीएम की तस्वीर

इन दोनों दलों में कोरोना की वैक्सीन के प्रमाणपत्र पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर के मुद्दे पर भी कड़वाहट पैदा हो गई. आखिर में टीएमसी के विरोध के बाद चुनाव आयोग को यह निर्देश देना पड़ा कि जिन राज्यों में चुनाव होने हैं वहां ऐसे प्रमाणपत्रों पर मोदी की तस्वीर नहीं होगी. चुनावों के एलान से पहले ही केंद्रीय बलों की सवा सौ कंपनियों को राज्य में भेजने के मुद्दे पर भी टीएमसी और केंद्र की बीजेपी सरकार के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज रहा. उसके बाद जब आठ चरणों में चुनाव कराने का ऐलान किया गया तो ममता ने साफ कहा था कि यह कार्यक्रम बीजेपी के स्थानीय दफ्तर में तैयार हुआ है और आयोग ने बीजेपी की उसी सूची पर मुहर लगा दी है.

West Bengal  Internationaler Frauentag Trinmool Kongress
बीजेपी बंगाल में तृणमूल को कड़ी चुनौती दे रही हैतस्वीर: Payel Samanta/DW

उसके बाद राज्य के कई पुलिस अधिकारियों का तबादला कर दिया गया. लेकिन मंगलावर रात को अचानक पुलिस महानिदेशक वीरेंद्र को हटा कर उनकी जगह नीरज नयन को इस पद पर नियुक्त किया गया. चुनाव आयोग ने अपने पत्र में कहा था कि वीरेंद्र को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से चुनाव की कोई जिम्मेदारी नहीं दी जानी चाहिए. ममता मंगलवार को सुबह ही नंदीग्राम चली गईं थी. वहां बुधवार को सुबह हल्दिया में नामांकन दाखिल करने के बाद शाम को एक मंदिर से लौटते समय कार के दरवाजे से उनको गंभीर चोटें आई हैं. उनके बाएं पांव पर प्लास्टर चढ़ा है और डाक्टरों ने कंधे और गर्दन में भी चोट की बात कही है. उनको 48 से 72 घंटे तक निगरानी में रखा गया है. कल शाम की घटना के बाद उनको ग्रीन कारीडोर के जरिए कोलकाता ले आकर महानगर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एसएसकेएम में दाखिल कराया गया था. वहां पांच डाक्टरों को लेकर बना मेडिकल बोर्ड उनका इलाज कर रहा है. मूल कार्यक्रम के मुताबिक ममता को आज नंदीग्राम से लौट कर तृणमूल का चुनाव घोषणापत्र जारी करना था. लेकिन फिलहाल उसे स्थगित कर दिया गया है.

ममता को चोट लगने के बाद प्रदर्शन

इस कथित हमले के बाद टीएमसी कार्यकर्ताओं और समर्थको ने जहां पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन किया और रैलियां निकाली है वहीं इस मुद्दे पर पार्टी और विपक्षी दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप भी तेज हो गया है. बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय ने सवाल किया है, "आखिर जेड प्लस सुरक्षा वाली ममता को चोट कैसे लगी? यह हैरत की बात है.” सीपीएम और कांग्रेस ने भी कहा है कि अगर यहां मुख्यमंत्री पर हमला हो सकता है तो कोई भी सुरक्षित नहीं है. इससे राज्य में कानून व व्यवस्था की स्थिति का अनुमान लगाना मुश्किल नहीं है. कल रात अस्पताल में मुख्यमंत्री से मुलाकात कर लौट रहे राज्यपाल जगदीप धनखड़ को भी टीएमसी समर्थकों की नाराजगी का सामना करना पड़ा और उनके खिलाफ गो बैक के नारे लगे.

राजनीतिक पर्यवेक्षक विश्वनाथ चक्रवर्ती कहते हैं, "यह हमला है या हादसा, इसका पता तो जांच से चलेगा. लेकिन अपनी तरह की इस पहली घटना पर अभी कुछ दिनों तक राजनीति गरामाई ही रहेगी. इससे ममता व उनकी पर्टी के चुनाव अभियान पर कितना असर होगा और क्या उनको सहानुभूति लहर का फायदा मिलेगा, इन सवालों का जवाब तो शायद दो मई को चुनाव नतीजे आने के बाद ही मिलेगा.”

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