मनीला बस बंधक कांड की जांच का भरोसा
२४ अगस्त २०१०यह घटना फिलिपीन की राजधानी मनीला की है जहां एक पूर्व पुलिसकर्मी ने बस को बंधक बना लिया जिसमें विदेशी पर्यटक सवार थे. मनीला पुलिस ने कई घंटों तक बंधक बनाने वाले से बातचीत कर लोगों को रिहा कराने की कोशिश की लेकिन वह विफल रही. इस घटना में पर्यटकों और हमलावर सहित आठ लोगों की मौत हो गई. बंधक कांड में बचे लोगों और विश्लेषकों ने जल्द फैसला न लेने और धीमी कार्रवाई का आरोप लगाते हुए पुलिस की आलोचना की है.
कई घंटों तक चला ड्रामा तब खत्म हुआ जब पुलिस के निशानेबाजों ने बस हाइजैक करने वाले बंदूकधारी को मार डाला. बंधक कांड के आखिरी घंटे में पुलिस ने बस पर चढ़ने की कोशिश की लेकिन इस प्रयास में उसे सफलता नहीं मिली. बस के अंदर से गोलीबारी हुई जिसके चलते उसे पीछे हटना पड़ा.
सुरक्षा विश्लेषकों ने ऐसी घटनाओं से निपटने की पुलिस की तैयारी पर सवाल उठाया है. फ्रांस के कमांडो दस्ते के पूर्व प्रमुख फ्रेडरिक गैलोइस ने न्यूज एजेंसी एएफपी को बताया कि मनीला में पुलिस ऑपरेशन की योजना बेहद खराब थी और इसमें काफी जोखिम था. गैलोइस के मुताबिक जिन पुलिसकर्मियों का इस घटना में सहारा लिया गया उनके पास सही हथियार और कौशल नहीं था.
वहीं मनीला पुलिस ने इस ऑपरेशन का बचाव किया है और कहा है कि शुरुआत में पुलिस इसलिए पीछे हटी क्योंकि एक अधिकारी गोली लगने से घायल हो गया था. पुलिस प्रवक्ता कर्नल नेल्सन याबूत ने कहा, "पहले हमले में अगवा करने वाले मेंदोजा ने हमारे चार पुलिसकर्मियों में से एक को गोली मार दी. लेकिन दूसरे हमले में उसे मार दिया गया." बस को बंधक बनाने वाले मेंदोजा ने मनीला पुलिस के साथ करीब 30 साल काम किया लेकिन रंगदारी वसूलने के आरोप में पिछले साल उन्हें बर्खास्त कर दिया गया.
हांगकांग के 22 पर्यटकों को बंधक बनाया गया था और उनके अलावा बंधकों में तीन फिलिपीनी भी शामिल थे. शुरुआत में बातचीत के बाद 9 लोगों को रिहा कर दिया गया पर 15 पर्यटक आखिर तक बस में रहे. बस की खिड़की पर मेंदोजा ने अपनी मांग लिखकर सामने रखीं जिसमें से प्रमुख मांग पुलिस विभाग में वापस नौकरी पाने की थी.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: उभ