भारतीय छात्रों पर नस्ली हमलों की आस्ट्रेलिया में अनदेखीः यूएन
३१ अगस्त २०१०संयुक्त राष्ट्र के इस पैनल ने ऑस्ट्रेलिया में विदेशी छात्रों की सुरक्षा पर चिंता जताई है और पुलिस के पास इन छात्रों पर हुए हमले का ब्यौरा न होने के लिए कड़ी आलोचना की है. इस पैनल ने ऑस्ट्रेलिया सरकार की नस्लवादी भेदभाव को खत्म करने के लिए किए गए उपायों की छानबीन करने के बाद अपनी रिपोर्ट सौंपी है. यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र की नस्लवाद को खत्म करने के लिए बनाई गए कमेटी के सदस्यों के पैनल ने तैयार की है. कमेटी ने पिछले पांच सालों में ऑस्ट्रेलिया में नस्लवाद को खत्म करने के लिए किए गये उपायों का जायजा लिया.
पैनल ने अपनी फाइनल रिपोर्ट में विक्टोरिया में भारतीय छात्रों पर हुए हमलों पर गहरी चिंता जताई है. इन हमलों में एक छात्र की मौत भी हो गई. पैनल ने अफसोस जताते हुए कहा है कि सरकार और पुलिस नस्लवादी हमलों को रोकने में नाकाम रहे. संयुक्त राष्ट्र की यह आलोचना भारत में ऑस्ट्रेलिया के राजदूत पीटर वर्गीज़ की उस चेतावनी के बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि नस्लवाद के कारण इस साल ऑस्ट्रेलिया जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में 70 फीसदी की कमी आई है. विदेशी छात्रों में ऑस्ट्रेलिया की छवि भारतीय छात्रों पर हुए हमलों के बाद काफी खराब हुई है. पिछले साल जनवरी में नस्लवादी हमलों में ही नितिन गर्ग नाम के एक छात्र की मौत हो गई थी. इस साल फरवरी में ऑस्ट्रेलिया में भारतीय उच्चायुक्त सुजाता सिंह ने भी सरकार के साथ बातचीत में इस मामले पर ध्यान देने की बात कही थी.
इस बीच विक्टोरिया सरकार के प्रवक्ता ने संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कही गई बातों को खारिज कर दिया है. एक अखबार को दिए बयान में प्रवक्ता ने कहा है कि विक्टोरिया सरकार और पुलिस दोनों ने यह माना है कि भारतीय छात्रों पर हुए कुछ हमले नस्ली थे. सरकार ने भी उस दावे को भी गलत बताया है जिसमें जजों को हमले का मकसद पता नहीं होने की बात कही गई थी. सरकार ने कहा है कि जजों को सजा सुनाते समय यह ध्यान रखना होता है कि हमले के पीछे कौन है या फिर उसका मकसद क्या है.
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः वी कुमार